Chhatarpur: बागेश्वर धाम में बिना नोटिस के तोड़े गए ग्रामीणों के घर, पुलिस पर महिलाओं के साथ दुर्व्यवहार का आरोप

31
Chhatarpur: बागेश्वर धाम में बिना नोटिस के तोड़े गए ग्रामीणों के घर, पुलिस पर महिलाओं के साथ दुर्व्यवहार का आरोप


Chhatarpur: बागेश्वर धाम में बिना नोटिस के तोड़े गए ग्रामीणों के घर, पुलिस पर महिलाओं के साथ दुर्व्यवहार का आरोप

छतरपुर: कम समय में पूरे भारत में अपनी पहचान बनाने वाला स्थान बागेश्वर धाम का स्थान एक बार फिर सुर्खियों में है। इसकी वजह है गरीबों के मकानों को रातों रात बुलडोजर से तोड़ना। ग्रामीणों ने स्थानीय प्रशासनिक अधिकारियों एवं महिला पुलिस पर गंभीर आरोप लगाए हैं। ग्रामीणों का कहना है कि 25 दिसंबर की शाम राजनगर एसडीएम और बमीठा पुलिस ने गढ़ा गांव में बुलडोजर की मदद से कई मकान गिरा दिए गए। ग्रामीणों ने कहा कि पार्किंग के निर्माण के लिए उनके घर गिराए गए लेकिन इसके लिए उन्हें कोई नोटिस तक नहीं दिया गया। इतना ही नहीं, विरोध करने पर पुलिसकर्मियों ने उनके साथ दुर्व्यवहार किया।

महिलाओं के साथ मारपीट और निर्वस्त्र करने का आरोप

मकान टूटने के बाद लोग कड़के की ठंड में घरों के बाहर बैठे रहे जिनमें बच्चे एवं महिलाएं भी शामिल हैं। ग्रामीणों का आरोप है कि विरोध करने पर महिला पुलिसकर्मियों ने गांव की महिलाओं के साथ मारपीट की और उन्हें निर्वस्त्र कर दिया।

शहर आकर ग्रामीणों ने लगा दिया जाम

गुस्साए ग्रामीणों ने सोमवार शाम को शहर के डाकखाने चौराहे पर जाम लगा दिया। इसके बाद बड़ी संख्या में कोतवाली पुलिस और सीएसपी लोकेंद्र सिंह परमार घटनास्थल पर पहुंचे। ग्रामीणों ने पुलिस को राजनगर एसडीएम राकेश परमार पर एफआईआर दर्ज करने को लेकर आवेदन दिया।

पार्किंग के लिए तोड़े जा रहे गरीबों के आशियाने

ग्रामीणों का आरोप है कि बागेश्वर धाम में जमीन की कमी है। वहां पर बड़ी संख्या में बाहर से लोग आते हैं। उनके लिए गांव में एक पार्किंग बनाई जानी है। यही वजह है कि प्रशासन की मदद लेकर पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री लोगों के मकान तुड़वा रहे हैं।

मकान तोड़ने से पहले नहीं दिया कोई नोटिस

ग्रामीणों का कहना है कि उनके पास उनके घरों एवं जमीनों के वैध कागजात हैं। उनके पुरखे वर्षों से उसी जमीन पर रहते आ रहे थे। अचानक से यह जमीन अब सरकारी बताई जा रही है। ग्रामीणों का आरोप है कि प्रशासन ने मकान तोड़ने से पहले ना तो कोई नोटिस दिया और ना ही कोई सूचना दी गई। जो मकान तोड़े गए हैं, उनके अंदर गृहस्थी का सामान था। वे पूरी तरह से बर्बपाद हो गए।

एसडीएम का रुखा जवाब, हम क्यों पूछें

इस मामले में राजनगर एसडीएम राकेश सिंह परमार से एनबीटी ने जानकारी मांगी तो उन्होंने बेहद रुखे अंदाज में जवाब दिया। एसडीएम ने कहा कि ग्रामीणों ने मकान बनाने से पहले प्रशासन से नहीं पूछा था। फिर प्रशासन उनके घर तोड़ने से पहले उनसे क्यों पूछे।

रिपोर्टः जयप्रकाश



Source link