Bihar News: कैमूर अभयारण्य में बसेंगे बाघ! वन्यजीवों की गिनती कराएगी बिहार सरकार

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Bihar News: कैमूर अभयारण्य में बसेंगे बाघ! वन्यजीवों की गिनती कराएगी बिहार सरकार

Bihar News: कैमूर अभयारण्य में बसेंगे बाघ! वन्यजीवों की गिनती कराएगी बिहार सरकार


पटना: बिहार सरकार ने कैमूर वन्यजीव अभयारण्य ( Kaimur Wildlife Sanctuary ) को बाघों के अनुकूल बनाने के प्रयास के तहत वहां पशुओं की गणना करने का फैसला किया है। वन विभाग के एक अधिकारी ने यह जानकारी दी है। उन्होंने कहा कि लगभग तीन दशक पहले बिहार के सबसे बड़े अभयारण्य केडब्ल्यूएलएस में बाघ पाए गए थे, लेकिन अब वे वहां नहीं हैं। दूसरे राज्यों के आसपास के जंगलों से बाघ कभी-कभी केडब्ल्यूएलएस आ जाते हैं और राज्य सरकार चाहती है कि वे यहां स्थायी रूप से रहें।

15 जनवरी से शुरू होग गणना

बिहार के मुख्य वन्यजीव वार्डन पीके गुप्ता ने बताया कि वन्यजीव गणना बहुत जरूरी है, क्योंकि यह कैमूर वन्यजीव अभयारण्य को बाघों के बसने के अनुकूल बनाने की दिशा में पहला कदम है। उन्होंने बताया की गणना 15 जनवरी से शुरू होगा और चार-पांच महीने में पूरा कर लिया जाएगा। गुप्ता के मुताबिक, भारतीय वन्यजीव संस्थान ने अभयारण्य में पशु गणना के लिए राज्य के पर्यावरण विभाग के लगभग 90 अधिकारियों को पहले ही प्रशिक्षण प्रदान कर दिया है।

उन्होंने कहा कि अधिकारियों को नस्लों की पहचान, कम्पास जैसे फील्ड उपकरणों के इस्तेमाल, बाघों की निगरानी और संबंधित पारिस्थितिक तंत्र में व्यवहार आदि के बारे में प्रशिक्षित किया गया है। गणना अभयारण्य में रहने वाले जंगली जानवरों की संख्या निर्धारित करेगी, जो इसे बाघ वाले परिदृश्य में परिवर्तित करने के लिए महत्वपूर्ण है।

70 नस्लों की बड़ी आबादी का आशियाना है केडब्ल्यूएलएस

पीके गुप्ता के अनुसार, 1504.96 वर्ग किलोमीटर के दायरे में फैला केडब्ल्यूएलएस तेंदुए, भालू, चीतल, सांभर, जंगली सुअर, नीलगाय, चौसिंघा ( चार सींग वाले मृग ) और पक्षियों की लगभग 70 नस्लों की बड़ी आबादी का आशियाना है। उन्होंने कहा कि केडब्ल्यूएलएस बाघों के लिए एक आदर्श अभयारण्य है। वन्यजीव गणना यह भी निर्धारित करेगी कि अभयारण्य में बाघों के लिए पर्याप्त शिकार हैं या नहीं।

पीके गुप्ता ने बताया कि वन विभाग के रेकॉर्ड से स्पष्ट है कि 1990 के दशक के मध्य तक केडब्ल्यूएलएस में बाघ मौजूद थे। हालांकि, अपर्याप्त सुरक्षा और मानवजनित गड़बड़ियों के कारण अभयारण्य के प्रमुख आवास खंडित हो गए, जिससे बाघों का आशियाना छिन गया और कई अन्य जीवों का विनाश हुआ।

2020 में दिखा था बाघ

उन्होंने कहा कि इस क्षेत्र में कानून-व्यवस्था की बहाली के साथ 2016-17 से बाघ फिर से नजर आने लगे और मार्च 2020 में ताजा मामले में एक नर बाघ को कैमरा ट्रैप में देखा गया। गुप्ता ने कहा कि केडब्ल्यूएलएस की सीमा उत्तर प्रदेश के चंद्रप्रभा वन्यजीव अभयारण्य से लगती है, जो मरिहान, सुकृत, चुनार रेंज और रानीपुर (उत्तर प्रदेश) तथा सोन घड़ियाल और बगधारा (मध्य प्रदेश) के जंगलों के माध्यम से मध्य प्रदेश के संजय दुबरी बाघ अभ्यारण्य और पन्ना राष्ट्रीय उद्यान से जुड़ा हुआ है। पश्चिम चंपारण जिले में स्थित वाल्मीकि टाइगर रिजर्व बिहार का एकमात्र बाघ अभ्यारण्य है।

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