BMC Election: एग्जिट पोल से बीजेपी को BMC में जीत की उम्मीद, चुनाव प्रचार में गुजरात मॉडल का कर सकते हैं प्रयोग
मुंबई: हिमाचल प्रदेश परिणाम को लेकर एग्जिट पोल (Gujrat Exit Poll) का मत बंटा हुआ है, लेकिन गुजरात को लेकर सभी एकमत हैं कि यहां बीजेपी पूर्ण बहुमत से सत्ता में वापसी कर रही है। गुजरात और महाराष्ट्र की सीमा सटी होने से इसका असर आगामी बीएमसी चुनाव पर भी पड़ने की उम्मीद है। बीजेपी नेता गुजरात एग्जिट पोल से इतने उत्साहित हैं कि वे अभी से बीएमसी में बीजेपी के सत्ता पर काबिज होने का दावा करने लगे हैं। वर्ष 2017 के बीएमसी चुनाव में 82 सीट जीतने वाली बीजेपी (BJP) ने अब की बार 150 सीटें जीतने का लक्ष्य रखा है। वहीं, कांग्रेस को दिल्ली की तरह मुंबई में भी आम आदमी पार्टी का डर सता रहा है। कांग्रेस नेताओं का कहना है कि बीएमसी चुनाव (BMC Election) में यदि बीजेपी और दूसरी पार्टियों को हराना है, तो हमें एकजुट होकर लड़ना होगा। कांग्रेस, शिवसेना, एनसीपी (NCP) और वंचित का गठबंधन ही बीजेपी को कड़ी टक्कर दे सकता है। जानकारों का मानना है कि बीएमसी चुनाव में हिंदी भाषी (उत्तर भारतीय, गुजराती, राजस्थानी) निर्णायक भूमिका निभाएंगे। बीएमसी की 227 सीटों में से 105 पर हिंदीभाषी समाज निर्णायक भूमिका निभाता है। करीब डेढ़ करोड़ की आबादी में लगभग 50 लाख हिंदीभाषी मुंबई में रहते हैं।
वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव से पहले तक उत्तर भारतीय समाज कांग्रेस का परंपरागत वोटर था, जो अब बीजेपी के पास चला गया है। जबकि, गुजराती और मारवाड़ी समाज पहले से बीजेपी के साथ है। बीजेपी को इसका फायदा मुंबई में वर्ष 2019 के लोकसभा और विधानसभा चुनाव में मिला था। बीजेपी नेताओं को उम्मीद है कि शिवसेना में फूट का फायदा भी उन्हें मिलेगा। साथ ही, राज ठाकरे की मनसे भी उद्धव ठाकरे को नुकसान पहुंचाएगी।
बीएमसी में गुजरात मॉडल का प्रयोग
बीजेपी ने गुजरात विधानसभा चुनाव में प्रचार के लिए मुंबई से बड़ी संख्या में हिंदी भाषी नेताओं को भेजा था। सूरत सहित अन्य जिलों में इन नेताओं ने प्रचार किया। गुजरात में लंबे समय तक विधानसभा चुनाव प्रचार कर लौटे बीजेपी नेता विनोद मिश्रा ने कहा कि हम गुजरात में बंपर सीटें जीत रहे हैं, इसका फायदा बीजेपी को मुंबई में भी होगा। गुजरात में जिस तरह रणनीति बना कर हमारे नेताओं ने प्रचार किया, वहीं हम बीएमसी चुनाव में भी अपनाएंगे।
कांग्रेस को भी आप से ‘डर’
एग्जिट पोल में कांग्रेस के लिए सिर्फ हिमाचल में उम्मीद है, जबकि गुजरात और दिल्ली एमसीडी चुनाव में उसकी हालत पतली दिख रही है। दिल्ली में आप और बीजेपी की टक्कर में कांग्रेस तीसरे नंबर पर दिख रही है। कांग्रेस नेताओं को आशंका है कि यही हाल बीएमसी चुनाव में भी हो सकता है। बीएमसी में पूर्व नेता विपक्ष रवि राजा ने कहा कि महाराष्ट्र विकास आघाडी में शामिल दलों को बीएमसी चुनाव भी मिल कर लड़ना चाहिए। हम चुनावों में लगातार पिछड़ते जा रहे हैं , हमें मजबूती से मैदान में उतरना होगा।
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वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव से पहले तक उत्तर भारतीय समाज कांग्रेस का परंपरागत वोटर था, जो अब बीजेपी के पास चला गया है। जबकि, गुजराती और मारवाड़ी समाज पहले से बीजेपी के साथ है। बीजेपी को इसका फायदा मुंबई में वर्ष 2019 के लोकसभा और विधानसभा चुनाव में मिला था। बीजेपी नेताओं को उम्मीद है कि शिवसेना में फूट का फायदा भी उन्हें मिलेगा। साथ ही, राज ठाकरे की मनसे भी उद्धव ठाकरे को नुकसान पहुंचाएगी।
बीएमसी में गुजरात मॉडल का प्रयोग
बीजेपी ने गुजरात विधानसभा चुनाव में प्रचार के लिए मुंबई से बड़ी संख्या में हिंदी भाषी नेताओं को भेजा था। सूरत सहित अन्य जिलों में इन नेताओं ने प्रचार किया। गुजरात में लंबे समय तक विधानसभा चुनाव प्रचार कर लौटे बीजेपी नेता विनोद मिश्रा ने कहा कि हम गुजरात में बंपर सीटें जीत रहे हैं, इसका फायदा बीजेपी को मुंबई में भी होगा। गुजरात में जिस तरह रणनीति बना कर हमारे नेताओं ने प्रचार किया, वहीं हम बीएमसी चुनाव में भी अपनाएंगे।
कांग्रेस को भी आप से ‘डर’
एग्जिट पोल में कांग्रेस के लिए सिर्फ हिमाचल में उम्मीद है, जबकि गुजरात और दिल्ली एमसीडी चुनाव में उसकी हालत पतली दिख रही है। दिल्ली में आप और बीजेपी की टक्कर में कांग्रेस तीसरे नंबर पर दिख रही है। कांग्रेस नेताओं को आशंका है कि यही हाल बीएमसी चुनाव में भी हो सकता है। बीएमसी में पूर्व नेता विपक्ष रवि राजा ने कहा कि महाराष्ट्र विकास आघाडी में शामिल दलों को बीएमसी चुनाव भी मिल कर लड़ना चाहिए। हम चुनावों में लगातार पिछड़ते जा रहे हैं , हमें मजबूती से मैदान में उतरना होगा।
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