Cheetah: देश के दिल में सुनाई देगी चीतों की दहाड़, अगले महीने नामीबिया से लाए जाएंगे एमपी
भोपाल: देश के दिल एमपी (cheetah from namibia) में जल्द ही चीतों की दहाड़ सुनाई देगी। ज्यादा संभावना है कि स्वतंत्रता दिवस तक चीते एमपी के कूनो अभ्यारण में पहुंच जाए। महीनों की देरी के बाद नामीबिया सरकार ने भारत के साथ एमओयू साइन किया है। इससे दुनिया के पहले ट्रांस कॉन्टिनेंटल चीता स्थानांतरण में एक बड़ी बाधा दूर हो गई है। राष्ट्रीय बाघ सरंक्षण प्राधिकरण के प्रमुख एसपी यादव ने हमारे सहयोगी अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया से कहा कि दक्षिण अफ्रीका के साथ एक समान समझौता ज्ञापन एक सप्ताह में पूरा हो जाएगा।
पहले चरण में मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल से 400 किमी दूर कूनो अभ्यारण में आठ चीतों को लाया जाएगा। कूनो अभ्यारण श्योपुर जिले में पड़ता है। चीतों के अनुकूल यहां बाड़े तैयार हैं। जंगल से सटे हजारों आवारा कुत्तों का टीकाकरण किया जा चुका है। स्थानांतरित किए जाने वाले चीतों की पहचान, टीकाकरण और नामीबिया में टीकाकरण कर दिया गया है। उन्होंने कहा कि एमओयू साइन होने के बाद यहां लाने के लिए परिवहन मोड तय कर रहे हैं। कई कंपनियों ने अपनी सेवाओं की पेशकश की है। एनटीसीए के प्रमुख ने बताया कि एक पशु चिकिस्तक सहित भारत की टीम नामीबिया जाएं। उन्होंने कहा कि अगस्त में चीते भारत आ सकते हैं लेकिन तारीख नहीं तय की गई है।
सूत्रों ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी स्वतंत्रता दिवस पर लाल किले से इसके घोषणा कर सकते हैं। सूत्रों ने बताया कि कीमती सामानों को ढोने वाले आईएएफ प्लेन से चीतों को लाया जा सकता है। अधिकारी ने कहा कि चीतों को सीधे कूनो में उतारने की चर्चा है, जहां उन्हें 30 दिन के लिए क्वारंटाइन किया जाएगा। साथ ही निगरानी की जाएगी। उन्होंने कहा कि क्षेत्र के अनुकूल होने बाद चीतों को बाड़ों में छोड़ दिया जाएगा।
15 जून को नामिबिया और दक्षिण अफ्रीका के अधिकारी कूनो गए थे। उनलोगों ने चीतों की रहने की व्यवस्था और तैयारियों को देखा था। तैयारियों को देखकर वे लोग बहुत संतुष्ट थे। केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने ट्वीट कर कहा है कि यह बताते हुए बहुत खुशी हो रही है कि भारत ने वन्यजीव संरक्षण और सतत जैव विविधता उपयोग को बढ़ावा देने के लिए नामीबिया के साथ एक ऐतिहासिक समझौत ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए हैं।
इस एमओयू से चीतों के संरक्षण को बढ़ावा मिलेगा, जहां से यह प्रजातियां विलुप्त हो गई हैं। एमपी के मुख्यममंत्री शिवराज सिंह चौहान ने ट्वीट किया है कि यह एमपी के लिए गर्व का क्षण है। उन्होंने कहा कि चीता पुन: परिचय परियोजना ऐतिहासिक विकासवादी संतुलन को बहाल करेगी और वैश्विक संरक्षण प्रयासों में योगदान देगी।
इसे भी पढ़ें
उमध्यप्रदेश की और खबर देखने के लिए यहाँ क्लिक करे – Madhya Pradesh News
पहले चरण में मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल से 400 किमी दूर कूनो अभ्यारण में आठ चीतों को लाया जाएगा। कूनो अभ्यारण श्योपुर जिले में पड़ता है। चीतों के अनुकूल यहां बाड़े तैयार हैं। जंगल से सटे हजारों आवारा कुत्तों का टीकाकरण किया जा चुका है। स्थानांतरित किए जाने वाले चीतों की पहचान, टीकाकरण और नामीबिया में टीकाकरण कर दिया गया है। उन्होंने कहा कि एमओयू साइन होने के बाद यहां लाने के लिए परिवहन मोड तय कर रहे हैं। कई कंपनियों ने अपनी सेवाओं की पेशकश की है। एनटीसीए के प्रमुख ने बताया कि एक पशु चिकिस्तक सहित भारत की टीम नामीबिया जाएं। उन्होंने कहा कि अगस्त में चीते भारत आ सकते हैं लेकिन तारीख नहीं तय की गई है।
सूत्रों ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी स्वतंत्रता दिवस पर लाल किले से इसके घोषणा कर सकते हैं। सूत्रों ने बताया कि कीमती सामानों को ढोने वाले आईएएफ प्लेन से चीतों को लाया जा सकता है। अधिकारी ने कहा कि चीतों को सीधे कूनो में उतारने की चर्चा है, जहां उन्हें 30 दिन के लिए क्वारंटाइन किया जाएगा। साथ ही निगरानी की जाएगी। उन्होंने कहा कि क्षेत्र के अनुकूल होने बाद चीतों को बाड़ों में छोड़ दिया जाएगा।
15 जून को नामिबिया और दक्षिण अफ्रीका के अधिकारी कूनो गए थे। उनलोगों ने चीतों की रहने की व्यवस्था और तैयारियों को देखा था। तैयारियों को देखकर वे लोग बहुत संतुष्ट थे। केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने ट्वीट कर कहा है कि यह बताते हुए बहुत खुशी हो रही है कि भारत ने वन्यजीव संरक्षण और सतत जैव विविधता उपयोग को बढ़ावा देने के लिए नामीबिया के साथ एक ऐतिहासिक समझौत ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए हैं।
इस एमओयू से चीतों के संरक्षण को बढ़ावा मिलेगा, जहां से यह प्रजातियां विलुप्त हो गई हैं। एमपी के मुख्यममंत्री शिवराज सिंह चौहान ने ट्वीट किया है कि यह एमपी के लिए गर्व का क्षण है। उन्होंने कहा कि चीता पुन: परिचय परियोजना ऐतिहासिक विकासवादी संतुलन को बहाल करेगी और वैश्विक संरक्षण प्रयासों में योगदान देगी।
इसे भी पढ़ें