Bundelkhand News: मनरेगा रोजगार गारंटी योजना में पुरुषों से आगे निकलीं महिलाएं, कंधे से कंधा मिलाकर ले रहीं काम

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Bundelkhand News: मनरेगा रोजगार गारंटी योजना में पुरुषों से आगे निकलीं महिलाएं, कंधे से कंधा मिलाकर ले रहीं काम

Bundelkhand News: मनरेगा रोजगार गारंटी योजना में पुरुषों से आगे निकलीं महिलाएं, कंधे से कंधा मिलाकर ले रहीं काम

बांदा : सरकार की मंशा है कि महिलाओं को हर क्षेत्र में पुरुषों के बराबर दर्जा दिया जाए। सरकार की इस मंशा को महिलाएं धीरे-धीरे सार्थक कर रही हैं। चाहे सेना की बात हो या फिर श्रम की बात हो। हर क्षेत्र में महिलाएं पुरुषों की बराबरी कर रही हैं। अब मनरेगा योजना को ही ले ले। जिसमें प्रचंड गर्मी के बाद भी कड़ी मेहनत मशक्कत करके महिलाओं ने पुरुषों की बराबरी कर ली है। जिले में वित्तीय वर्ष के शुरुआती 3 महीनों में महिलाओं ने इस योजना के अंतर्गत काम करके यह साबित कर दिया है कि वह पुरुषों से पीछे नही हैं।

एक अरब 45 करोड़ का श्रम बजट
केंद्र सरकार की मनरेगा रोजगार महत्वाकांक्षी योजना है। इस योजना के तहत बुंदेलखंड के गांव में पलायन रोकने के लिए लोगों को गांव में ही रोजगार मुहैया कराया जाता है। इसमें 100 दिन का रोजगार देने की गारंटी भी है। इस योजना के तहत गांव के मजदूरों की आजीविका चलती है। साथ ही गांव में विकास कार्यों के साथ-साथ संपत्तियों का सृजन भी होता है। वित्तीय वर्ष 2022- 23 के लिए लगभग एक अरब 45 करोड़ के श्रम बजट को सरकार द्वारा मंजूरी दी गई है।

बराबरी पर डटी आधी आबादी
इसके तहत साल में कई लाख मानव दिवस सृजित किए जाएंगे। वित्तीय वर्ष के 3 माह बीत गए और करीब 90 दिनों में 53 हजार मानव दिवस सृजित किए गए हैं। इनमें 3 लाख 53 हजार महिलाएं शामिल हैं। जो लगभग 50 फीसदी हैं। इस तरह देखा जाए तो गर्मी के 3 महीनों में महिलाओं ने पुरुषों के बराबर श्रम करके पुरुषों की बराबरी की है, और इससे साबित होता है कि महिलाएं श्रम करने में भी पुरुषों से पीछे नही हैं।

23 परिवारों को 100 दिनों का रोजगार

बताते चलें कि मनरेगा योजना के अंतर्गत श्रमिकों को जॉब कार्ड मुहैया कराया जाता है। इसी जॉब कार्ड के आधार पर उन्हें 100 दिन की रोजगार की गारंटी दी गई है। इस वित्तीय वर्ष के शुरुआती 3 महीनों में जिले में 23 परिवारों को 100 दिनों का रोजगार भी मिला है।

गाइड लाइन के तहत महिलाओं को सुविधा
इस बारे में उपायुक्त मनरेगा राघवेंद्र तिवारी का कहना है कि मनरेगा योजना के अंतर्गत काम देने में किसी तरह का भेदभाव नहीं किया जाता है। जिस तरह पुरुषों को काम दिया जाता है उसी प्रकार महिलाओं को भी इस योजना के तहत कार्य दिया जा रहा है। यही वजह है कि 3 माह में जो मानव दिवस सृजित हुए उनमें 50 फीसदी महिलाएं भी शामिल हैं। कार्यक्षेत्र में महिला श्रमिकों को मिलने वाली सुविधाओं का ध्यान रखते हुए उन्हें सभी सुविधाएं भी दी जा रही हैं। उन्होंने बताया कि इस योजना के तहत गांव में ही श्रमिकों को काम मिल जाने से जो श्रमिक काम की तलाश में बाहर चले जाते थे। अब यहां काम पाकर संतुष्ट हैं।
रिपोर्ट- अनिल सिंह

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