Bihar Politics: दिल्ली की राजनीति छोड़ यूं ही बिहार लौटने को बेचैन नहीं हैं राजीव प्रताप रूडी, जानिए अंदर की बात

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Bihar Politics: दिल्ली की राजनीति छोड़ यूं ही बिहार लौटने को बेचैन नहीं हैं राजीव प्रताप रूडी, जानिए अंदर की बात

Bihar Politics: दिल्ली की राजनीति छोड़ यूं ही बिहार लौटने को बेचैन नहीं हैं राजीव प्रताप रूडी, जानिए अंदर की बात

पटना:बीजेपी सांसद राजीव प्रताप रूडी का मन मिजाज इन दिनों बदला-बदला दिख रहा है। अब वे केंद्र की राजनीति के बजाय बिहार की राजनीति में वापसी की बात बार-बार कह रहे हैं। बिहार को बदलने का संकल्प दोहरा रहे हैं। हफ्ते भर में दो बार उन्होंने अपने मन की बात कही है। सोनपुर में चार ट्रेनों के ठहराव का उद्घाटन करने पहुंचे रूडी ने कहा कि 25 साल केंद्र की राजनीति की है। अब 24 घंटे वे बिहार की ही राजनीति करेंगे। गरीबों की आवज बन कर बिहार का नक्शा बदल देंगे।

राजीव प्रताप रूड़ी राजनीति में कैसे आए

राजीव प्रताप रूडी का जीवन कई रूपों में दिखता है। छात्र राजनीति से वे सक्रिय रूप से संसदीय राजनीति में आए थे। जनता दल, समता पार्टी और बिहार पीपुल्स पार्टी से होते हुए वे भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) का हिस्सा बने थे। पहली बार 1990 में वे जनता दल के टिकट पर तरैया से विधायक चुने गए। तीन-चार साल वे आनंद मोहन की पार्टी बिहार पीपुल्स पार्टी (बिपीपा) के साथ भी रहे। पहली बार उन्होंने 1985 में तरैया विधानसभा क्षेत्र से चंद्रशेखर की पार्टी से चुनाव लड़ा, लेकिन हार गए। फिर वे समता पार्टी में गए। पार्टी ने टिकट नहीं दिया तो उन्होंने तरैया से दाखिल नामांकन वापस ले लिया। जनता दल से वे 1990 में जुड़े और तरैया से पहली बार जीत हासिल की। बिपीपा के साथ वे रहे, लेकिन उसके टिकट पर कोई चुनाव नहीं लड़ा। पहली बार उन्होंने 1999 में लोकसभा का चुनाव सारण सीट से लड़ कर जीत हासिल की। बिपीपा के साथ उनका रिश्ता 1995 से 1999 के बीच रहा। तब बिहार के कई बड़े राजपूत नेता आनंद मोहन के साथ जुड़े थे। अभी जेल में बंद पूर्व सांसद प्रभुनाथ सिंह भी तब बिपीपा के साथ जुड़े थे। बाद में रूडी ने बीजेपी का दामन थाम लिया और प्रभुनाथ सिंह ने आरजेडी को ठिकाना बना लिया।

पायलट, प्रोफेसर से अब पॉलिटिशियन

बिहार के छपरा में 1962 जन्मे रूडी की प्रारंभिक शिक्षा पटना में हुई। आगे की पढ़ाई के लिए वे चंडीगढ़ चले गए। पंजाब यूनिवर्सिटी से अर्थशास्त्र में पीजी की डिग्री हासिल करने के साथ ही मगध विश्वविद्यालय में उन्होंने अध्यापन कार्य शुरू किया। इस बीच उन्होंने वकालत की पढ़ाई भी पूरी कर ली। पंजाब यूनिवर्सिटी में वे छात्र संघ का अध्यक्ष चुने गए थे। उनके व्यवस्थित करियर की शुरुआत 1990 में जनता दल के साथ शुरू हुई। वे जनता दल के टिकट पर पहली बार बिहार विधानसभा के सदस्य चुने गए। बाद में वे बीजेपी के साथ आ गए। बीजेपी ने सारण सीट से उन्हें लोकसभा का उम्मीदवार बनाया। उन्होंने जीत दर्ज की। दूसरी बार वे 1999 में सांसद निर्वाचित हुए। अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार में वे मंत्री बने। उन्हें वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय का राज्यमंत्री बनाया गया। कुछ समय बाद उन्हें नागरिक उड्डयन मंत्रालय (Civil Aviation Ministry) दिया गया। साल 2010 में रूडी को बिहार से राज्यसभा सांसद बनाया गया। साल 2014 में हुए लोकसभा चुनाव में रूडी ने आरजेडी उम्मीदवार को हराया। नरेंद्र मोदी के पहले कार्यकाल में रूडी को स्किल डेवलपमेंट विभाग का मंत्री बनाया गया।

बतौर मंत्री फ्लॉप साबित हुए रूडी

नरेंद्र मोदी ने उनकी योग्यता और अनुभव को देखते हुए स्किल डेवलपमेंट विभाग का मंत्री बनाया, लेकिन उनका परफार्मेंस अच्छा नहीं रहा। नरेंद्र मोदी ने उनसे विभाग छीन लिया। तभी से रूडी के राजनीतिक जीवन में सन्नाटा पसरा हुआ है। वह केंद्र की राजनीति से अब ऊब गए लगते हैं। यही वजह है कि वे बार-बार बिहार की राजनीति में लौटने की बात कर रहे हैं। उनके दिमाग में क्या है, यह तो वे ही जानें, लेकिन अनुमान यही लगाया जाता है कि उन्हें बीजेपी ने बिहार लौटने का संकेत दे दिया है या दूसरी किसी पार्टी ने कोई महत्वपूर्ण ऑफर दिया है। बार-बार उनके मुंह से बिहार की राजनीति में लौटने और बिहार को बदलने में महत्वूर्ण भमिका निभाने की बात करने के पीछे शायद यही कारण है। यह भी हो सकता है कि उन्हें इस बात की आशंका हो कि पार्टी टिकट से वंचित कर सकती है। पार्टी पर प्रेसर बनाने की उनकी यह प्रेसर पॉलिटिक्स हो सकती है।

टिकट कटने का अंदेशा तो नहीं है ?

रूडी को पीएम मोदी ने स्किल इंडिया के अपने स्लोगन को साकार करने की महत्वपूर्ण जिम्मेवारी सौंपी थी। बीजेपी ने हर साल दो करोड़ लोगों को रोजगार देने का वादा किया था। इसके लिए ही पहली बार स्किल डेवलेपमेंट मंत्रालय बनाया गया। इसके तहत स्किल डेवलेपमेंट यूनिवर्सिटी, स्किल डेवलेपमेंट सेंटर का मोदी का प्लान था। जमीनी स्तर पर रूडी पीएम मोदी के सपने को साकार करने में नाकाम रहे। नतीजतन नरेंद्र मोदी ने मंत्रिमंडल से रूडी की छुट्टी कर दी। मोदी उनसे इस कदर कुपित बताए जाते हैं कि इस बार उनका टिकट कटने की आशंका प्रबल हो गई है। बीजेपी टिकट देने के लिए आंतरिक सर्वे कराने जा रही है। सर्वे अभी होना है, लेकिन रूडी के कामकाज से मोदी के असंतुष्ट रहने के कारण टिकट कटने का खतरा बढ़ गया है।

रूडी के घर पर मिले थे 30 एंबुलेंस

राजीव प्रताप रूडी पर सांसद निधि से खरीदे गए एंबुलेंस को लेकर भी गंभीर आरोप लगे थे। पूर्व सांसद और जनाधिकार पार्टी के नेता पप्पू यादव ने रूडी के घर के बाहर तिरपाल से ढंक कर खड़े किए 30 एंबुलेंस की तस्वीर का वीडियो बनाया। उन्होंने आरोप लगाया कि बिहार में लोग इलाज के लिए परेशान हैं, जबकि सांसद के दरवाजे पर एंबुलेस बेकार खड़े हैं। उन्हें तिरपाल से ढंक कर छिपाया गया है। हालांकि रूडी ने इस पर सफाई दी थी कि सांसद निधि से खरीदे गए 40 एंबुलेंस में कुछ उनके दरवाजे पर इसलिए खड़े थे कि उन्हें चलाने वाले ड्राइवर नहीं हैं तो कुछ खराब हालत में हैं।

बिहार के प्रति उमड़े प्रेम की वजह क्या?

अचानक बिहार को बदलने के लिए 365 दिन बिहार की राजनीति करने का संकल्प लेने के पीछे के कारण भी उनके ये ही कारनामे बताए जाते हैं। बीजेपी अपने कुछ सांसदों का टिकट काट कर उन्हें असेंबली इलेक्शन में उतारने का मन बना रही है। इसमें यूपी के कुछ मंत्रियों के नाम भी बताए जाते हैं। शायद यही वजह है कि रूडी के मन में 25 साल बाद अचानक बिहार की सेवा का विचार आया है।

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रिपोर्ट- ओमप्रकाश अश्क

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