गुजरात में बीजेपी की हालत गंभीर, राम नाम की बूटी एकमात्र सहारा

557
गुजरात में बीजेपी की हालत गंभीर, राम नाम की बूटी एकमात्र सहारा

गुजरात चुनाव जैसे-जैसे नजदीक आ रहा है, राम मंदिर का मुद्दा और भी ज्यादा गरम हो रहा है। हर तरफ केवल राम नाम की रट लगाई जा रही है। भाजपा हर तरफ से घिरती नजर आ रही है। ऐसे में उसके पास केवल राम का ही सहारा बचा है। यूपी चुनाव में , जहां राम मंदिर बनना है वहां भी राम की रट इस तरह से नहीं लगाई गई थी। लेकिन गुजरात चुनाव में जिस तरह से न्यूज चैनल से लेकर अदालत और रैलियों में राम राम रटा जा रहा है उससे साफ जाहिर होता है कि गुजरात में बीजेपी की हालत गंभीर है।Gujrat chunaav -

प्रधानमंत्री की रैलियों में मुद्दों की कमी

गुजरात चुनाव में मोदी की तमाम रैलियों की बात की जाए तो ये साफ हो जाता है कि मोदी ने मुद्दों से ज्यादा जनता के बीच गुजराती अस्मिता, गुजरातियों को गदहा कहे जाने, गुजरातियों को नीचा दिखाने या फिर कांग्रेस परिवार पर देश की अनदेखी करने का आरोप लगाते रहे हैं। ताजुब की बात है कि 14 साल तक लगातार गुजरात का मुख्यमंत्री रहने के बाद भी और गुजरात का विकास पुरूष का दावा करने के बावजूद भी उनके पास मुद्दों की कमी है। उनके प्रधानमंत्री जी के पास गुजरात में किए गए विकास के ऊपर बोलने के लिए कुछ भी नहीं है।

राहुल गांधी के सामने घिरते नजर आ रहे हैं

जिन राहुल गांधी को कल बीजेपी वाले पप्पु कहा करते थे आज उनके सामने प्रधानमंत्री घिरते नजर आ रहे हैं। जिन मुद्दों को राहुल गांधी ने गुजरात में उठाया वो वाकयी जनता को भा रहे हैं। लेकिन उसके जवाब में मोदी केवल कांग्रेस की पिछली सरकारों को कोस रहे हैं। मोदी केवल ये बताने में जुटे हैं कि कांग्रेस ने किन-किन महा पुरूषों के साथ बुरा किया और किनके साथ अन्याय किया।

युवा तिकड़ी का खौफ

जिस तरह से पाटीदार आंदोलन और दलितों पर हमले को लेकर हार्दिक और जिग्नेश मेवानी ने मोर्चा संभाला और अल्पेश ठाकोर जैसे युवा ओबीसी नेता ने कांग्रेस का हाथ थामा उससे मोदी निश्चित तौर पर हरे हुए नजर आ रहे हैं। क्योंकि उनको भी पता है कि वो जनता के भले की बात कर रहे हैं जिससे जनता प्रभावित हो रही है। ऐसे में कहीं जनता बिगड़ गई तो गुजरात तो हाथ से गया। क्योंकि अब मुख्यमंत्री के रूप में गुजरात के पास मोदी नहीं हैं।

ऐसे में मोदी को राम का सहारा लेना ही पड़ा और ये एक ऐसा ऑल टाइम मुद्दा है जिसमें भाजपा का हाथ महेशा ही ऊपर होता है और कांग्रेस फंस जाती है। ऐसे में जब एक तरफ राहुल गांधी मंदिर-मंदिर घूम रहे हैं और दूसरी तरफ उनके नेता कपिल सिब्बल सुप्रीम कोर्ट में कहते हैं कि 2019 आम चुनाव तक राम मंदिर की सुनवाई टाल दी जाए तो भाजपा के लिए तो सोने पे सुहागा जैसी बात हो गई ना। बैठे बिठाए बीजेपी को एक ऐसा मुद्दा मिल गया जिससे वो राहुल गांधी को सीधेतौर पर घेर सकते हैं।