Budget 2023 PMVIKAS: विश्वकर्मा समाज को साधने की तैयारी… यूपी में OBC पॉलिटिक्स ऐसे हो जाएगी मजबूत

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Budget 2023 PMVIKAS: विश्वकर्मा समाज को साधने की तैयारी… यूपी में OBC पॉलिटिक्स ऐसे हो जाएगी मजबूत

Budget 2023 PMVIKAS: विश्वकर्मा समाज को साधने की तैयारी… यूपी में OBC पॉलिटिक्स ऐसे हो जाएगी मजबूत


लखनऊ: केंद्रीय बजट 2023-24 को चुनावी बजट के रूप में भी देखा जा रहा है। केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल के आखिरी बजट में हर वर्ग को साधने का प्रयास किया गया। मोदी सरकार ने नौकरीपेशा के लिए बड़ा ऐलान किया। आयकर छूट की सीमा 7 लाख रुपये बढ़ा दी गई। नए टैक्स स्लैब को भी जारी किया गया है। इस मामले ने सबसे अधिक सुर्खियां बटोर ली हैं। लेकिन, इसके साथ-साथ कई ऐसी घोषणाएं हुई हैं, जो एक बड़े वर्ग को प्रभावित करती दिख रही है। प्रधानमंत्री विश्वकर्मा कौशल सम्मान योजना की घोषणा इसी में से एक है। इस योजना के तीत पारंपरिक और स्किल्ड प्रोफेशन में लगे लोगों को इसके जरिए फायदा पहुंचाया जाएगा। योजना के जरिए उनके स्किल को और बेहतर बनाने की योजना पर काम होगा। इसके अलावा उन्हें नई टेक्नोलॉजी से लैस करने और जरूरत के हिसाब से फंड की उपलब्धता की व्यवस्था होगी। इसके अलावा उन्हें अन्य सुविधाएं देने की योजना है। विश्वकर्मा सम्मन को यूपी के हिसाब से देखें तो यह एक ऐसे वर्ग को साधने की कोशिश है, जो हमेशा से फ्लोटिंग वोटर के रूप में मानी जाती रही है।

गैर यादव ओबीसी राजनीति को साधने की तैयारी

वर्ष 2014 में नरेंद्र मोदी सरकार को केंद्र की सत्ता तक पहुंचाने में ओबीसी वर्ग की बड़ी भूमिका रही थी। उत्तर प्रदेश में पीएम नरेंद्र मोदी के साथ गैर यादव ओबीसी का हमेशा जुड़ाव रहा है। वर्ष 2017 और 2022 के विधानसभा चुनाव और लोकसभा चुनाव 2019 में यह वर्ग भारतीय जनता पार्टी के साथ रहा। पिछले दिनों में ओबीसी का मुद्दा बड़े स्तर पर गरमाया है। स्वामी प्रसाद मौर्य को साथ लाकर समाजवादी पार्टी एक अलग तरह की राजनीति करती दिख रही है। ओबीसी और दलितों को साधने की विपक्ष की कोशिशों को देखते हुए पीएम विकास योजना को एक अलग नजरिए से देखा जा रहा है।

यूपी में योगी सरकार ने इस प्रकार के कारीगरों को एक बड़ा बाजार उपलब्ध कराने के लिए ओडीओपी योजना शुरू की। इसमें जिलों के उत्पादों को बाजार तक सरकार के जरिए पहुंचाने का प्रयास किया गया है। इससे विलुप्त होते उत्पादों को न केवल बाजार मिला। उत्पादन बढ़ा। बल्कि, ग्रामीण स्तर पर अर्थव्यवस्था को बेहतर बनाने में मदद मिली है। अब केंद्र सरकार ने इस वर्ग की महत्ता को बढ़ाकर कुटीर उद्योगों को बड़े स्तर पर बेहतर बनाने की योजना पर काम शुरू किया है।

क्या है सरकार की घोषणा

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने पारंपरिक और कौशल से जुड़े कार्य में लगे लोगों को विश्वकर्मा सम्मान योजना से जोड़ने की योजना बनाई है। इसके लिए देश की 140 जातियों को फायदा दिलाने की योजना है। इसमें मुख्य रूप से अचार, दास, अचारी, देवगन, आचार्य थैचर, देवकमलाकर, अचारी, धीमान, आचार्य, ढोले, एक्कासले, द्विवेदी, अर्कासल्ली, गज्जर, असारी, गीड, असारी ओड्डी और गज्जिगर शामिल हैं। इनके अलावा असला, गिज्जेगरा, औसुल या कंसाली, माशूक, बधेल, गुर्जर, बदिगर, जैंगर, बग्गा, जांगिड़, बैलापाथारा, कलसी, बैलुकम्मारा, कमार, भादिवाडला, कंबारा, भारद्वाज, कम्मालन, बिधानी, कमलार, विश्वकर्मा, कमलार, बोगारा, कम्मारा, बोस, कम्मारी, ब्रह्मलु, कम्मियार, चारी और कमसला शामिल हैं। साथ ही, चतुर्वेदी, कंसाली, चेट्टियन, कांचरी, चिक्कमने, कंचुगारा, चिपेगारा, कन्नालन, चोल, कन्नालर, चौधरी और कन्नार (पीतल का काम करने वाला) को भी पीएम विकास के दायरे में रखा गया है।

पीएम विकास के दायरे में आने वाली जातियों में कंसाला, रावत, कंसन, रायकर, कंशाली, सागर, करगथरा, साहू, कर्माकर, सरवरिया, कॉलर (लोहार), शर्मा, कॉलर पोंकोलर, शिल्पी, केसर, शिल्पी, कुलाचर, सिन्हा, कुलारिया, सोहागर, लाहौर, सोनगरा, लौता, सोनार, लोहार, सोनी, महुलिया, सुथार, मैथिल, स्वर्णकार, मालवीय, ठाकुर, मलिक, ताम्रकार शामिल हैं। साथ ही, राना, राधिया, राव, पल्लीवल, रस्तोगी और मधुकर को भी इस दायरे में रखा गया है।

विश्वकर्मा सम्मान के दायरे में आने वाली जातियों में मालवीय, टमटा, माताचार, तारखान, मेस्त्री, थैचर, मेवाड़ा, थाटन, मिस्त्री, उपाध्याय, महापात्र, उपंकर, मोहराना, उत्तरादि (स्वर्णकार), मूलेकामरास, वडला, ओझा, वद्रांसी, पांचाल, वत्स, पांचाल ब्राह्मण, विप्पाता, पंचालार, विश्वब्राह्मण, पंचोली, विश्वकर्मा, पत्थर, विश्वकर्मा मनु, मायाब्रह्म, पथरा परिदा, वक्सली, पत्थर, जिंटा, पातुरकर, प्रजापति (कुंम्हार), पित्रोदा, सतवारा (कडिया), पोरकोलर, झा, राम गड़िया, मारू भी शामिल हैं।

यूपी की राजनीति पर पड़ेगा प्रभाव

यूपी की राजनीति में गैर यादव ओबीसी का झुकाव पिछले करीब एक दशक से भाजपा की ओर है। केंद्र सरकार के ताजा फैसले का असर प्रदेश की राजनीति पर पड़ना तय माना जा रहा है। दरअसल, यूपी की आबादी का करीब 52 फीसदी हिस्सा ओबीसी जातियों का है। इसमें से 43 फीसदी आबादी गैर यादव ओबीसी हैं। यह वर्ग किसी भी दल के साथ स्थायी तौर पर खड़ा नहीं होता है। ऐसे में इस वर्ग को जोड़ने के लिए भाजपा की ओर से विशेष रूप से कार्य करती दिख रही है। यूपी की राजनीति में लोहार और कुम्हार जातियां ओबीसी के दायरे में आती हैं। लोहार जाति के लोग विश्वकर्मा और शर्मा लिखते हैं।

कुम्हार समुदाय के लोग खुद को प्रजापति लिखते हैं। अवध और पूर्वांचल के इलाकों में इन जातियों के लोगों की ठीक-ठाक संख्या है। हालांकि, ये किसी भी उम्मीदवार को जिता तो नहीं पाते हैं। खेल जरूर खराब कर सकते हैं। ऐसे में इस वर्ग की बात लंबे समय से नहीं हो पा रही थी। मोदी सरकार ने इस वर्ग को अपने पाले में बनाए रखने की कोशिश की गई है।

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