बोफोर्स मामला: हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंची सीबीआई

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64 करोड़ रूपए का बहुर्चिचत बोफोर्स तोप सौदा दलाली कांड एक बार फिर चर्चा में है. 2005 में आरोपियों के खिलाफ उच्च न्यायलय में सारे आरोप निरस्त कर दिए गए थे. दिल्ली उच्चन्यायलय के फैसले को चुनौती देते हुए जाँच ब्यूरो ने आज उच्चतम न्यायालय में इसके खिलाफ एक बार फिर से अपील दायर की है.

जांच ब्यूरो द्वारा उच्च न्यायालय के फैसले को चुनौती देना काफी अहम माना जा रहा है. क्योंकि हाल ही में अटार्नी जनरल के के वेणुगोपाल ने 12 साल बाद अपील दायर नहीं करने की सलाह दी थी. हालांकि विचार विमर्श के बाद विधि अधिकारी अपील दायर करने के पक्ष में हो गये क्योंकि सीबीआई ने उच्च न्यायालय के फैसले को चुनौती देने के लिये कुछ महत्वपूर्ण दस्तावेज और सबूत उनके सामने रखे.

CBI -

ये है बोफोर्स मामला

भारत और स्वीडन की हथियारों का निर्माण करने वाली एबी बोफोर्स के बीच सेना के लिये 155एमएम की 400 हाविट्जर तोपों की आपूर्ति के बारे में 24 मार्च, 1986 में 1437 करोड़ रूपए का सौदा करार हुआ था. इसके कुछ समय बाद ही 16 अप्रैल, 1987 को स्वीडिश रेडियो ने दावा किया था कि इस सौदे में बोफोर्स कंपनी ने भारत के शीर्ष राजनीतिकों और रक्षाकार्मिकों को दलाली दी.

गौरतलब है कि इससे पहले बोफोर्स मामले में हाई कोर्ट के फैसले को चुनौती देने वाली एक अन्य याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के लिए सहमति दे दी थी. जिस पर सुनवाई चल रही है. बीजेपी नेता अजय अग्रवाल ने अर्जी दाखिल कर 64 करोड़ रुपए की दलाली मामले में  हिंदुजा बंधुओं को हाई कोर्ट से आरोपमुक्त किए जाने के फैसले को चुनौती दी थी. पिछली सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने अजय अग्रवाल से पूछा था कि वह बताएं कि अर्जी पर सुनवाई क्यों हो. यह आपराधिक मामला है और अपील पीड़ित या करीबी दायर कर सकता है.

बता दें कि दिल्ली में विशेष सीबीआई अदालत ने चार मार्च, 2011 को आरोप मुक्त कर दिया था. सीबीआई  के मुताबिक देश मेहनत से अर्जित राशि खर्च करना बर्दाश्त नहीं कर सकता क्योंकि इस मामले में पहले ही 250 करोड़ रूपए खर्च हो चुके हैं.