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Bihar: अटक गई PM मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट वाराणसी-कोलकाता एक्सप्रेसवे की गाड़ी, जानें कहां क्या फंसा है पेंच?

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Bihar: अटक गई PM मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट वाराणसी-कोलकाता एक्सप्रेसवे की गाड़ी, जानें कहां क्या फंसा है पेंच?

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Bihar: अटक गई PM मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट वाराणसी-कोलकाता एक्सप्रेसवे की गाड़ी, जानें कहां क्या फंसा है पेंच?

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट वाराणसी-कोलकाता एक्सप्रेसवे का निर्माण औरंगाबाद जिले में अटक गया है। दरअसल, मामला एक्सप्रेसवे के लिए अधिग्रहित की जा रही जमीन को लेकर उलझा हुआ है, जिसमें कई पेंच फंसे हुए हैं। इस मुद्दे पर अधिकारियों और किसानों के बीच तीखी बहस और नोकझोंक हो रही है। किसान अधिकारियों को काम करने से रोक रहे हैं, जबकि सरकारी अधिकारी बल प्रयोग की चेतावनी दे रहे हैं। इसे लेकर किसान प्रदर्शन भी कर रहे हैं और आंदोलन करने का ऐलान कर रहे हैं।

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कम मुआवजे पर अड़ी सरकार, किसान मांग रहे उचित मुआवजा

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मामले में सबसे अहम बात यह है कि सरकारी अधिकारी किसानों से कम मुआवजा देने पर अड़े हुए हैं, जबकि किसान सरकारी प्रावधान के तहत निर्धारित मुआवजा राशि की मांग कर रहे हैं। किसानों का आरोप है कि सरकारी अधिकारी और निर्माण कंपनी उन्हें बिना मुआवजा दिए ही उनकी बेशकीमती ज़मीन छीनने के लिए दबाव बना रहे हैं। किसानों का कहना है कि वे तब तक अपनी ज़मीन नहीं छोड़ेंगे, जब तक उन्हें उचित मुआवजा नहीं दिया जाता, भले ही एक्सप्रेसवे का निर्माण प्रभावित हो जाए।

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‘वन प्रोजेक्ट, वन रेट’ की मांग

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एक्सप्रेसवे के लिए भूमि अधिग्रहण के तहत आए औरंगाबाद के नबीनगर के दरियापुर, महसू, और अन्य गांवों के किसान—अरविंद कुमार सिंह, वशिष्ठ सिंह, अजिताभ कुमार सिंह और शंकर सिंह ने बताया कि अधिकारी किसानों को 2013 के सर्किल रेट पर मुआवजा देने की कोशिश कर रहे हैं। 2025 में 2013 का रेट न तो न्यायसंगत है, और न ही इसे किसी दृष्टिकोण से उचित ठहराया जा सकता है। इसके अलावा, 2013 के सर्किल रेट में यह प्रावधान भी है कि हर साल इस रेट में 10% वृद्धि की जानी चाहिए, लेकिन यह भी नजरअंदाज किया जा रहा है।

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भूमि अधिग्रहण में वीडियोग्राफी की अनदेखी

किसानों का कहना है कि भूमि अधिग्रहण के दौरान मापी की प्रक्रिया में वीडियोग्राफी और भूमि रैयत की मौजूदगी में मापी की अनदेखी की जा रही है। मापी रिपोर्ट में भी धनहर को धनहर, व्यावसायिक भूमि को व्यावसायिक और आवासीय भूमि को आवासीय के रूप में दर्ज किया जाना चाहिए, लेकिन यह प्रक्रिया भी ठीक से नहीं हो रही है।

1946 से पहले की जमाबंदी वाले किसानों को नहीं मिल रहा अधिकार

किसानों का आरोप है कि 1946 से पहले की जमाबंदी वाले किसानों को रैयत नहीं माना जा रहा है, जबकि सरकारी आदेश के अनुसार उन्हें रैयत माना जाना चाहिए। इसके अलावा, बकाश्त, गैरमजरूआ खास और अन्य प्रकार की जमीनों को भी मान्यता नहीं दी जा रही है।

किसानों के साथ भाजपा नेता का समर्थन

भूमि अधिग्रहण से मुआवजा पाने के लिए संघर्ष कर रहे किसानों को भाजपा के राज्यस्तरीय नेता प्रवीण कुमार सिंह का समर्थन मिल गया है। उन्होंने कहा कि बिना उचित मुआवजे के किसानों से ज़मीन नहीं ली जा सकती। वे किसानों के साथ खड़े हैं और 6 मई को होने वाले प्रदर्शन में भाग लेंगे।

कुटुम्बा के सीओ को झेलना पड़ा विरोध

कुटुम्बा के अंचल अधिकारी चंद्र प्रकाश किसानों का आक्रोश झेलते हुए भूमि अधिग्रहण पर काम शुरू कराने आए थे, लेकिन किसानों के भारी विरोध के कारण उन्हें बैरंग वापस लौटना पड़ा। किसानों ने साफ कहा कि पहले मुआवजा दिलाइए, फिर काम शुरू कराइए।

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