BJP के इस दिग्गज नेता ने जीता था छिंदवाड़ा से चुनाव, Kamalnath की एक भूल बनी थी उनकी हार का कारण

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BJP के इस दिग्गज नेता ने जीता था छिंदवाड़ा से चुनाव, Kamalnath की एक भूल बनी थी उनकी हार का कारण

BJP के इस दिग्गज नेता ने जीता था छिंदवाड़ा से चुनाव, Kamalnath की एक भूल बनी थी उनकी हार का कारण


छिंदवाड़ा: पूर्व मुख्यमंत्री और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ का गढ़ छिंदवाड़ा, बीजेपी के निशाने पर है। केन्द्रीय और प्रदेश नेतृत्व छिंदवाड़ा में चुनाव जीतने के लिए बीजेपी पूरी रणनीति बना रही है। केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह 25 मार्च को छिंदवाड़ा में जनसभा को संबोधित करेंगे। कमलनाथ का गढ़ छिंदवाड़ा बीजेपी पहले भी जीत चुकी है। पूर्व मुख्यमंत्री सुंदरलाल पटवा ने 1996 के उपचुनाव में कमलनाथ को करारी शिकस्त दी थी। उपचुनाव में कमलनाथ को उनके ही घर में एक खास रणनीति के तहत चुनाव हराकर रिकॉर्ड कायम किया था, जिसने कमलनाथ के अभेद किले को भेद दिया था।

तत्कालिक समय में जिला भाजपा के महामंत्री रहे दीनदयाल मोहने बताते हैं कि छिंदवाड़ा में सांसद अलका नाथ को कमलनाथ ने रातों-रात इस्तीफा दिला दिया था। लगभग 8 महीने बाद अचानक निर्वाचित सांसद को इस तरह से पद से इस्तीफा दिलाने को लेकर छिंदवाड़ा जिले में काफी नाराजगी थी। भाजपा ने भी एक महिला का अपमान बताकर पूरे जिले में कैंपेन चलाया था जिसके बाद मध्यावधि चुनाव होने थे, चुनाव को लेकर भाजपा इस मुद्दे को भुनाने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगा रही थी।

बैठक में तय हुआ था सुंदरलाल पटवा का नाम
दीनदयाल मोहने ने बताया कि अलका नाथ के इस्तीफे के बाद मध्यावधि चुनाव से पहले भाजपा पूरे उत्साह के साथ कमलनाथ को सबक सिखाने के मूड में थी। इसलिए तत्कालीन समय में भाजपा के बड़े नेता गंगाराम मिगलानी और पूर्व कैबिनेट मंत्री चौधरी चंद्रभान सिंह के साथ तमाम बड़े नेता भोपाल पहुंचे थे। जहां एक महिला को सांसद पद से इस्तीफा दे लाने के मुद्दे को भुनाने का संकल्प लेकर लोकसभा चुनाव में किसी बड़े उम्मीदवार को चुनाव लड़ा कर कमलनाथ को हराने की रणनीति तैयार की गई थी।

पटवा ने डाला था छिंदवाड़ा में डेरा
तत्कालीन समय में सुंदरलाल पटवा ने पूर्व सीएम कमलनाथ के खिलाफ चुनाव लड़ने के लिए हामी भरते हुए छिंदवाड़ा में डेरा डाल लिया था। उन्होंने लगभग हर विधानसभा क्षेत्र के 20 से 40 गांव में पहुंचकर सभा ली थी। जिसमें उनके निशाने पर महिला का अपमान वाला फैक्टर था। जनता में नाराजगी की लहर को भापते हुए उन्होंने इसी मुद्दे पर चुनाव लड़ा।

दिग्विजय सिंह की थी सरकार
तत्कालीन समय में मध्यप्रदेश में दिग्विजय सिंह सरकार थी। जिस दिन लोकसभा की वोटिंग होनी थी उसके 1 दिन पहले से छिंदवाड़ा जिले में फोर व्हीलर वाहनों पर रोक लगा दी गई थी। सुरक्षा व्यवस्था भी काफी कड़ी थी बाहर से कंपनियां बुलाई गई थी जो सुरक्षा की कमान संभाले थी। ऐसे में चुनाव परिणाम आए तो भाजपा के सुंदरलाल पटवा 38000 वोटों से चुनाव जीते थे।

क्या है मामला
दरअसल, 1996 में कमलनाथ का नाम हवाला कांड में आया था। जिसके बाद चार बार के सांसद कमलनाथ को कांग्रेस ने छिंदवाड़ा से टिकट नहीं दिया था। कमलनाथ ने अपनी जगह अपनी पत्नी अलका नाथ को टिकट दिलाया था। अलका नाथ भारी मतों से चुनाव जीत गईं थी। सासंद नहीं होने के कारण कमलनाथ को लुटियंस जोन में मिला बंगला खाली करने का नोटिस मिला था। ऐसा कहा जाता कमलनाथ ये बगंला खाली नहीं करना चाहते थे वो चाहते थे कि ये बंगला अलका नाथ को मिल जाए लेकिन ऐसा नहीं हुआ।
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जिसके बाद कमलनाथ ने अपनी पत्नी को इस्तीफा देने के लिए कहा। अलका नाथ के इस्तीफे के बाद कमलनाथ ने यहां से चुनाव लड़ा। बीजेपी ने कमलनाथ के खिलाफ 1997 में हुए उपचुनाव में सुंदरलाल पटवा को मैदान में उतार दिया।

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