बिहार की धार्मिक और ऐतिहासिक नगरी गया को अब एक नया और सम्मानजनक नाम मिल गया है। शुक्रवार को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अध्यक्षता में हुई बिहार कैबिनेट की बैठक में ‘गया’ का नाम बदलकर ‘गया जी’ किए जाने के प्रस्ताव पर मुहर लगा दी गई। यह फैसला जैसे ही सार्वजनिक हुआ, पूरे गया जिले में हर्ष और उत्साह की लहर दौड़ गई। वर्षों पुरानी इस मांग के पूरी होने से स्थानीय लोग गौरवान्वित महसूस कर रहे हैं।
धार्मिक पहचान को मिला नया स्वरूप
गया को हिंदू धर्म में मोक्ष प्राप्ति का प्रमुख स्थल माना जाता है। पिंडदान और श्राद्ध कर्म के लिए यह नगरी देशभर से श्रद्धालुओं को आकर्षित करती है। ऐसे में स्थानीय संतों, गयावाल पंडों और जनप्रतिनिधियों की ओर से लंबे समय से यह मांग की जा रही थी कि गया को ‘गया जी’ के नाम से संबोधित किया जाए, ताकि इसकी धार्मिक गरिमा और आधिकारिक मान्यता में सम्मान सूचक परिवर्तन हो सके।
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गयावाल पंडा महेश लाल गुप्त ने किया नेतृत्व
विष्णुपद प्रबंधकारिणी समिति के पूर्व अध्यक्ष महेश लाल गुप्त ने बताया कि उन्होंने इस विषय को सबसे पहले करीब 45 साल पहले उठाया था। उन्होंने उस समय भारत सरकार में रेल मंत्री रहे नीतीश कुमार को मांग पत्र सौंपा था। पंडित महेश ने बताया कि सोहनलाल चड्ढा नामक एक स्थानीय व्यक्ति ने उन्हें यह बात कही थी कि ‘गया’ शब्द बोलने में अधूरा लगता है, ‘गया जी’ कहना चाहिए। उसी प्रेरणा से उन्होंने यह मुहिम शुरू की।
पंडित महेश ने आगे बताया कि उन्होंने 10 साल पहले भी बिहार सरकार और गया नगर निगम को पत्र भेजा था। नगर निगम ने पहले ही ‘गया जी’ नाम को मान्यता दे दी थी और अब राज्य सरकार से भी स्वीकृति मिल गई। उन्होंने कहा कि यह केवल नाम नहीं, तीर्थ और धार्मिक नगरी को मिला सम्मान है।
शहरवासियों में उल्लास, गर्व से बोलेंगे ‘गया जी’
स्थानीय निवासी धीरज कुमार वर्मा ने बताया कि यह मांग पचास वर्षों से की जा रही थी। उन्होंने कहा कि अब जब सरकार ने इसे मान लिया है, तो हर नागरिक गर्व से अपने शहर को ‘गया जी’ कहेगा। धीरज का कहना है कि पहले जब कोई ‘गया’ कहता था, तो कुछ अधूरापन लगता था, लेकिन अब ‘गया जी’ बोलना आत्मसम्मान से भर देता है।
राजनीतिक प्रतिनिधियों ने जताया आभार
इस निर्णय को लेकर जनता दल यूनाइटेड (जदयू) के नेता लालजी प्रसाद ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को धन्यवाद देते हुए कहा कि यह एक ऐतिहासिक फैसला है। उन्होंने कहा कि जैसे बद्रीनाथ, केदारनाथ जैसे धार्मिक स्थलों के साथ सम्मान सूचक शब्द जुड़े हैं, वैसे ही अब गया को भी धार्मिक गरिमा के अनुरूप मान्यता मिल गई है।
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गयावाल पंडा नीरज कुमार मउआर ने कहा कि यह परिवर्तन गया की प्रतिष्ठा में अभूतपूर्व वृद्धि का प्रतीक है। गया पहले से ही एक धर्मस्थल था, परंतु अब ‘गया जी’ कहे जाने से इसकी पहचान एक प्रसिद्ध और प्रतिष्ठित तीर्थस्थल के रूप में और भी दृढ़ हो गई है।
विधिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण कदम
इस विषय पर अधिवक्ता राजेश रंजन सहाय ने कहा कि गया एक प्राचीन धार्मिक शहर है। इसे ‘गया जी’ कहे जाने की मांग लंबे समय से हो रही थी। उन्होंने बिहार सरकार के इस निर्णय को बहुत ही सराहनीय और दूरदर्शी कदम बताया, जिससे गया की धार्मिक और सांस्कृतिक पहचान को नया बल मिला है।