Big discovery in Madhya Pradesh- भगवान राम और उनके छोटे भाई लक्ष्मण का ​मप्र के इस स्थान से नाता आखिर क्या है | Ram Darbar has also been found in a temple of Bandhavgarh caves | Patrika News

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Big discovery in Madhya Pradesh- भगवान राम और उनके छोटे भाई लक्ष्मण का ​मप्र के इस स्थान से नाता आखिर क्या है | Ram Darbar has also been found in a temple of Bandhavgarh caves | Patrika News

Big discovery in Madhya Pradesh- भगवान राम और उनके छोटे भाई लक्ष्मण का ​मप्र के इस स्थान से नाता आखिर क्या है | Ram Darbar has also been found in a temple of Bandhavgarh caves | Patrika News

पौराणिक कथाओं से नाता : भगवान राम ने छोटे भाई लक्ष्मण को दिया था उपहार
बांधवगढ़ प्रमुख रूप से टाइगर रिजर्व है, लेकिन इसकी समृद्ध पुरातात्विक पृष्ठभूमि भी है। पुराणों के अनुसार भगवान राम ने छोटे भाई लक्ष्मण को इसे उपहार में दिया था। बांधव का अर्थ भाई और गढ़ का आशय किला यानि भाई का किला है। दरअसल बांधवगढ़ का जिक्र शिव पुराण में भी आता है, मान्यता है कि लंका से अयोध्या लौटते वक्त बांधवगढ़ को भगवान राम ने भाई लक्ष्मण को उपहार के तौर पर दिया था। बांधवगढ़ का लिखित इतिहास ईसा पूर्व पहली शताब्दी का है। यह क्षेत्र लंबे समय तक माघ शासकों के अधीन था।

यहां मिली आकर्षक मूर्तियां भगवान विष्णु के दशावतार से जुड़ी हैं। इनमें विष्णु के वराह, कूर्म व मत्स्य अवतार की मूर्तियां व एक जलाशय के पास शयन करते विष्णु की बेहद विशाल मूर्ति प्रमुख हैं। बताया जाता है कि एक मंदिर में राम दरबार (Ram Darbar) भी मिला है। इसके अलावा संत कबीर से जुड़े मंदिरों के कई अवशेष मिले हैं।

भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने एक बार फिर मध्य प्रदेश में कई ऐतिहासिक चीजों (historic monuments) की खोज की है। ASI को बांधवगढ़ में हजारों साल पुरानी मंदिर और गुफाएं मिली हैं। माना जा रहा है इनके जरिए भारत के इतिहास और संस्कृति के विषय में कई काफी अहम जानकारियां मिल पाएंगी।

कहां क्या मिला? –
पुरातत्व विभाग की खुदाई में 26 मंदिरों की श्रृंखला मिली है, जिनमें भगवान विष्णु की शयन मुद्रा की प्रतिमा के साथ बड़ी-बड़ी वराह की प्रतिमा भी मिली हैं। खोज के लिए बांधवगढ़ के करीब 170 स्क्वायर किमी इलाके की पहचान की गई है। इसे सबसे पहले 1938 में पहचाना गया था।

सामने आ रही जानकारी के अनुसार बांधवगढ़ में मिले 26 मंदिर कलचुरी कालीन यानी 9वीं से 11वीं शताब्दी के बीच के बौद्ध कालीन मंदिर हैं। इसमें दो बौद्ध मठ, दो स्तूप, 24 ब्राह्मी लिपियां , 46 मूर्तियां और दूसरी से लेकर 15वीं शताब्दी की 19 पानी की संरचना मिली हैं।

बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व 1100 स्कावायर मीटर में फैला है। अभी एक जोन तलागर में सर्च अभियान चला है। यहां मिलीं पत्थर की प्राचीन गुफाएं मानव द्वारा बनाई गई हैं। इनमें बौद्ध धर्म से जुड़े कई अहम तथ्य भी मिले हैं। टाइगर रिजर्व में मिले मंदिर 9वीं सदी के हैं। मंदिर 2000 साल पुराने हैं जिनमें कई प्राचीन मूर्तियां मिली हैं। इसमें भगवान विष्णु की शयन मुद्रा वाली मूर्ति और और वराह की मूर्तियां खास हैं।

भारतीय पुरातत्त्व सर्वेक्षण (Archaeological survey of india-ASI) को एक वराह प्रतिमा मिली है, जो 6.4 मीटर लंबी, 5.03 मीटर ऊंची और 2.77 मीटर चौड़ी है. ये अभी तक मिली सभी वराह की मूर्तियों से कई गुना बड़ी है। यहां एएसआई को कुल 26 गुफाएं मिली हैं। ये गुफाएं महाराष्ट्र की गुफाओं से मिलती-जुलती हैं। गुफाओं को बौद्ध धर्म से जोड़कर देखा जा रहा है। एएसआई के मुताबिक, ये गुफाएं मानव निर्मित हैं।

बांधवगढ़ में मिलने वाली चीजों के बारे में अध्ययन अभी जारी है। इस बीच मिली हजारों साल पुराने मंदिर और गुफाओं के पुरातत्व विभाग का जोश और बढ़ा दियाहै। ऐसे में अब यह उम्मीद जताई जा रही है कि इस खोज से बांधवगढ़ को विश्व धरोहर का दर्जा दिलाने में काफी मदद मिलेगी।

बांधवगढ़ के लिखित इतिहास के अनुसार बांधवगढ़ पर लंबे समय तक मघ राजवंश का शासन रहा। बता दें बांधवगढ़ नेशनल पार्क का स्थापना मध्य प्रदेश के उमरिया जिले में साल 1968 में की गई थी। बांधवगढ़ में बाघों की संख्या क्षेत्रफल के हिसाब से बहुत ज्यादा है। 32 पहाड़ियों से घिरे इस नेशनल पार्क को बाघों का पुनर्स्थापना का केंद्र भी कहा जाता है।



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