हम पर ये किसने हरा रंग डाला……

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चुनाव सर पर है और विभिन्न पार्टियों के रंग बदलने अभी से ही शुरू हो गये हैं. एक अखबार में छपे विज्ञप्ति के बाद से ही इस बात को लेकर हलचल मची हुई है. असल में भाजपा के श्रीनगर से लोकसभा प्रत्याशी हैं खालिद जहागीर. एक अखबार में प्रचार के लिए छपे पोस्टर में भाजपा का पूरा का पूरा पोस्टर ही हरा नजर आ रहा है.

सवाल ये है कि आखिर भाजपा की ये कौन सी मजबूरी थी जिसकी वजह से उसे अपने प्रचार का रंग ही बदलना पड़ गया. उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ एक रंग विशेष को जहाँ एक धर्म विशेष से जोड़ते हुए नजर आते हैं वहीं कश्मीर घाटी में भाजपा को चुनाव प्रचार के लिए अपना रंग ही बदलना पड़ जाता है.

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भारत के एक राज्य के मुख्यमंत्री को जहाँ हरे झंडे लहरने से भी आपत्ति है वहीं कश्मीर में पूरा का पूरा पोस्टर ही हरा हो जाने का कोई गुरेज़ ही नही है. आखिर ये दो तरह की राजनीति का खेल सारी जनता के साथ क्यों खेला जा रहा है? वैसे भी भाजपा का राजनितिक जन्म भी हिन्दू-मुस्लिम राजनीति से हुआ है, तो आखिर अब रंग बदली की राजनीति क्यों शुरू हो रही है?

वैसे अभी कुछ दिनों पहले राहुल गाँधी के वायनाड में नामांकन के बाद आईयूएमएल के झंडे में हरे रंग होने के बाद से ही देश में बवाल मचा हुआ था. हरे झंडे का प्रयोग करें से कुछ लोग पूरी कांग्रेस पार्टी को ही पाकिस्तान का हिमाकती बताने में तुले हुए थे. अब जबकि आईयूएमएल भारत की ही एक राजनीतिक पार्टी है, का झंडा लहराना भी आपत्तिजनक घोषित करने की कोशिश की जा रही है.

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अब जबकि भाजपा ने भी खुद को हरे रंग में रंगा है तो आखिर देशद्रोह का सवाल पूछने का हक़ भाजपा को किसने दे दिया? अब यही सवाल है कि क्या अब भाजपा पार्टी नेताओं की बड़े बोल अब रुकेंग? क्या वो अब ऐसे आरोप लगाने बंद कर देंगे? वैसे भाजपा प्रवक्ताओं की तरफ से ऐसे बयान दिए जा रहे हैं कि हरा रंग तो उनके झंडे में पहले से ही मौजूद है. आखिर जब पहले से ही एक रंग विशेष मौजूद है ही तो फिर भगवा रंग की मेनोपोली क्यों थी और कश्मीर में जा कर हरे रंग की मेनोपोली क्यों हो गयी?

बहुत सारे सवाल मतदाताओं के ज़हन में होंगे और शायद वो इसका जवाब आगामी लोकसभा चुनावों में देंगे. लेकिन हमारे मन में ये सवाल तो है ही कि..आखिर ये किसने बीजेपी पर हरा रंग डाला….