Bihar News : पटना के इस इलाके में ‘कैंसर वाला पानी’, सरकार की आंख खोलने वाली रिपोर्ट
सूबे के 18 जिलों में आर्सेनिक युक्त भूजल
मनेर कोई अकेला इलाका नहीं है जहां आर्सेनिक युक्त भूजल से लोगों की परेशानी बढ़ी है। सूबे में 18 जिले ऐसे हैं जहां आर्सेनिक के चलते भूजल दूषित होने की सूचना मिल चुकी है। मनेर का मुद्दा तब सामने आया जब क्षेत्र के लोगों ने पिछले दिनों साफ पीने योग्य पानी की व्यवस्था के लिए विरोध मार्च निकाला। उन्होंने आरोप लगाया कि लगातार मांग के बावजूद अधिकारियों की ओर से ध्यान नहीं दिया जा रहा। ऐसे में विरोध मार्च के जरिए उन्होंने अपनी बात रखी।
मनेर में ‘कैंसर वाले पानी’ ने बढ़ाई टेंशन
स्थानीय लोग लगातार अपने इलाके में आर्सेनिक फिल्टर लगाने की मांग कर रहे हैं, लेकिन यह अभी तक अमल में नहीं आया है। इतना ही नहीं, बोरिंग के कारण कुओं में आर्सेनिक की मात्रा अधिक होती है। इसी वजह से पूरे क्षेत्र के लोग हाई आर्सेनिक कॉन्संट्रेशन वाला पानी पीने को मजबूर हैं, जो कैंसर को न्यौता देता है। दानापुर के डिविजनल मजिस्ट्रेट प्रदीप सिंह ने कहा कि मैंने मनेर के 73 गांवों के भूजल में आर्सेनिक की शिकायत के बारे में मीडिया रिपोर्ट देखी है। हम इसकी जांच करेंगे और जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कार्रवाई करेंगे।
प्रशासन हुआ अलर्ट, उठाए जा रहे जरूरी कदम
राज्य में इस समस्या पर संज्ञान लेते हुए और कैंसर के बढ़ते मामलों को लेकर डिप्टी सीएम और स्वास्थ्य मंत्री तेजस्वी यादव ने प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा कि हम टाटा मेमोरियल अस्पताल के साथ कैंसर के इलाज पर काम कर रहे हैं। हम राज्य के छह मेडिकल कॉलेजों में यह सेवा प्रदान कर रहे हैं। हम राज्य के सभी 38 जिलों में प्रारंभिक फेज में कैंसर का पता लगाने के लिए कैंसर की दवा मॉर्फिन और परीक्षण सुविधाएं भी प्रदान करने जा रहे हैं।
पूरे मामले में क्या बोल रहे अधिकारी?
इस बीच, बिहार राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अध्यक्ष और आर्सेनिक के प्रमुख विशेषज्ञ अशोक कुमार घोष ने कहा कि मनेर में ग्रामीणों के बीच कैंसर के प्रसार की रिपोर्ट नई नहीं है। उन्होंने 2005 में ही मनेर को लेकर रिपोर्ट दी थी। उन्होंने बताया था कि यहां के पानी में आर्सेनिक की असाधारण हाई कॉन्संट्रेशन है। इस क्षेत्र में गंगा नदी से सटे कुओं से एकत्र किए गए पानी के नमूनों का विश्लेषण करने पर ये जानकारी मिली थी। इस जांच में पाया गया कि कुछ पानी के सैंपल में आर्सेनिक 900 माइक्रोग्राम प्रति लीटर था। उन्होंने ये भी बताया कि PHED विभाग ने राज्य के अलग-अलग हिस्सों में इस समस्या पर रिसर्च किया है। प्रभावित क्षेत्र में गहरे ट्यूबवेल लगाकर लोगों को स्वच्छ पानी उपलब्ध कराने के लिए कुछ पहल भी की है।