Biological Weapons News : CPEC की आड़ में कोरोना से भी खतरनाक जैविक हथियार बना रहे चीन और पाकिस्तान, रिपोर्ट में दावा
इस्लामाबाद: चीन और पाकिस्तान सीपीईसी (China–Pakistan Economic Corridor) की आड़ में खतरनाक जैविक हथियारों (China Pakistan Bio Weapons) पर काम कर रहे हैं। विशेषज्ञों का दावा है कि इन जैविक हथियारों (Biological Weapons) के जरिए धरती से पूरी मानवता को खत्म किया जा सकता है। दरअसल, एक रिपोर्ट में दावा किया गया है कि चीन की वुहान इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी ( Wuhan Institute of Virology) पाकिस्तान के मिलिट्री डिफेंस साइंस ऐंड टेक्नॉलजी ऑर्गनाइजेशन (डीईएसटीओ) के साथ साथ मिलकर पिछले 6 से 7 साल से खतरनाक जैविक हथियारों पर प्रयोग कर रही है। चीन के वुहान इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी को ही कोरोना वायरस का संभावित जन्मस्थान माना जाता है। ऐसे में पाकिस्तान में चीन के जैविक हथियारों की लैब होने से भारत, अमेरिका समेत दुनियाभर के देशों की चिंता बढ़ गई है।
चीन और पाकिस्तान ने की है सीक्रेट डील
ऑस्ट्रेलिया के खोजी अखबार क्लेक्सन में 23 जुलाई 2020 को एक रिपोर्ट में दावा किया था कि पाकिस्तान और चीन ने जैविक हथियारों की क्षमता का विस्तार करने के लिए तीन साल के लिए एक सीक्रेट डील की है। इस रिपोर्ट को लिखने वाले ऐंथनी क्लैन ने दावा किया था कि वुहान लैब ने पाकिस्तान की मिलिट्री डिफेंस साइंस ऐंड टेक्नॉलजी ऑर्गनाइजेशन के साथ उभरती संक्रामक बीमारियों पर रिसर्च और संक्रामक बीमारियों के जैविक नियंत्रण के लिए समझौता किया है। मिलिट्री डिफेंस साइंस ऐंड टेक्नॉलजी सीधे तौर पर पाकिस्तानी सेना के नियंत्रण में है और इसमें सरकार की कोई भूमिका नहीं होती है।
चीन ने जैविक हथियारों के लिए पाकिस्तान को क्यों चुना
रिपोर्ट में बताया गया है कि चीन पहले से ही कोरोना वायरस की उत्पत्ति को लेकर दुनिया के निशाने पर है। ऐसे में चीन को किसी ऐसे देश की तलाश थी, जो गुलाम की तरह रहे और विरोध न करे। ऐसे में चीन को पाकिस्तान में यह संभावना नजर आई, क्योंकि यह देश चीन के कर्ज तले दबा हुआ था। चीन भी अपनी सीमा से बाहर ऐसे प्रॉजेक्ट करना चाहता है ताकि अंतरराष्ट्रीय समुदाय के निशाने पर आने से बच सके। ऐसे में पाकिस्तान में जारी प्रोग्राम को चीन पूरी तरह से फंडिंग उपलब्ध करवा रहा है। इस सीक्रेट प्रोजेक्ट में पाकिस्तान के विश्वविद्यालयों या सरकारी कर्मचारियों को शामिल नहीं किया गया है, ताकि सीक्रेसी बनी रहे।
चीन ने बनाई बॉयोसेफ्टी लेवल-4 फैसिलिटी
चीन और पाकिस्तान की इस लैब को बॉयोसेफ्टी लेवल-4 फैसिलिटी (बीएसएल -4) के नाम से जाना जाता है। अंतरराष्ट्रीय मानकों के तहत, दुनिया में चार बॉयोसेफ्टी लेवल मौजूद हैं, इनमें से बीएसएल -4 को सबसे खतरनाक माना जाता है। बीएसएल -4 फैसिलिटी में सिर्फ उन्हीं संक्रामक एजेंट्स पर काम किया जाता है, जिससे बचाव का कोई टीका या दवा उपलब्ध नहीं होती है। वैश्विक जैव रक्षा विशेषज्ञ डॉ रयान क्लार्क ने कहा कि बीएसएल -4 प्रयोगशालाओं का उपयोग संक्रामक एजेंटों या विषाक्त पदार्थों का अध्ययन करने के लिए किया जाता है।
चीन और पाकिस्तान ने की है सीक्रेट डील
ऑस्ट्रेलिया के खोजी अखबार क्लेक्सन में 23 जुलाई 2020 को एक रिपोर्ट में दावा किया था कि पाकिस्तान और चीन ने जैविक हथियारों की क्षमता का विस्तार करने के लिए तीन साल के लिए एक सीक्रेट डील की है। इस रिपोर्ट को लिखने वाले ऐंथनी क्लैन ने दावा किया था कि वुहान लैब ने पाकिस्तान की मिलिट्री डिफेंस साइंस ऐंड टेक्नॉलजी ऑर्गनाइजेशन के साथ उभरती संक्रामक बीमारियों पर रिसर्च और संक्रामक बीमारियों के जैविक नियंत्रण के लिए समझौता किया है। मिलिट्री डिफेंस साइंस ऐंड टेक्नॉलजी सीधे तौर पर पाकिस्तानी सेना के नियंत्रण में है और इसमें सरकार की कोई भूमिका नहीं होती है।
चीन ने जैविक हथियारों के लिए पाकिस्तान को क्यों चुना
रिपोर्ट में बताया गया है कि चीन पहले से ही कोरोना वायरस की उत्पत्ति को लेकर दुनिया के निशाने पर है। ऐसे में चीन को किसी ऐसे देश की तलाश थी, जो गुलाम की तरह रहे और विरोध न करे। ऐसे में चीन को पाकिस्तान में यह संभावना नजर आई, क्योंकि यह देश चीन के कर्ज तले दबा हुआ था। चीन भी अपनी सीमा से बाहर ऐसे प्रॉजेक्ट करना चाहता है ताकि अंतरराष्ट्रीय समुदाय के निशाने पर आने से बच सके। ऐसे में पाकिस्तान में जारी प्रोग्राम को चीन पूरी तरह से फंडिंग उपलब्ध करवा रहा है। इस सीक्रेट प्रोजेक्ट में पाकिस्तान के विश्वविद्यालयों या सरकारी कर्मचारियों को शामिल नहीं किया गया है, ताकि सीक्रेसी बनी रहे।
चीन ने बनाई बॉयोसेफ्टी लेवल-4 फैसिलिटी
चीन और पाकिस्तान की इस लैब को बॉयोसेफ्टी लेवल-4 फैसिलिटी (बीएसएल -4) के नाम से जाना जाता है। अंतरराष्ट्रीय मानकों के तहत, दुनिया में चार बॉयोसेफ्टी लेवल मौजूद हैं, इनमें से बीएसएल -4 को सबसे खतरनाक माना जाता है। बीएसएल -4 फैसिलिटी में सिर्फ उन्हीं संक्रामक एजेंट्स पर काम किया जाता है, जिससे बचाव का कोई टीका या दवा उपलब्ध नहीं होती है। वैश्विक जैव रक्षा विशेषज्ञ डॉ रयान क्लार्क ने कहा कि बीएसएल -4 प्रयोगशालाओं का उपयोग संक्रामक एजेंटों या विषाक्त पदार्थों का अध्ययन करने के लिए किया जाता है।