China Bank Crisis : चीनी बैंक अब लौटा क्यों नहीं रहे लोगों का पैसा? क्या आएगा 2008 जैसा वित्तीय संकट

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China Bank Crisis : चीनी बैंक अब लौटा क्यों नहीं रहे लोगों का पैसा? क्या आएगा 2008 जैसा वित्तीय संकट

China Bank Crisis : चीनी बैंक अब लौटा क्यों नहीं रहे लोगों का पैसा? क्या आएगा 2008 जैसा वित्तीय संकट

नई दिल्ली : चीन (China) में कई स्थानीय बैंकों ने पैसों की निकासी को फ्रीज कर दिया है। गंभीर नकदी संकट से बचने के लिए बैंक ऐसा कर रहे हैं। इससे ग्राहक इन बैकों में जमा अपना पैसा नहीं निकाल पा रहे हैं। दरअसल, चीनी बैंक (Chinese Bank) एक बुरे दौर से गुजर रहे हैं। बीते कुछ समय में कई ऐसी परिस्थितियां रहीं, जिनके चलते इन बैकों की हालत पतली हो गई। पहले कोविड-19 महामारी (Covid-19 pandemic) और फिर रियल एस्टेट की मंदी (Real Estate Slump) ने इन बैकों को काफी नुकसान पहुंचाया है। कुछ एक्सपर्ट्स इस स्थिति की तुलना यूएस हाउसिंग बबल (US Housing Bubble) के फटने से करते हैं, जिसने साल 2008 के वित्तीय संकट (Financial Crisis) को जन्म दिया था।

प्रदर्शनकारियों को बता दिया कोविड पॉजिटिव

इस साल अप्रैल महीने से ही मध्य चीन के हेनान और अनहुई प्रांतों के कई स्थानीय बैंकों के ग्राहक अपना पैसा नहीं निकाल पा रहे हैं। जैसे ही लोगों ने विरोध शुरू किया, तो स्थानीय प्रशासन ने उन्हें शांत करने का जमकर प्रयास किया। हेनान में तो प्रदर्शनकारियों की कोविड स्थिति को एक अनिवार्य फोन ऐप पर लाल रंग में सेट कर दिया गया, ताकि उन्हें घर के अंदर ही रखा जा सके। प्रदर्शनकारियों पर हमला करने वाले “सरकार समर्थित” गुंडों के वीडियो भी सामने आए।

4,00,000 बैंक ग्राहक हुए प्रभावित

बीजिंग का कहना है कि अपराधियों के एक गिरोह ने धोखाधड़ी वाले लोन्स के जरिए पैसों की हेराफेरी करके बैंक खाली कर दिए। बैंक पहले से ही कोरोना महामारी से पैदा हुई आर्थिक मंदी और बिल्डर्स द्वारा लोन डिफॉल्ट कर जाने से संकट में हैं। हालांकि, सरकार ने छोटी निकासी की अनुमति दी है। रिपोर्ट्स में कहा गया है कि निकासी फ्रीज करने से लगभग 4,00,000 बैंक ग्राहक प्रभावित हुए हैं और इसमें लगभग 6 अरब डॉलर की जमा राशि शामिल है। वैसे तो यह राशि चीन की बैंकिंग प्रणाली के समुद्र में एक बूंद के बराबर होगी, लेकिन एक्सपर्ट्स चीनी अर्थव्यवस्था में प्रणालीगत मुद्दों के बारे में चेतावनी दे रहे हैं।

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काफी गंभीर है समस्या
कहा जाता है कि रियल एस्टेट और इससे जुड़े उद्योग 17.5 ट्रिलियन डॉलर की चीनी जीडीपी का एक तिहाई हिस्सा हैं। अधिकांश चीनी मध्यम वर्ग के लिए यह निवेश का एक प्रमुख साधन है। चीनी बैंकों के कुल कर्ज का एक तिहाई हिस्सा इसी क्षेत्र में जुड़ा हुआ है। यही कारण था कि दिग्गज प्रॉपर्टी डेवलपर एवरग्रांडे ग्रुप द्वारा पिछले साल किया गया लोन डिफॉल्ट एक बड़ा झटका था। गंभीर नकदी संकट की खबरों के कारण एवरग्रांडे के शेयर की कीमत में भारी गिरावट आई थी। इससे चीन में विदेशी निवेश में कमी आई थी। कंपनी पर अभी भी निवेशकों और उधारदाताओं का 300 अरब डॉलर से अधिक बकाया है।
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रियल एस्टेट कंपनियों ने भारी मात्रा में लिया था उधार

चीन की रियल एस्टेट कंपनियों ने बूम के वर्षों में बड़ी परियोजनाओं पर भारी मात्रा में उधार लिया था। एक्सपर्ट्स का कहना है कि कोविड के दौरान उत्पादकता और आर्थिक विकास में भारी गिरावट आई। चीन की “जीरो टॉलरेंस” पॉलिसी के चलते बिक्री बुरी तरह प्रभावित हुई। बिल्डर्स के लिए समय पर परियोजनाओं को पूरा करना और डिलीवर करना मुश्किल हो रहा है। वहीं, खरीदारों ने निर्माण में देरी के चलते लोन का पुनर्भुगतान रोक दिया है। यदि अधिक लोग लोन का पुनर्भुगतान करना बंद कर देते हैं, तो इससे डेवलपर्स के लिए नकदी प्रवाह खराब हो सकता है और प्रोजेक्ट में ज्यादा देरी हो सकती है।

एडीबी ने घटाया चीनी जीडीपी के ग्रोथ का अनुमान

बिगड़ती परिस्थितियों के बीच एशियन डेवलपमेंट बैंक ने चीन के लिए अपने विकास पूर्वानुमान में कटौती की है। एडीबी के अनुसार, चीन की अर्थव्यवस्था के अब 2022 में 4.6% की दर से बढ़ने की उम्मीद है। एडीबी ने पहले 5.1% का पूर्वानुमान दिया था। बता दें कि दूसरी तिमाही में चीन ने सालाना आधार पर केवल 0.4% की वृद्धि दर्ज की, जो महामारी शुरू होने के बाद से सबसे कम है। अमेरिका में बढ़ी हुई महंगाई और डॉलर के मुकाबले युआन के कमजोर होने से चीन की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। निवेशक चीन के स्टॉक और बॉन्ड बाजारों के लिए भी चिंतित हैं।

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