Cannes में फिल्म की स्क्रीनिंग पर नवाजुद्दीन सिद्दीकी की दो टूक- ऑडिटोरियम लो, फोटो क्लिक करो और वापस आ जाओ! h3>
ऐश्वर्या राय बच्चन, सारा अली खान, मानुषी छिल्लर, उर्वशी रौतेला, सनी लियोनी, अनुराग कश्यप जैसे भारतीय कलाकारों ने कान फिल्म फेस्टिवल के चल रहे 76वें एडिशन में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई। नवाजुद्दीन सिद्दीकी भी इससे पहले 9 बार प्रतिष्ठित फिल्म फेस्टिवल में शिरकत कर चुके हैं। हालांकि, एक्टर ये समझ नहीं पाए हैं कि कुछ लोग वहां क्यों जाते हैं! उन्होंने कहा कि कान में फिल्म की स्क्रीनिंग करवाना मुश्किल नहीं है, भले ही वो ऑफिशियल तौर पर सिलेक्ट नहीं हुई हो। अपने एक्सपीरियंस को शेयर करते हुए एक्टर ने कहा कि एक कवायद है, जिसका पालन किया जाता है। रेड कार्पेट पर जाना, फोटो क्लिक करना, इंटरव्यू देना और अपनी फिल्मों की स्क्रीनिंग में हिस्सा लेना।
Nawazuddin Siddiqui ने एक इंटरव्यू में ये भी कहा कि कान में अच्छा रिव्यू इस बात की गारंटी नहीं देता है कि इंडिया में भी फिल्म को अच्छा रिस्पॉन्स मिलेगा। उन्होंने अपनी फिल्म ‘मिस लवली’ (2012) का उदाहरण दिया। उन्होंने आगे बताया कि फिल्म फेस्टिवल में अपनी फिल्म की स्क्रीनिंग करना कितना आसान है।
नवाजुद्दीन सिद्दीकी की कान में फिल्म स्क्रीनिंग पर दो टूक
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नवाजुद्दीन सिद्दीकी इन दिनों अपने बयानों को लेकर चर्चा में हैं
49 साल के नवाजुद्दीन ने कहा कि आप अपनी फिल्म लेते हैं, चाहे वो ऑफिशियल रूप से चुनी गई हो या नहीं। वो कहते हैं, ‘एक ऑडिटोरियम किराए पर लें और मालिक को पैसे दें, अपना रेड कार्पेट खुद बिछाएं, अपने लोगं को ले जाएं, फोटो क्लिक करें और अपनी फिल्म को दर्शकों को दिखाएं। लोग वापस आते हैं और कहते हैं, ‘हमारी फिल्म कान फिल्म फेस्टिवल में दिखाई गई।’
डिप्रेशन को कहा था ‘शहरी बीमारी’
इससे पहले नवाज ने डिप्रेशन को एक ‘शहरी बीमारी’ भी कहा था और तर्क दिया था कि गांव में रहने वाले लोग डिप्रेशन में नहीं जाते हैं और शहरों के लोग अपनी भावनाओं का महिमामंडन करते हैं। हालांकि, इस बयान के बाद उनकी काफी आलोचना हुई थी।
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‘द केरल स्टोरी’ बैन का किया था सपोर्ट!
‘द केरल स्टोरी’ पर बैन पर रिएक्शन देते हुए नवाज ने कहा कि अगर कोई फिल्म लोगों को तोड़ रही है और सामाजिक सद्भावना को खलल डार रही है तो यह बेहद गलत है। उन्होंने कहा कि फिल्मों को सामाजिक सद्भाव और एकता को बढ़ावा देना चाहिए, क्योंकि मकसद लोगों को एक साथ लाना है न कि उन्हें तोड़ना।
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Nawazuddin Siddiqui ने एक इंटरव्यू में ये भी कहा कि कान में अच्छा रिव्यू इस बात की गारंटी नहीं देता है कि इंडिया में भी फिल्म को अच्छा रिस्पॉन्स मिलेगा। उन्होंने अपनी फिल्म ‘मिस लवली’ (2012) का उदाहरण दिया। उन्होंने आगे बताया कि फिल्म फेस्टिवल में अपनी फिल्म की स्क्रीनिंग करना कितना आसान है।
नवाजुद्दीन सिद्दीकी की कान में फिल्म स्क्रीनिंग पर दो टूक
नवाजुद्दीन सिद्दीकी इन दिनों अपने बयानों को लेकर चर्चा में हैं
49 साल के नवाजुद्दीन ने कहा कि आप अपनी फिल्म लेते हैं, चाहे वो ऑफिशियल रूप से चुनी गई हो या नहीं। वो कहते हैं, ‘एक ऑडिटोरियम किराए पर लें और मालिक को पैसे दें, अपना रेड कार्पेट खुद बिछाएं, अपने लोगं को ले जाएं, फोटो क्लिक करें और अपनी फिल्म को दर्शकों को दिखाएं। लोग वापस आते हैं और कहते हैं, ‘हमारी फिल्म कान फिल्म फेस्टिवल में दिखाई गई।’
डिप्रेशन को कहा था ‘शहरी बीमारी’
इससे पहले नवाज ने डिप्रेशन को एक ‘शहरी बीमारी’ भी कहा था और तर्क दिया था कि गांव में रहने वाले लोग डिप्रेशन में नहीं जाते हैं और शहरों के लोग अपनी भावनाओं का महिमामंडन करते हैं। हालांकि, इस बयान के बाद उनकी काफी आलोचना हुई थी।
‘द केरल स्टोरी’ बैन का किया था सपोर्ट!
‘द केरल स्टोरी’ पर बैन पर रिएक्शन देते हुए नवाज ने कहा कि अगर कोई फिल्म लोगों को तोड़ रही है और सामाजिक सद्भावना को खलल डार रही है तो यह बेहद गलत है। उन्होंने कहा कि फिल्मों को सामाजिक सद्भाव और एकता को बढ़ावा देना चाहिए, क्योंकि मकसद लोगों को एक साथ लाना है न कि उन्हें तोड़ना।