बिहार उपचुनाव के नतीजे महागठबंधन और बीजेपी दोनों के लिए सबक, 2025 में करनी होगी मेहनत

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बिहार उपचुनाव के नतीजे महागठबंधन और बीजेपी दोनों के लिए सबक, 2025 में करनी होगी मेहनत

बिहार उपचुनाव के नतीजे महागठबंधन और बीजेपी दोनों के लिए सबक, 2025 में करनी होगी मेहनत

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बिहार विधानसभा की दो सीटों पर हुए उपचुनाव के नतीजे महागठबंधन और बीजेपी दोनों के लिए सबक है। मतदाताओं ने दोनों गठबंधनों में से किसी को भी इतराने जैसा कोई मौका नहीं दिया। गोपालगंज में जहां असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम और डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव के मामा साधु यादव पत्नी इंदिरा यादव ने वोट काटे। वहीं, बीजेपी का गढ़ माने जाने वाली इस सीट पर पार्टी उम्मीदवार कुसुम देवी की जीत का अंतर बहुत कम रहा। मोकामा में आरजेडी अपना गढ़ बचाने में तो कामयाब रही लेकिन जीत का अंतर घट गया, वहीं बीजेपी तमाम कोशिशों के बावजूद फतह नहीं कर पाई। 

उपचुनाव के नतीजों से साफ जाहिर हो गया है कि जनता ने महागठबंधन और एनडीए में से किसी भी गठबंधन को झाड़ पर नहीं चढ़ाया है। 2025 में होने वाले विधानसभा चुनाव में दोनों ही गठबंधनों को जीत के लिए काफी मेहनत करनी होगी। गोपालगंज में असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम के उम्मीदवार अब्दुल सलाम और साधु यादव की पत्नी एवं बसपा प्रत्याशी इंदिरा यादव ने मिलकर 21 हजार से ज्यादा वोट काटे। इससे साफ है कि दोनों ही उम्मीदवारों ने आरजेडी के वोटों में सेंधमारी की और महागठबंधन इसे रोक नहीं पाया। अगर ये वोट आरजेडी के खाते में जुड़ते तो नतीजे कुछ और होते। अलग-अलग स्वरूपों में यह फेक्टर महागठबंधन के लिए आगे भी चुनौती साबित होगा।

सहानुभूति लहर को पूरी तरह नहीं भुना पाई बीजेपी

किसी जनप्रतिनिधि के निधन के बाद जब उसके किसी सगे को उम्मीदवार बनाया जाता है तो इसका लाभ उसे सहानुभूति के रूप में मिलता रहा है। बीजेपी विधायक सुभाष सिंह के निधन के बाद पार्टी ने जब उनकी पत्नी कुसुम देवी को उम्मीदवार बनाया तो यह स्वाभाविक था कि उन्हें सहानुभूति लहर का लाभ मिलेगा। इसके बावजूद गोपालगंज में बीजेपी की जीत का अंतर काफी सिकुड़ गया और कुसुम देवी महज 1789 वोटों से विजयी घोषित हुईं। मसलन बीजेपी को बदले हुए सियासी गणित ने बड़ी चुनौती पेश की।

मोकामा के गढ़ में आरजेडी के वोटों का मार्जिन कम

दूसरी ओर, दोनों गठबंधनों के लिए मोकामा की लड़ाई भी बड़ी थी। बीजेपी ने बाहुबली अनंत सिंह के किले को ढहाने की भरपूर कोशिश की। वहां सामाजिक समीकरणों को लेकर बीजेपी नेता चुनाव प्रचार के दौरान बड़े-बड़े दावे करते रहे। इसके बावजूद बीजेपी यह सीट महागठबंधन से झटक नहीं पाई। यह पार्टी के लिए बड़ा सबक है। 

हालांकि मोकामा में आरजेडी प्रत्याशी नीलम देवी की जीत का अंतर 17 हजार वोटों से कम रहा।  बीजेपी यहां आरजेडी की जीत का अंतर आधे से कम करने में कामया रही। अनंत सिंह मोकामा से 35-36 हजार वोटों से जीता करते थे। 

बिहार विधानसभा में तेजस्वी यादव की आरजेडी का दबदबा कायम, गोपालगंज जीतने के बाद भी BJP दूसरे नंबर पर

दूसरी ओर, गोपालगंज में बीजेपी अपनी जीत का अंतर 10 फीसदी भी बरकरार नहीं रख पाई। गोपालगंज में सुभाष सिंह पिछली बार 36 हजार से अधिक वोटों से जीते थे। इस बार उनकी पत्नी जीत तो गईं, मगर वोटों का मार्जिन दो हजार से कम रहा। इस तरह दोनों सीटों के उपचुनाव के नतीजे दोनों गठबंधनों के लिए सबक है। जाहिर है दोनों गठबंधन इससे सबक लेकर लोकसभा चुनाव 2024 और विधानसभा चुनाव 2025 में अपनी रणनीति तय करेंगे।

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