Bundelkhand Expressway: तैयार हो गया बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे, अब चित्रकूट से ‘नजदीक’ हुई दिल्ली, जानिए कब उद्घाटन करेंगे PM मोदी h3>
विशाल वर्मा, जालौन: कई वर्षों से पिछड़े क्षेत्रों में गिने जाने वाला बुंदेलखंड अब विकास की नई गाथा लिखने को तैयार है। बुंदेलखंड के चित्रकूट, बांदा, महोबा, जालौन के साथ औरैया और इटावा जिले से होकर गुजरने वाला 296 किमी लंबा बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे लगभग बनकर तैयार है और जल्द ही देश के पीएम नरेंद्र मोदी जालौन से इसका उद्धघाटन भी करेंगे। पीएम मोदी के प्रस्तावित कार्यक्रम को लेकर आलाधिकारी तैयारियां करने में जुटे हुए हैं और अगले माह से यहां से वाहनों का आवागमन शुरू हो जायेगा।
दरअसल, यूपी के नक्शे में बुंदेलखंड की तस्वीर काफी धुंधली थी और पिछड़ापन और बदहाली यहां की तकदीर बन चुका था। इसी तस्वीर को साफ करने के लिए बीजेपी ने अपने मेनिफेस्टो में बुंदेलखंड को प्राथमिकता में रखा और 2017 के चुनावों के बाद यहां पर एक के बाद एक सौगातों की बारिश करना शुरू कर दिया। इसी का नतीजा हुआ कि इस वर्ष हुए विधानसभा के चुनावों में बीजेपी पार्टी ने बुंदेलखंड में दोबारा अपना परचम लहराया और यहां के बाशिंदों को हर घर नल, डिफेंस कॉरिडोर और बुंदेलखंड एक्सप्रेस-वे जैसी योजनाओं से नवाजा। बीजेपी ने अपने पिछले कार्यकाल में बुंदेलखंड एक्सप्रेस वे की आधारशिला रखी और मात्र 27 महीने में एक्सप्रेसवे बनकर तैयार हो गया। ऐसे कयास लगाये जा रहे है कि एक्सप्रेसवे बुंदेलखंड वासियों के लिए विकास की धुरी साबित होगा।
पीएम नरेंद्र मोदी ने रखी थी बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे की नींव
296 किमी लंबा बुंदेलखंड एक्सप्रेस-वे 14849.09 करोड़ की लागत से बनकर लगभग तैयार है। जिसमें भूमि अधिग्रहण की लागत भी शामिल है। उत्तर प्रदेश एक्सप्रेसवे औद्योगिक विकास प्राधिकरण (UPEIDA) द्वारा एक्सप्रेसवे को विकसित किया जा रहा है। देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और सूबे के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के ड्रीम प्रोजेक्ट में शामिल बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे की नींव फरवरी माह में 2019 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रखी थी। पीएम मोदी ने बुंदेलखंड के लोगों के लिये यह बड़ी सौगात दी थी और कहा था कि चित्रकूट से दिल्ली पहुंचने में लोगों को परेशानी नहीं होगी। इसके साथ ही उन्होंने कहा था कि बुंदेलखंड के विकास में यह मील का पत्थर साबित होगा।
सबसे ज्यादा जालौन में हुआ भूमि अधिग्रहण
बुंदेलखंड एक्सप्रेस वे बनकर तैयार है और इसके लिए अब तक कुल 3462.2787 हेक्टेयर भूमि का अधिग्रहण किया गया है। जून की प्रगति रिपोर्ट के आधार पर कुल मिलाकर 881 ढांचे में से 874 ढांचे को तैयार कर लिया गया है। कुल 7 जिलों के 182 गांवों में 3653.6683 हेक्टेयर भूमि का अधिग्रहण किया गया। इसमें किसानों को भुगतान के लिए 19775972743 (करोड़) रूपये की राशि निर्गत की गई। अगर जिलेवार भूमि अधिग्रहण की बात करें तो चित्रकूट में (9.60) बांदा (61.31) हमीरपुर (63.04) महोबा (24.28) जालौन (77.85) औरैया (44.02) इटावा (15.18) हेक्टेयर भूमि का अधिग्रहण किया गया है।
औधौगिक गलियारा बनेगा बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे
सरकार ने बुंदेलखंड वासियों को एक्सप्रेस वे के साथ ही बुंदेलखंड में डिफेंस इंडस्ट्रियल कॉरिडोर जैसी बड़ी परियोजना की सौगातों को शामिल किया है। इस क्षेत्र के झांसी और चित्रकूट में रक्षा उत्पादन इकाइयों की स्थापना की जमीन सरकार ने तैयार की है। यूपीडा सीईओ का मानना है कि एक्सप्रेसवे बनने से बुंदेलखंड विकास की मुख्यधारा में शामिल होगा। इस क्षेत्र में निवेश करने को उद्यमी आकर्षित होंगे। एक्सप्रेसवे के दोनों किनारों पर औद्योगिक गलियारा बनाया जाएगा। अब तक पिछड़े रहे इस क्षेत्र में रोजगार की असीम संभावनाएं जन्म लेगीं। इसके साथ ही बेरोजगारी की समस्या भी खत्म होगी। कोरोना काल में अपने घर वापस लौटे 50 हजार से ज्यादा मजदूरों को इसमें रोजगार मिल चुका है।
7 जिलों के 200 गांव होंगे लाभान्वित, सबसे ज्यादा जालौन के गांव शामिल
बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे में शामिल बुंदेलखंड के पांच जनपदों सहित सभी सातों जिलों के 200 से भी ज्यादा गांवों के लोग लाभान्वित होंगे। इसमें बुंदेलखंड के 150 से ज्यादा गांव भी शामिल हैं। बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे छह लेन का होगा, लेकिन फिलहाल पक्की सड़क सिर्फ चार लेन की होगी। इनकी चौड़ाई 110 मीटर होगी। दो लेन बाद में विस्तारित किए जाएंगे। पैदल चलने वाले राहगीरों और पशुओं के लिए अंडरपास भी बनाया जाएगा। पूरे एक्सप्रेसवे में चार रेलवे ओवरब्रिज, 11 बड़े पुल (दीर्घ सेतु), छह टोल प्लाजा, सात रैंप प्लाजा, 266 छोटे पुल (लघु सेतु) और 18 फ्लाई ओवर भी बनाए गए हैं। बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे जिन जनपदों के गांवों से गुजर रहा है। उसमें सबसे ज्यादा 64 गांव जालौन जनपद के हैं। औरैया जिले में 37, हमीरपुर जिले में 29, बांदा जिले में 28, चित्रकूट जिले में 9, महोबा जिले में 8 और इटावा जिले के 7 गांव शामिल हैं।
1.89 लाख छोटे व 1261 बड़े पेड़ चढ़े भेंट
यूपीडा के द्वारा पेश की गई रिपोर्ट के मुताबिक बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे निर्माण में पेड़-पौधों को भी बलि देनी पड़ी है। सातों जिलों में 1,89,036 पौधे (छोटे पेड़) और 1261 वृक्ष (बड़े पेड़) काटे गए हैं। सबसे ज्यादा 625 बड़े पेड़ बांदा में एक्सप्रेसवे की भेंट चढ़े हैं। इसके अलावा हमीरपुर जिले में 286, चित्रकूट जिले में 159, महोबा जिले में 86, जालौन जिले में 97 और औरैया में आठ बड़े पेड़ों को काटा जाना बताया गया है। यूपीडा के मुताबिक, इटावा में कोई बड़ा पेड़ नहीं कटा है। इस बात का जिक्र यूपीडा ने आरटीआई में किया है।
टोल टैक्स देकर ही दौड़ेंगे वाहन
बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे का सफर मुफ्त नहीं होगा। एक्सप्रेस-वे पर दौड़ने वाले वाहनों को टोल टैक्स भी अदा करना होगा। यूपीडा के मुताबिक, पूरे 296 किलोमीटर लंबे एक्सप्रेसवे में 13 स्थानों पर टोल टैक्स लिया जाएगा। अलबत्ता, किसी भी स्थान से प्रवेश करने पर एक बार टोल टैक्स देना होगा। यह सूचना आरटीआई में दी गई है।
बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे परियोजना से लाभ
एक्सप्रेसवे के निर्माण से बुंदेलखंड क्षेत्र को आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस-वे और यमुना एक्सप्रेसवे के जरिए तेज और सुगम यातायात कॉरिडोर से जोड़ा जाएगा। बुंदेलखंड क्षेत्र के विकास की राह विकसित होगी। एक्सप्रेसवे के नियंत्रित होने से ईंधन की खपत में महत्वपूर्ण बचत और प्रदूषण पर नियंत्रण भी संभव होगा। परियोजना के अंतर्गत आने वाला क्षेत्र आर्थिक और सामाजिक रूप से विकसित होगा साथ ही कृषि, वाणिज्य, पर्यटन और औद्योगिक आय में भी वृद्धि होगी।
विभिन्न निर्माण इकाइयों, विकास केंद्रों और कृषि उत्पादक क्षेत्रों को राष्ट्रीय राजधानी से जोड़ने के लिए, एक्सप्रेसवे के अंतर्गत आने वाले क्षेत्रों में स्थापित, एक औद्योगिक गलियारा विकसित किया जाएगा जो क्षेत्र के ओमनी दिशात्मक विकास में सहायता करेगा। एक्सप्रेसवे के समीप औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान, शिक्षण एवं प्रशिक्षण संस्थान एवं चिकित्सा संस्थान आदि की स्थापना के भी अवसर प्राप्त होंगे। एक्सप्रेसवे हथकरघा उद्योग, खाद्य प्रसंस्करण इकाइयों, भंडारण, बाजार और दूध आधारित उद्योगों की स्थापना के लिए उत्प्रेरक का काम करेगा।
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पीएम नरेंद्र मोदी ने रखी थी बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे की नींव
296 किमी लंबा बुंदेलखंड एक्सप्रेस-वे 14849.09 करोड़ की लागत से बनकर लगभग तैयार है। जिसमें भूमि अधिग्रहण की लागत भी शामिल है। उत्तर प्रदेश एक्सप्रेसवे औद्योगिक विकास प्राधिकरण (UPEIDA) द्वारा एक्सप्रेसवे को विकसित किया जा रहा है। देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और सूबे के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के ड्रीम प्रोजेक्ट में शामिल बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे की नींव फरवरी माह में 2019 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रखी थी। पीएम मोदी ने बुंदेलखंड के लोगों के लिये यह बड़ी सौगात दी थी और कहा था कि चित्रकूट से दिल्ली पहुंचने में लोगों को परेशानी नहीं होगी। इसके साथ ही उन्होंने कहा था कि बुंदेलखंड के विकास में यह मील का पत्थर साबित होगा।
सबसे ज्यादा जालौन में हुआ भूमि अधिग्रहण
बुंदेलखंड एक्सप्रेस वे बनकर तैयार है और इसके लिए अब तक कुल 3462.2787 हेक्टेयर भूमि का अधिग्रहण किया गया है। जून की प्रगति रिपोर्ट के आधार पर कुल मिलाकर 881 ढांचे में से 874 ढांचे को तैयार कर लिया गया है। कुल 7 जिलों के 182 गांवों में 3653.6683 हेक्टेयर भूमि का अधिग्रहण किया गया। इसमें किसानों को भुगतान के लिए 19775972743 (करोड़) रूपये की राशि निर्गत की गई। अगर जिलेवार भूमि अधिग्रहण की बात करें तो चित्रकूट में (9.60) बांदा (61.31) हमीरपुर (63.04) महोबा (24.28) जालौन (77.85) औरैया (44.02) इटावा (15.18) हेक्टेयर भूमि का अधिग्रहण किया गया है।
औधौगिक गलियारा बनेगा बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे
सरकार ने बुंदेलखंड वासियों को एक्सप्रेस वे के साथ ही बुंदेलखंड में डिफेंस इंडस्ट्रियल कॉरिडोर जैसी बड़ी परियोजना की सौगातों को शामिल किया है। इस क्षेत्र के झांसी और चित्रकूट में रक्षा उत्पादन इकाइयों की स्थापना की जमीन सरकार ने तैयार की है। यूपीडा सीईओ का मानना है कि एक्सप्रेसवे बनने से बुंदेलखंड विकास की मुख्यधारा में शामिल होगा। इस क्षेत्र में निवेश करने को उद्यमी आकर्षित होंगे। एक्सप्रेसवे के दोनों किनारों पर औद्योगिक गलियारा बनाया जाएगा। अब तक पिछड़े रहे इस क्षेत्र में रोजगार की असीम संभावनाएं जन्म लेगीं। इसके साथ ही बेरोजगारी की समस्या भी खत्म होगी। कोरोना काल में अपने घर वापस लौटे 50 हजार से ज्यादा मजदूरों को इसमें रोजगार मिल चुका है।
7 जिलों के 200 गांव होंगे लाभान्वित, सबसे ज्यादा जालौन के गांव शामिल
बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे में शामिल बुंदेलखंड के पांच जनपदों सहित सभी सातों जिलों के 200 से भी ज्यादा गांवों के लोग लाभान्वित होंगे। इसमें बुंदेलखंड के 150 से ज्यादा गांव भी शामिल हैं। बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे छह लेन का होगा, लेकिन फिलहाल पक्की सड़क सिर्फ चार लेन की होगी। इनकी चौड़ाई 110 मीटर होगी। दो लेन बाद में विस्तारित किए जाएंगे। पैदल चलने वाले राहगीरों और पशुओं के लिए अंडरपास भी बनाया जाएगा। पूरे एक्सप्रेसवे में चार रेलवे ओवरब्रिज, 11 बड़े पुल (दीर्घ सेतु), छह टोल प्लाजा, सात रैंप प्लाजा, 266 छोटे पुल (लघु सेतु) और 18 फ्लाई ओवर भी बनाए गए हैं। बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे जिन जनपदों के गांवों से गुजर रहा है। उसमें सबसे ज्यादा 64 गांव जालौन जनपद के हैं। औरैया जिले में 37, हमीरपुर जिले में 29, बांदा जिले में 28, चित्रकूट जिले में 9, महोबा जिले में 8 और इटावा जिले के 7 गांव शामिल हैं।
1.89 लाख छोटे व 1261 बड़े पेड़ चढ़े भेंट
यूपीडा के द्वारा पेश की गई रिपोर्ट के मुताबिक बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे निर्माण में पेड़-पौधों को भी बलि देनी पड़ी है। सातों जिलों में 1,89,036 पौधे (छोटे पेड़) और 1261 वृक्ष (बड़े पेड़) काटे गए हैं। सबसे ज्यादा 625 बड़े पेड़ बांदा में एक्सप्रेसवे की भेंट चढ़े हैं। इसके अलावा हमीरपुर जिले में 286, चित्रकूट जिले में 159, महोबा जिले में 86, जालौन जिले में 97 और औरैया में आठ बड़े पेड़ों को काटा जाना बताया गया है। यूपीडा के मुताबिक, इटावा में कोई बड़ा पेड़ नहीं कटा है। इस बात का जिक्र यूपीडा ने आरटीआई में किया है।
टोल टैक्स देकर ही दौड़ेंगे वाहन
बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे का सफर मुफ्त नहीं होगा। एक्सप्रेस-वे पर दौड़ने वाले वाहनों को टोल टैक्स भी अदा करना होगा। यूपीडा के मुताबिक, पूरे 296 किलोमीटर लंबे एक्सप्रेसवे में 13 स्थानों पर टोल टैक्स लिया जाएगा। अलबत्ता, किसी भी स्थान से प्रवेश करने पर एक बार टोल टैक्स देना होगा। यह सूचना आरटीआई में दी गई है।
बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे परियोजना से लाभ
एक्सप्रेसवे के निर्माण से बुंदेलखंड क्षेत्र को आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस-वे और यमुना एक्सप्रेसवे के जरिए तेज और सुगम यातायात कॉरिडोर से जोड़ा जाएगा। बुंदेलखंड क्षेत्र के विकास की राह विकसित होगी। एक्सप्रेसवे के नियंत्रित होने से ईंधन की खपत में महत्वपूर्ण बचत और प्रदूषण पर नियंत्रण भी संभव होगा। परियोजना के अंतर्गत आने वाला क्षेत्र आर्थिक और सामाजिक रूप से विकसित होगा साथ ही कृषि, वाणिज्य, पर्यटन और औद्योगिक आय में भी वृद्धि होगी।
विभिन्न निर्माण इकाइयों, विकास केंद्रों और कृषि उत्पादक क्षेत्रों को राष्ट्रीय राजधानी से जोड़ने के लिए, एक्सप्रेसवे के अंतर्गत आने वाले क्षेत्रों में स्थापित, एक औद्योगिक गलियारा विकसित किया जाएगा जो क्षेत्र के ओमनी दिशात्मक विकास में सहायता करेगा। एक्सप्रेसवे के समीप औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान, शिक्षण एवं प्रशिक्षण संस्थान एवं चिकित्सा संस्थान आदि की स्थापना के भी अवसर प्राप्त होंगे। एक्सप्रेसवे हथकरघा उद्योग, खाद्य प्रसंस्करण इकाइयों, भंडारण, बाजार और दूध आधारित उद्योगों की स्थापना के लिए उत्प्रेरक का काम करेगा।