China Economy: चीन की हालत खस्ता… आधे युवा हुए बेरोजगार, डेटा छिपा रही है सरकार!
नई दिल्ली: दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी इकॉनमी वाले देश चीन की सुस्ताती अर्थव्यवस्था से पूरी दुनिया में खलबली मची हुई है। इस बीच चीन की एक प्रोफेसर ने दावा किया है कि देश में मार्च में ही युवाओं की बेरोजगारी दर 50 परसेंट के करीब पहुंच गई थी। हालांकि चीन के सरकारी आंकड़ों के मुताबिक उस महीने देश में युवाओं की बेरोजगारी दर 19.7 परसेंट थी। इससे देश में सरकारी आंकड़ों और कमजोर लेबर मार्केट को लेकर फिर बहस तेज हो गई है। चीन पिछले कुछ समय से मुश्किल हालात से गुजर रहा है। देश का एक्सपोर्ट में भारी गिरावट आई है, खपत गिर गई है और बेरोजगारी बढ़ गई है। साथ ही अमेरिका और उसके मित्र देशों ने चीन पर निर्भरता कम करने के उपाय शुरू कर दिए हैं। अमेरिका और चीन के बीच पहले से ही ट्रेड वार चल रहा है।
रॉयटर्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक पीकिंग यूनिवर्सिटी की प्रोफेसर झांग डैनडैन ने अनुमान जताया कि चीन में मार्च में युवाओं की बेरोजगारी दर 50 फीसदी के करीब पहुंच गई थी। झांग ने एक फाइनेंशियल मैगजीन Caixin में लिखे ऑनलाइन आर्टिकल में कहा कि अगर घर में पड़े या अपने माता-पिता पर निर्भर 1.6 करोड़ नॉन-स्टूडेंट्स को भी मिला दिया जाए तो यह 46.5 परसेंट बैठती है। झांग यूनिवर्सिटी के नेशनल स्कूल ऑफ डेवलपमेंट में इकनॉमिक्स की एसोसिएट प्रोफेसर हैं। हालांकि नेशनल ब्यूरो ऑफ स्टैटिसटिक्स के मुताबिक मार्च में देश में 16 से 24 साल के युवाओं की बेरोजगारी दर 19.7 परसेंट थी।
जून में और बढ़ी बेरोजगारी
जून में यह बढ़कर 21.3 फीसदी पहुंच गई। चीन में इस लिस्ट में ऐसे लोगों को शामिल किया जाता है जो नौकरी करना चाहते हैं। कोरोना महामारी के कारण चीन में कड़ी पाबंदियां लगाई गई थीं। पिछले साल जब ये पाबंदियां हटाई गईं तो देश में रिकवरी की कुछ उम्मीद जगी थी। लेकिन दूसरी तिमाही में इकॉनमी की रफ्तार सुस्त रही। झांग ने पूर्वी चीन के सुझोऊ और कुनशान में मैन्यूफैक्चरिंग हब्स में महामारी का प्रभाव पर रिसर्च की है। उनका कहना है कि मार्च तक वहां प्री-कोविड लेवल के मुकाबले केवल दो-तिहाई रिकवरी हुई है। इसका युवाओं पर सबसे ज्यादा असर हुआ है।
झांग का कहना है कि 2021 में ट्यूटरिंग, प्रॉपर्टी और ऑनलाइन प्लेटफॉर्म सेक्टर्स को लेकर बनाए गए नियमों से भी युवाओं और पढ़े-लिखे लोगों की मुश्किलें सबसे ज्यादा बढ़ी हैं। उनके आर्टिकल पर सोशल मीडिया में बहस छिड़ी है। चीन में ट्विटर की तरह के माइक्रोब्लॉगिंग साइट Weibo में एक यूजर ने लिखा कि झांग के तरीके में खामियां हैं। इकनॉमिस्ट्स बेरोजगारी का अनुमान लगाते समय अक्सर ऐसे लोगों को शामिल नहीं करते हैं जो नौकरी की तलाश में नहीं हैं। लेकिन कई यूजर्स का कहना था कि देश में नौकरी खोजना मुश्किल होता जा रहा है। एक यूजर ने लिखा कि देश में बहुत ज्यादा स्टूडेंट्स पोस्टग्रेजुएट या सिविल सर्वेंट एग्जाम में बैठते हैं क्योंकि उन्हें नौकरी नहीं मिल रही है।
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रॉयटर्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक पीकिंग यूनिवर्सिटी की प्रोफेसर झांग डैनडैन ने अनुमान जताया कि चीन में मार्च में युवाओं की बेरोजगारी दर 50 फीसदी के करीब पहुंच गई थी। झांग ने एक फाइनेंशियल मैगजीन Caixin में लिखे ऑनलाइन आर्टिकल में कहा कि अगर घर में पड़े या अपने माता-पिता पर निर्भर 1.6 करोड़ नॉन-स्टूडेंट्स को भी मिला दिया जाए तो यह 46.5 परसेंट बैठती है। झांग यूनिवर्सिटी के नेशनल स्कूल ऑफ डेवलपमेंट में इकनॉमिक्स की एसोसिएट प्रोफेसर हैं। हालांकि नेशनल ब्यूरो ऑफ स्टैटिसटिक्स के मुताबिक मार्च में देश में 16 से 24 साल के युवाओं की बेरोजगारी दर 19.7 परसेंट थी।
जून में और बढ़ी बेरोजगारी
जून में यह बढ़कर 21.3 फीसदी पहुंच गई। चीन में इस लिस्ट में ऐसे लोगों को शामिल किया जाता है जो नौकरी करना चाहते हैं। कोरोना महामारी के कारण चीन में कड़ी पाबंदियां लगाई गई थीं। पिछले साल जब ये पाबंदियां हटाई गईं तो देश में रिकवरी की कुछ उम्मीद जगी थी। लेकिन दूसरी तिमाही में इकॉनमी की रफ्तार सुस्त रही। झांग ने पूर्वी चीन के सुझोऊ और कुनशान में मैन्यूफैक्चरिंग हब्स में महामारी का प्रभाव पर रिसर्च की है। उनका कहना है कि मार्च तक वहां प्री-कोविड लेवल के मुकाबले केवल दो-तिहाई रिकवरी हुई है। इसका युवाओं पर सबसे ज्यादा असर हुआ है।
झांग का कहना है कि 2021 में ट्यूटरिंग, प्रॉपर्टी और ऑनलाइन प्लेटफॉर्म सेक्टर्स को लेकर बनाए गए नियमों से भी युवाओं और पढ़े-लिखे लोगों की मुश्किलें सबसे ज्यादा बढ़ी हैं। उनके आर्टिकल पर सोशल मीडिया में बहस छिड़ी है। चीन में ट्विटर की तरह के माइक्रोब्लॉगिंग साइट Weibo में एक यूजर ने लिखा कि झांग के तरीके में खामियां हैं। इकनॉमिस्ट्स बेरोजगारी का अनुमान लगाते समय अक्सर ऐसे लोगों को शामिल नहीं करते हैं जो नौकरी की तलाश में नहीं हैं। लेकिन कई यूजर्स का कहना था कि देश में नौकरी खोजना मुश्किल होता जा रहा है। एक यूजर ने लिखा कि देश में बहुत ज्यादा स्टूडेंट्स पोस्टग्रेजुएट या सिविल सर्वेंट एग्जाम में बैठते हैं क्योंकि उन्हें नौकरी नहीं मिल रही है।
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