Chhath Puja 2022 : नहाय-खाय के साथ आज से 4 दिवसीय महापर्व छठ शुरू, छठ व्रतियों ने ग्रहण किया प्रसाद

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Chhath Puja 2022 : नहाय-खाय के साथ आज से 4 दिवसीय महापर्व छठ शुरू, छठ व्रतियों ने ग्रहण किया प्रसाद

Chhath Puja 2022 : नहाय-खाय के साथ आज से 4 दिवसीय महापर्व छठ शुरू, छठ व्रतियों ने ग्रहण किया प्रसाद

पटना : बिहार की राजधानी पटना सहित राज्य के विभिन्न जिलों में चार दिनों तक चलने वाले लोक आस्था के महापर्व छठ की शुरुआत हो गई है। पर्व को लेकर जहां स्थानीय प्रशासन अलर्ट है। वहीं दूसरी ओर विभिन्न शहरों के तालाबों और नदियों पर स्नान के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी। औरंगाबाद के प्रसिद्ध तीर्थस्थल देव के सूर्यकुंड में सुबह से ही व्रतियों की भीड़ रही। व्रतियों ने कुंड में पूरे विधि विधान से स्नान किया। पश्चिम बंगाल, झारखंड और देश के विभिन्न हिस्सों से आए श्रद्धालुओं ने कुंड में डुबकी लगाई।

स्थानीय प्रशासन ने की सुरक्षा की व्यवस्था
स्नान के बाद महिलाओं ने कुंड के जल से कद्दू-भात बनाने की प्रक्रिया शुरू की। इधर, छठ पर्व की महत्ता को देखते हुए जिला प्रशासन ने भी पूरी तैयारी कर ली है। भीड़ को नियंत्रित करने की व्यवस्था की गई है। जगह-जगह मजिस्ट्रेट की तैनाती कर दी गई है।

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नालंदा में गया में श्रद्धालुओं प्रसाद ग्रहण किया
वहीं पहले दिन गया शहर के सूर्यकुंड में छठ व्रतियों ने स्नान किया और भगवान सूर्य के मंदिर में पूजा अर्चना की। छठव्रती रूपा देवी ने बताया कि छठ महापर्व का आज से शुभारंभ हो गया है। छठ सबसे पवित्र पर्व है। सच्चे मन से पूजा करने से सारी मनोकामना पूरी होती है। उन्होंने सच्चे मन और पूरी श्रद्धा से छठ माता की पूजा करें। छठ व्रती विदुषी ने बताया कि पहले दिन सूर्यकुंड के पवित्र जल से स्नान के बाद चावल, चने का दाल और कद्दू की सब्जी प्रसाद के रूप में ग्रहण कर रहे हैं। वहीं, नालंदा में छठ व्रतधारियों ने दाल कद्दू का प्रसाद बनाकर भगवान भास्कर को भोग लगाने के बाद स्वयं ग्रहण कर अपने परिवार और इष्ट मित्रों को खिलाया । जय हो छठी मैया के गीत से पूरे नगर का वातावरण भक्तिमय हो गया है ।

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द्रौपदी ने रखा व्रत, पांडवों को मिला राजपाट
छठ पर्व के बारे में एक कथा और भी है। इसके अनुसार, जब पांडव अपना सारा राजपाट जुए में हार गए, तब द्रौपदी ने छठ व्रत रखा। उनकी मनोकामनाएं पूरी हुईं और पांडवों को राजपाट वापस मिल गया। लोक परंपरा के अनुसार, सूर्य देव और छठी मईया का संबंध भाई-बहन का है। इसलिए छठ के मौके पर सूर्य की आराधना फलदायी मानी गई है।

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सूर्य पुत्र कर्ण ने भी की थी पूजा
पौराणिक मान्‍यताओं के अनुसार, छठ पर्व की शुरुआत महाभारत काल में हुई थी। सबसे पहले सूर्यपुत्र कर्ण ने सूर्य देव की पूजा शुरू की। कर्ण भगवान सूर्य के परम भक्त थे। वह प्रतिदिन घंटों कमर तक पानी में खड़े होकर सूर्य को अर्घ्य देते थे। सूर्य की कृपा से ही वह महान योद्धा बने। आज भी छठ में अर्घ्य दान की यही परंपरा प्रचलित है।

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