BJP के मंत्री बोले- शराबबंदी से बिहार में आर्थिक नुकसान: राजू सिंह ने कहा- CM नीतीश से करेंगे चर्चा, गुजरात की तर्ज पर रियायत देने की कही बात – Patna News

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BJP के मंत्री बोले- शराबबंदी से बिहार में आर्थिक नुकसान:  राजू सिंह ने कहा- CM नीतीश से करेंगे चर्चा, गुजरात की तर्ज पर रियायत देने की कही बात – Patna News
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BJP के मंत्री बोले- शराबबंदी से बिहार में आर्थिक नुकसान: राजू सिंह ने कहा- CM नीतीश से करेंगे चर्चा, गुजरात की तर्ज पर रियायत देने की कही बात – Patna News

बिहार के पर्यटन मंत्री राजू सिंह ने शराबबंदी को लेकर बयान दिया है।

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बिहार के पर्यटन मंत्री राजू सिंह ने शराबबंदी नीति पर रियायत देने की बात कही है। पटना के होटल में रविवार को पीसी के दौरान उन्होंने माना कि शराबबंदी से होटल और फिल्म उद्योग प्रभावित हो रहा है।

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राजू सिंह ने स्पष्ट कहा, ‘इस नीति के चलते इन दोनों क्षेत्रों, होटल और फिल्म इंडस्ट्री को कुछ कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। हालांकि इन समस्याओं को सरकार गंभीरता से ले रही है।

आगे राजू सिंह ने जानकारी दी कि वे जल्द ही इस मुद्दे पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से चर्चा करेंगे। होटल और फिल्म उद्योग को हो रही परेशानियों का हल निकालने की कोशिश की जाएगी।

राजू सिंह के बयान पर राजद प्रवक्ता एजाज अहमद ने भी रिएक्शन दिया है। उन्होंने कहा कि ये लोग शराबबंदी अभियान को विफल करने के प्रयास में लग गए हैं। यह कहीं से उचित नहीं है। अपने ही शपथ से मुकरने वाली उनकी सोच का स्पष्ट प्रमाण है।

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राजद बोला- शपथ लेने वाले ही अभियान को विफल करने में लगे

आगे कहा, ‘सबको पता है कि महागठबंधन सरकार के रहते हुए 30 जनवरी 2016 को बिहार में शराबबंदी लागू हुआ था। इसके लिए मानव श्रृंखला बनाया गया था, जिसमें रिकॉर्ड तोड़ संख्या में लोगों ने शिरकत की थी।

राजद प्रवक्ता एजाज अहमद ने बीजेपी के मंत्री को घेरा है।

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यह गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज किया गया था। अफसोस की बात है कि जिन लोगों ने उस समय शपथ ली थी कि ना पियेंगे और न पीने देंगे, वही लोग कहीं न कहीं शराबबंदी अभियान को विफल करने में लग गए हैं।

ऐसे मामले में राष्ट्रीय जनता दल ने नीतीश सरकार से पूछा है कि आखिर दोहरी नीति और दोहरी विचार नीतीश सरकार के मंत्री की ओर से क्यों आ रही है? क्या नीतीश कुमार की भी राजू सिंह के बयान में सहमति है?

उन्होंने आगे कहा कि बिहार में सबसे पहले शराबबंदी के लिए नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी प्रसाद यादव ने मुहिम चलाई थी। नारा दिया कि हमें शराब नहीं किताब चाहिए, हमें मदिरालय नहीं पुस्तकालय चाहिए। उसी मुहिम में तेजस्वी ने संकल्प लिया था कि हमारी सरकार बनने पर बिहार में शराबबंदी को पूरी तरह से लागू किया जाएगा।

जबकि इससे पहले साल 2005 से 2015 के बीच भाजपा और जदयू ने मिलकर गांव-गांव और पंचायत- पंचायत शराब दुकानें खुलवाई थी। नई शराब प्रोत्साहन नीति के माध्यम से इसे आय एक स्रोत बनाया था।

बिहार में महागठबंधन सरकार के ऐतिहासिक कार्य को कमजोर करने के अभियान में भाजपा के नेता लग गए हैं। इससे यह स्पष्ट होता है कि उनको शराबबंदी का अभियान पच नहीं रहा है।

2016 से शराबबंदी लागू

बिहार में अप्रैल 2016 से पूर्ण शराबबंदी लागू है। हालांकि समय-समय पर इस नीति को लेकर आलोचना और पुनर्विचार की मांग उठती रही है। इससे पहले भी राज्य सरकार के कुछ मंत्री शराबबंदी को लेकर नरम रुख दिखा चुके हैं। या नीति में कुछ छूट की बात कर चुके हैं।

केंद्रीय मंत्री ने मांझी ने भी किया था विरोध

केंद्रीय मंत्री जीतन राम मांझी ने भी शराबबंदी का विरोध करते हुए नियमों के तहत खोलने की बात कही थी। उन्होंने शराबबंदी पर सवाल खड़ा करते हुए कहा था कि शराबबंदी से दलित और अति पिछड़े पर अत्याचार बढ़ा है। जेल में बंद होने वाले अधिकतर लोग दलित ही हैं।

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