Bihar Politics: तेजस्वी के साथ कई सियासी हस्तियों पर लटकी ईडी और सीबीआई की तलवार! जानिए तीन स्टेट के उन नेताओं का नाम

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Bihar Politics: तेजस्वी के साथ कई सियासी हस्तियों पर लटकी ईडी और सीबीआई की तलवार!  जानिए तीन स्टेट के उन नेताओं का नाम
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Bihar Politics: तेजस्वी के साथ कई सियासी हस्तियों पर लटकी ईडी और सीबीआई की तलवार! जानिए तीन स्टेट के उन नेताओं का नाम

Tejashwi Yadav: बिहार के डेप्युटी सीएम तेजस्वी यादव को जेल जाने की चिंता सताने लगी है। तेजस्वी ही नहीं, देश के कई नेताओं को अब ईडी-सीबीआई जैसी केंद्रीय जांच एजेंसियों से भय लगने लगा है। तमिलनाडु के बिजली मंत्री सेंथिल बालाजी की गिरफ्तारी के बात बिहार, बंगाल और झारखंड समेत कई राज्यों के नेताओं की चिंता तेजस्वी की तरह बढ़ी हुई है।

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हाइलाइट्स

  • तेजस्वी यादव को गिरफ्तारी का भय
  • अभिषेक बनर्जी पर लटकी है तलवार
  • हेमंत भी मुश्किल दौर से गुजर रहे हैं
  • जांच एजेंसियों ने बनाई 30 की लिस्ट
पटना: बिहार के डेप्युटी सीएम तेजस्वी यादव (Tejashwi Yadav) को अपनी गिरफ्तारी का भय सताने लगा है। तमिलनाडु के विद्युत मंत्री और डीएमके नेता सेंथिल बालाजी की गिरफ्तारी के बाद उन्हें यह भय और सताने लगा है। सेंथिल को प्रवर्तन निदेशलाय (ईडी) की टीम ने बुधवार को गिरफ्तार किया था। ईडी और सीबीआई से नहीं डरने और ताल ठोंक कर उनसे मुकाबले की बात करने वाले तेजस्वी अब एलानिया कहने लगे हैं कि सीबीआई ने जो चार्जशीट दाखिल की है, उसमें उनका नाम नहीं है, लेकिन पूरक अभियोग पत्र (Supplementary Charge Sheet) में उनका नाम जोड़ा जा सकता है। यह बात विपक्ष का कोई नेता कहता तो उसे तंज माना जाता, लेकिन जब खुद तेजस्वी यादव ऐसा कह रहे हैं तो जरूर उन्हें इसका आभास है।

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तेजस्वी को सताने लगी है जेल जाने की चिंता

तेजस्वी यादव ने तमिलनाडु के मंत्री सेंथिल की गिरफ्तारी पर नाराजगी तो जताई ही, उन्होंने यह कह कर सबको चौंका दिया कि उनकी भी गिरफ्तारी हो सकती है। उन्होंने कहा कि पटना में 23 जून को होने वाली विपक्षी पार्टियों की बैठक से बीजेपी घबरा गई है। विपक्षी दलों को औकात बताने के लिए उन्हें गिरफ्तार किया जा रहा है। सेंथिल की जिस तरह से गिरफ्तारी और उसके पहले उनसे मैराथन पूछताछ हुई, वह उनके साथ टार्चर था। हालांकि तेजस्वी ने अपनी गिरफ्तारी की आशंका इस आधार पर जताई है कि अभी तक चार्जशीट में उनका नाम नहीं आया है। पर, जिस तरह से देश भर में सेंट्रल जांच एजेंसियां सक्रिय हुई हैं, उससे यही लगता है कि पूरक चार्जशीट में उनका नाम भी जोड़ दिया जाएगा। उसके बाद सीबीआई को उनकी गिरफ्तारी का आधार मिल जाएगा।

बीजेपी विपक्षी नेताओं को परेशान करती रही है

तेजस्वी का कहना है कि विपक्षी पार्टियां बीजेपी के खिलाफ जब गोलबंद होने लगी हैं तो बीजेपी की चिंता बढ़ गई है। अब वह अपने ईडी-सीबीआई के हथियार से विपक्षी नेताओं पर वार कर रही है। उन्होंने अपनी पुरानी बात दोहराई और कहा कि जिस दिन बिहार में महागठबंधन की सरकार बनी, उसी दिन उन्होंने कहा था कि अब रेड होगी। तब से मेरे और परिजनों-समर्थकों के यहां एजेंसियां छापामारी करती रही हैं। उनके यहां कितनी बार छापेमारी की गई, इसका हिसाब तो शायद अब एजेंसी के पास भी नहीं होगा। जो जांच बंद हो गई थी, उसे दोबारा शुरू किया गया। बीजेपी को यह नहीं पता है कि हमें जितना परेशान किया जाएगा, हम उतना ही मजबूत होंगे।

कई प्रभावशाली नेताओं पर ईडी-सीबीआई की नजर

सीबीआई और ईडी के हवाले से जो सूचनाएं छन कर बाहर आ रही हैं, उसके मुताबिक पहले से ही ढाई दर्जन से ज्यादा प्रभावशाली लोगों की सूची सख्त एक्शन के लिए बन कर तैयार है। सूची में बंगाल, बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश और दूसरे राज्यों के नेताओं के नाम भी हैं। यह अलग बात है कि कब और कैसे सेंट्रल एजेंसियां एक्शन लेंगी, यह उनके सिवा कोई नहीं जानता। लालू यादव के परिवार में उनके बड़े बेटे तेज प्रताप यादव को छोड़ कर बाकी सभी जांच एजेंसियों के रडार पर हैं। अक्सर उनसे सीबीआई या ईडी पूछताछ करती रहती है। कभी लालू-राबड़ी से पूछताछ होती है तो कभी लालू की बड़ी बेटी मीसा भारती को पूछताछ के लिए बुलाया जाता है। हालांकि तेजस्वी भले यह कहें कि ईडी या सीबीआई उनका कुछ नहीं बिगाड़ सकते, लेकिन उनके जैसा भुक्तभोगी कौन होगा। उनके पिता लालू यादव को चारा घोटाले में सीबीआई ने गिरफ्तार किया था। बाद में चारा घोटाला के सभी मामलों में लालू को सजा हो गई। पैसे और रसूख वाले अगर लालू नहीं होते तो आज भी वे जेल में रहते। बीमारी की वजह से वे जमानत पर हैं।

बंगाल में ममता के भतीजे अभिषेक पर है शिकंजा

पश्चिम बंगाल की तो बात ही निराली है। कोयला और पशु तस्करी की जांच सत्ताधारी दल टीएमसी के कुछ समर्थकों के खिलाफ शुरू हुई थी। फिर मंत्री पार्थ चटर्जी और उनकी करीबी अर्पिता के घर ईडी ने जब छापेमारी की तो अकूत संपत्ति बरामद हुई। ईडी की जांच में पता चला कि दोनों के घर से बरामद करोड़ों रुपये शिक्षक नियुक्ति के नाम पर लोगों से वसूले गए थे। पूछताछ और जांच जब आगे बढ़ी तो परतें उधड़ने लगीं। अब तक आधा दर्जन गिरफ्तारियां शिक्षक नियुक्ति घोटाले में हो चुकी हैं। जांच अभी जारी है और रोज नये-नये खुलासे हो रहे हैं। इसी मामले में कोलकाता के ‘कालीघाट के काकू’ के नाम से मशहूर सुजय कृष्ण भद्र को ईडी ने गिरफ्तार किया है। उनके लेन-देन का जो ब्यौरा ईडी ने जारी किया है, उसमें 11 करोड़ रुपये का हवाला लेन-देन और 100 बैंक अकाउंट का जिक्र है। टीएमसी ने ईडी पर आरोप लगाया था कि सुजय पर उनका नाम लेने का दबाव बनाया गया। हालांकि सुजय ने खुद इस बात से उनकार किया है कि उन पर किसी का नाम लेने का ईडी ने दबाव बनाया। बंगाल के घोटालों के तार अपने आप बंगाल की सीएम ममता बनर्जी के सांसद भतीजे अभिषेक बनर्जी से जुड़ते रहे हैं। उनकी पत्नी को एयरपोर्ट से वापस बुला कर ईडी ने पूछताछ की थी। काफी हील हुज्जत के बाद अभिषेक भी ईडी के समक्ष हाजिर हुए थे, लेकिन मंगलवार को दोबारा बुलाए जाने पर हाजिर नहीं हुए। माना जा रहा है कि सीबीआई और ईडी के पास अभिषेक बनर्जी के खिलाफ पुख्ता सबूत आ गया है। पूछताछ की औपचिरकता पूरी की जा रही है। अगर उनकी भी गिरफ्तारी हो जाए तो कोई आश्चर्य की बात नहीं।

झारखंड के सीएम हेमंत भी नहीं हैं कंफर्ट जोन में

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झारखंड के सीएम और जेएमएम नेता हेमंत सोरेन पर भी खतरा मंडरा रहा है। उनसे भी ईडी एक बार पूछताछ कर चुका है। अब तक झारखंड में कई घोटालों का राजफाश हुआ है। दो आईएएस और एक चीफ इंजीनियर के अलावा तकरीबन 10 लोग गिरफ्तार किए जा चुके हैं। झारखंड विधानसभा में बीजेपी विधायक दल के नेता बाबूलाल मरांडी कहते हैं कि 6 मई 2022 को ईडी ने मनरेगा घोटाले की जांच शुरू की थी। आईएएस पूजा सिंघल और सत्ता संरक्षित लूट मंडली के यहां छापेमारी हुई तो 21 करोड़ नकद और बेहिसाब जमीन-जायदाद के कागजात बरामद हुए। ईडी ने उस वक्त जो कचरा सफाई अभियान शुरू किया, वह अब तक जारी है। अब तो खान घोटाला, जमीन घोटाला और टेंडर घोटाला भी उजागर हो गए हैं। आगे न जाने और कितने घोटाले उजागर होंगे। अगर ईडी ने जांच शुरू नहीं की होती तो झारखंड में लूट का सिलसिला जारी रहता।

बीजेपी की सफाई- विपक्षी एकता तो महज बहाना

बिहार से राज्यसभा के सांसद और पूर्व डेप्युटी सीएम सुशील कुमार मोदी का कहना है कि सेंथिल की गिरफ्तारी पर तेजस्वी बेवजह विपक्षी एकता का राग अलाप रहे हैं। सच तो यही है कि जिसने जो किया है, वह उसका फल कभी न कभी तो पाएगा ही। वैसे भी विपक्षी एकता की हवा निकल चुकी है। तेलंगाना के सीएम केसीआर, ओडिशा के सीएम नवीन पटनायक, यूपी की पूर्व सीएम मायावती, कर्नाटक के जेडीएस नेता एचडी कुमारस्वामी और जगनमोहन रेड्डी जैसे नेताओं ने नीतीश कुमार की विपक्षी एकता वाली मुहिम से पहले ही दूरी बना ली है। अब तो उमर अब्दुल्ला ने भी पटना बैठक में शामिल होने से इनकार कर दिया है। पश्चिम बंगाल के निकाय चुनाव में जब टीएमसी के गुंडे कांग्रेस कार्यकर्ताओं पर हमले कर रहे हैं, तब नीतीश कुमार वहां इन दो दलों में क्या एकता करा पाएंगे? ऐसे में विपक्षी एकता की बात ही बेमानी है। रही बात जांच और गिरफ्तारी की तो यह नियम के अनुसार ही हो रहा है।
रिपोर्ट- ओमप्रकाश अश्क

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