BJP ने पुरानों पर किया भरोसा, जातीय समीकरण भी परोसा… नामित MLC के मामले में समझिए पार्टी की सोशल इंजीनियरिंग
विधानपरिषद के लिए नामित होने वाले एमएलसी की सूची के जरिए भाजपा ने कार्यकर्ताओं और अजेंडा दोनों को साधने की कोशिश की है। राजभवन भेजी गई इस लिस्ट में पार्टी ने अपने पुराने साथियों पर तो भरोसा किया ही है, साथ ही जातीय समीकरण भी परोसा है। छह एमएलसी के नामों में दो ओबीसी, एक दलित और एक पसमांदा मुसलमान को शामिल कर भाजपा ने अपने अजेंडे को तो धार दी ही है, एक वैश्य और एक ब्राह्मण को शामिल कर अपने परंपरागत वोटरों का भी भरोसा बनाए रखा है।
क्षेत्र के साथ कार्यकर्ता का भी ध्यान
इन एमएलसी के नामों में रजनीकांत माहेश्वरी वैश्य समुदाय से आते हैं। कासगंज के रहने वाले रजनीकांत माहेश्वरी भाजपा के बृज क्षेत्र के पूर्व क्षेत्रीय अध्यक्ष रह चुके हैं। दो बार का कार्यकाल पूरा कर लेने के बाद उन्हें इसी महीने हटाया गया था। काशी क्षेत्र के पूर्व अध्यक्ष महेश श्रीवास्तव और रजनीकांत माहेश्वरी का नाम एमएलसी नामित होने की सूची में सबसे आगे बताया जा रहा था। इनमें संगठन ने रजनीकांत माहेश्वरी पर मुहर लगाई। रजनीकांत ने भाजपा संगठन में वॉर्ड स्तर से अपना करियर शुरू किया था। हटाए गए बाकी तीन अध्यक्षों को पहले ही प्रदेश संगठन में प्रदेश उपाध्यक्ष बनाकर अडजस्ट किया जा चुका है।
वहीं, पिछड़े वर्ग से आने वाले वाराणसी के जिलाध्यक्ष हंसराज विश्वकर्मा ने भी 1989 में बूथ कार्यकर्ता से अपना करियर शुरू किया था। वे पूर्व सीएम कल्याण सिंह के करीबी रहे और लंबे समय तक राम मंदिर आंदोलन से जुड़े रहे। जब कल्याण सिंह ने भाजपा से अलग होकर राष्ट्रीय क्रांति पार्टी बनाई थी तो हंसराज ने भी उनकी पार्टी से विधानसभा चुनाव लड़ा था। वह 2016 से लगातार जिलाध्यक्ष बने हुए हैं।
दलित वर्ग से आने वाले अम्बेडकर महासभा के अध्यक्ष डॉ.लाल जी निर्मल मूल रूप से मीरजापुर के रहने वाले हैं। वह इस सरकार में तब चर्चा में आए थे, जब उन्होंने सीएम योगी को दलित मित्र की उपाधि से सम्मानित किया। इसके बाद उन्हें अनुसूचित जाति वित्त विकास निगम का अध्यक्ष बना दिया गया। वह इससे पहले समाजवादी पार्टी में भी प्रदेश सचिव रह चुके थे। अब लखनऊ में रह रहे डॉ.निर्मल पहले सचिवालय में समीक्षा अधिकारी और फिर अनुसचिव रहे हैं। उनके निमंत्रण पर 2015 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी अंबेडकर महासभा में आए थे। वह सचिवालय कर्मचारी संघ के अध्यक्ष भी रह चुके हैं।
इनके अलावा आजमगढ़ के अधिवक्ता रामसूरत राजभर का नाम भी सूची में शामिल है। पिछड़ा वर्ग से आने वाले रामसूरत राजभर पुराने भाजपा नेता हैं। वह फूलपुर पवई से विधानसभा चुनाव लड़े थे, पर समाजवादी पार्टी के रमाकांत यादव से हार गए थे।
आईआईएम ग्रैजुएट हैं साकेत
एमएलसी के लिए भेजे गए नामों में ब्राह्मण परिवार से आने वाले साकेत मिश्रा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रधान सचिव रह चुके नृपेंद्र मिश्रा के बेटे हैं। दिल्ली के सेंट स्टीफेंस कालेज के अर्थशास्त्र से स्नातक साकेत ने आईआईएम कोलकाता से एमबीए किया और फिर 1994 में आईपीएस भी बने। पूर्वांचल विकास बोर्ड के सदस्य साकेत को आईपीएस की नौकरी रास नहीं आयी और उन्होंने जर्मनी के Deutsche Bank में नौकरी शुरू कर दी। कई इंटरनैशनल बैंकों में रह चुके साकेत मिश्रा पिछले लोकसभा चुनाव में श्रावस्ती से टिकट चाह रहे थे और वहां उन्होंने काम भी शुरू कर दिया था पर उन्हें टिकट नहीं मिला। इस बार भी वह तैयारी कर रहे थे, पर अब उन्हें एमएलसी बनाया जा रहा है।
एएमयू में वीसी हैं डा.तारिक
अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ.तारिक मंसूर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्रशंसा के बाद चर्चा में आए थे। मूल रूप से सर्जन डॉ. तारिक ने अपनी चिकित्सा की पढ़ाई भी एएमयू के जेएन मेडिकल कॉलेज से की थी। एएमयू के 100 वर्ष पूरे होने पर डॉ.तारिक ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी आमंत्रित किया था। उन्होंने विडियो कॉन्फ्रेंसिंग से विश्वविद्यालय की तारीफ की थी। उनका कार्यकाल 2022 में पूरा हो गया था पर उन्हें एक साल का सेवा विस्तार दिया गया है। यह कार्यकाल मई में पूरा हो रहा है। हाल ही में डॉ.तारिक तब चर्चा में आए जब उन्होंने राजस्थान के हिंदू छात्रों को नियमों को दरकिनार कर हॉस्टल दे दिया। इन छात्रों ने आरोप लगाया था कि हिंदू होने के नाते उन्हें हॉस्टल नहीं दिया जा रहा है, जबकि हॉस्टल वरिष्ठता के हिसाब से दिए जाने का नियम था।