रोहिंग्या मुसलमानों की उम्मीद तोड़ते हुये म्यांमार ने सयुंक्त राष्ट्र का दौरा रद्द किया

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रोहिंग्या मुसलमानों का मुद्दा आज दुनिया के सबसे बड़े मुद्दों में से एक है. उनकी स्थिति मानवाधिकारों के नज़रिए से चिंता का विषय बन चुकी है. दूसरे देश में शरण पाने की फ़िक्र हो या अस्तित्व बचाने से लेकर भविष्य का सवाल- रोहिंग्या मुसलमानों के सामने अंधेरा ही अंधेरा है.

रोहिंग्या मुसलमानों पर बेहद गरीब होने के अलावा आतंकियों से जुड़े रहने का आरोप भी लगता रहा है. यही कारण है कि ये जिस देश में भी पनाह लेते हैं. इन्हें कोई शरण देने को राज़ी नहीं होता.

भारतीय सीUn -मा सुरक्षा बल (BSF) पर भी आरोप है कि वे बच्चों, विकलांगों और गर्भवती महिलाओं सहित नये शरणार्थियों को भारत में घुसने से जबरन रोक रहा है. शरणार्थियों ने रोहिंग्या मुस्लिमों को म्यामांर भेजने के सरकार के फैसले के खिलाफ शीर्ष अदालत से गुहार लगाई थी. अदालत ने इस फैसले की सुनवाई के लिए अगली तारीख ८ मार्च रखी है.

 

हिंसा के बाद सड़क पर आ गए रोहिंग्या मुसलमान
25 अगस्त 2017 के बाद से शुरू हुई हिंसा के ताज़ा दौर में लाखों लोगों को घर-बार छोड़ना पड़ा था. करीब 7,00,000 रोहिंग्या लोगों ने पड़ोसी देश बांग्लादेश में बने शिविरों में पनाह ली. संयुक्त राष्ट्र ने बांग्लादेश में शरण लेने की कार्रवाई को हटा दिया था.

बता दें कि म्यांमार सरकार ने कहा था कि फरवरी में रोहिंग्या शरणार्थी संकटों का जमीनी स्तर पर जायजा लिया जाएगा. लेकिन संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के अध्यक्ष के द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार म्यांमार सरकार ने फरवरी में जायजा लेने से इनकार किया है और कहा है कि जायजा लेने के लिए फरवरी ‘सही समय नहीं है’.

म्यांमार सरकार ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के रोहिंग्या मामले में दौरे के प्रस्ताव को खारिज कर दिया है. राजदूत मंसूर अल-ओताइबी ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि म्यांमार मार्च-अप्रैल में होने वाले दौरे का विरोध नहीं कर रहा है. उन्होंने संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में पत्रकारों से कहा कि म्यांमार को केवल यह लगता है कि यह समय दौरे के लिए सही नहीं है. बता दें कि मंसूर अल-ओताइबी फरवरी में परिषद की अध्यक्षता कर रहे हैं.

सुप्रीम कोर्ट का आदेश

सुप्रीम कोर्ट ने अगले आदेश तक रोहिंग्याओं को बाहर करने से मना किया था. इन दिनों म्यांमार की नेता आंग सान सू की भारत आई हुई हैं, ऐसे में इस मुद्दे पर दोनों देशों के बीच बातचीत हो सकती है.