Brijesh Singh: ब्रजेश सिंह वाराणसी जेल से रिहा, याद आई वो 14 साल पुरानी गिरफ्तारी की कहानी

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Brijesh Singh: ब्रजेश सिंह वाराणसी जेल से रिहा, याद आई वो 14 साल पुरानी गिरफ्तारी की कहानी

Brijesh Singh: ब्रजेश सिंह वाराणसी जेल से रिहा, याद आई वो 14 साल पुरानी गिरफ्तारी की कहानी

Brijesh Singh released from Varanasi Jail: माफिया डॉन बृजेश सिंह 14 साल बाद वाराणसी सेंट्रल जेल से रिहा हो गए। इलाहाबाद हाई कोर्ट से जमानत मिलने के बाद उनकी रिहाई हो गई। दिल्ली पुलिस ने उन्हें 14 साल पहले भुवनेश्वर से गिरफ्तार किया था।

 

हाइलाइट्स

  • बृजेश सिंह 14 साल बाद हुए वाराणसी जेल से रिहा
  • 2008 में भुवनेश्वर से दिल्ली पुलिस ने किया था गिरफ्तार
  • बृजेश सिंह को इलाहाबाद हाई कोर्ट से मिली जमानत
  • उसरी चट्‌टी कांड में जमानत मिलने के बाद हुई है रिहाई
वाराणसी: उत्तर प्रदेश के वाराणसी सेंट्रल जेल के बाहर गुरुवार की शाम भारी भीड़ जुटी हुई थी। पूर्वांचल के बाहुबल कहे जाने वाले बृजेश सिंह की रिहाई की खबर हर तरफ फैली हुई थी। जैसे ही बृजेश सिंह जेल से बाहर निकले उनके समर्थकों ने फूल-मालाओं से उन्हें लाद दिया। 14 साल बाद उनकी जेल से रिहाई हो गई। 24 फरवरी 2008 को उनकी गिरफ्तारी दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने भुवनेश्वर से उन्हें गिरफ्तार किया था। बृजेश सिंह वहां नाम बदलकर रह रहे थे। कहा जाता है कि वे वहां अरुण कुमार के नाम से रह रहे थे। बृजेश सिंह पर माफिया डॉन मुख्तार अंसारी के खिलाफ हत्या का षडयंत्र रचने और जानलेवा हमले का भी आरोप लगा। उनकी गिरफ्तारी 15 जुलाई 2001 की गाजीपुर मुहम्मदाबाद के उसरी चट्टी में हुए गैंगवार मामले में हुई थी। इसी मामले में 21 साल बाद इलाहाबाद हाई कोर्ट ने उन्हें जमानत दी। इलाहाबाद हाई कोर्ट से गुरुवार की देर शाम जमानत का कागजात पहुंचने के बाद बृजेश सिंह की रिहाई हो गई। रिहाई के बाद वे वाराणसी के सिद्धगिरीबाज स्थित अपने घर पहुंचे।

किस मामले में बंद थे सुरेंद्र सिंह?
गाजीपुर मुहम्मदाबाद के उसरी चट्टी में 15 जुलाई 2001 को हुई गैंगवार के आरोपी बृजेश सिंह को इसी आरोप में जेल भेजा गया गया था। वर्ष 2008 से ही वे इस मामले में जेल में बंद थे। पूर्वांचल में उनकी माफिया मुख्तार अंसारी से कभी नहीं बनी। दोनों के बीच हमेशा विवाद चलता रहा। यही विवाद वर्ष 2001 में गैंगवार का रूप ले लिया। बृजेश सिंह और मुख्तार अंसारी की सीधी गैंगवार में 2 लोगों की हत्या हुई थी। इस गैंगवार में मुख्तार घायल हुए थे। मुख्तार ने इस मामले में बृजेश सिंह के खिलाफ केस दर्ज कराया था। उन्होंने काफिले पर अचानक हमला करने और गनर की हत्या का आरोप लगाया।

घटना के बाद बृजेश सिंह काफी समय तक फरार रहे। उनकी हत्या की भी अफवाह उड़ती रही। लोगों के बीच हत्या की अफवाह के बीच वे ओडिशा के भुवनेश्वर पहुंच गए। वहां वे नाम बदलकर रहने लगे। उन्होंने अपना नाम अरुण कुमार रखा था। वर्ष 2008 में भुवनेश्वर से ही दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने उन्हें गिरफ्तार किया। गिरफ्तारी के बाद देश की अलग-अलग अदालतों में दर्ज मुकदमों पर सुनवाई होने लगी।

जमानत मिलने के बाद हुई रिहाई
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने उसरी चट्‌टी कांड में बृजेश सिंह को जमानत दी। उनकी रिहाई का आदेश वाराणसी सेंट्रल जेल के जेलर सूबेदार यादव के पास गुरुवार की शाम को पहुंचा। इसके बाद कानूनी प्रक्रिया शुरू हुई। शाम करीब सात बजे बृजेश सिंह को रिहा कर दिया गया। बृजेश सिंह की रिहाई की सूचना मिलते ही दर्जनों गाड़ियों का काफिला सेंट्रल जेल के बाहर पहुंच गया। जेल से बाहर निकलने ही समर्थकों ने जश्न मनाना शुरू किया। बृजेश सिंह को पहले ही कई मामलों में बरी किया गया था। अब उसरी चट्‌टी कांड में जमानत के बाद उनकी रिहाई हो गई।

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Web Title : Hindi News from Navbharat Times, TIL Network

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