अंबेडकर की मूर्ती के भगवाकरण में बसपा ने कुबूला अपना योगदान, भाजपा ने पल्ला झाड़ा

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उत्तर प्रदेश के बंदायूं में बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर की भगवा रंग में रंगी मूर्ती को लेकर विवाद खड़ा हो गया है. बदायूं के कुंवरगांव में कुछ शरारती लोगों ने डॉ. अंबेडकर की प्रतिमा को क्षतिग्रस्त कर दिया था. इस घटना के सामने आने के बाद मूर्ती को दोबारा स्थापित किया गया. लेकिन इस बार नई प्रतिमा नीले रंग की जगह भगवा रंग में पोती गयी. अंबेडकर के कपड़ों को भगवा रंग का दिखाया गया. मूर्ती के भगवाकरण को लेकर विपक्ष हमलावर हो गया था,जिसके बाद विवाद बढ़ता देख अंबेडकर की प्रतिमा को नीले रंग में रंग दिया गया.

इस घटना को लेकर उत्तर प्रदेश की योगी सरकार पर सवाल उठे. जिस पर भाजपा ने खुलासा करते हुए बताया है कि बसपा के स्थानीय नेताओं द्वारा ही भीमराव अंबेडकर की भगवा रंग वाली प्रतिमा पसंद की गई थी. इतना ही नही स्थानीय लोगों ने भी इसकी सहमति दी थी. यही वजह है कि अब बीजेपी इस मुद्दे पर हमलावर हो गई है. भाजपा के प्रवक्ता चंद्रमोहन का कहना है कि इसमें प्रशासन का कोई रोल नहीं है, यह सरकार को बदनाम करने की साजिश है.

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बता दें कि बाबा साहेब की भगवे रंग की प्रतिमा पर कुछ दलितों ने विरोध जताया था. जिसके बाद खबर आयी कि बसपा के स्थानीय नेता हेमेंद्र गौतम ने प्रतिमा को फिर से नीले रंग में रंग दिया. अब भाजपा ने खुलासा किया है कि बसपा नेताओं ने यह कहकर प्रतिमा का भगवा रंग पसंद किया था कि भगवान गौतम बुद्ध भी भगवा रंग पहनते थे, फिर अब क्यों प्रतिमा को नीले रंग में रंगा गया? दिलचस्प बात ये है कि बसपा ने भी अब एक पत्र जारी कर इस बात को कबूल कर लिया है कि बीआर अंबेडकर की भगवा मूर्ति उन्हीं के द्वारा पसंद की गई थी.

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वहीं जब इस मामले पर मीडिया ने बसपा नेता हेमेंद्र गौतम से सवाल किए तो वो सवालों को टालते नज़र आए और बिना कुछ बोले ही चले गए. उल्लेखनीय है कि कुछ दिनों पहले ही एससी-एसटी एक्ट में बदलाव को लेकर देशभर में दलित समुदाय के लोग सड़कों पर उतर आए थे और जमकर बवाल किया था. इसके बाद से ही भाजपा सरकार दलितों के निशाने पर है. यही वजह है कि भाजपा सरकार आंबेडकर जयंती की तैयारियों में जुट गई है और पार्टी की कोशिश है कि बाबा साहब भीमराव अंबेडकर की जयंती को धूमधाम तरीके से मनाकर दलितों की नाराज़गी कुछ कम की जा सके.