Bhojshala Survey : मुस्लिम पक्ष को बड़ा झटका, सुप्रीम कोर्ट ने भोजशाला सर्वे पर रोक से किया इंकार | Bhojshala Survey – Supreme Court refuses to ban on Survey | News 4 Social h3>
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सोसायटी की मांग को नामंजूर
धार की मौलाना कमालुद्दीन वेलफेयर सोसायटी ने भोजशाला में चल रहे
एएसआई ASI के सर्वे को रोकने के लिए याचिका दायर की थी। सोमवार को इस याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। शीर्ष कोर्ट ने सोसायटी की मांग को नामंजूर करते हुए भोजशाला सर्वे Bhojshala Survey पर रोक लगाने से साफ इंकार कर दिया।
यह भी पढ़ें—पंडित प्रदीप मिश्रा के अगले चार कार्यक्रम, जानिए किन शहरों में होगी कथा मौलाना कमालुद्दीन वेलफेयर सोसायटी ने विशेष अनुमति याचिका लगाकर एमपी हाईकोर्ट द्वारा दिए गए सर्वे का आदेश रद्द करने की मांग की थी। याचिका में उनके अधिवक्ता ने सुप्रीम कोर्ट में अपना पक्ष प्रस्तुत किया। सुप्रीम कोर्ट ने मुस्लिम पक्ष के तर्क सुने पर हाईकोर्ट के आदेश को रद्द करने से इंकार कर दिया।
यह भी पढ़ें—कथावाचक की करोड़ों की कमाई! कभी साइकिल से चलते थे पंडित मिश्रा, टीवी और यू ट्यूब से भी खूब आ रहा पैसा इधर भोजशाला का इतिहास खंगालने के लिए हाईकोर्ट के आदेश पर चल रहा सर्वे का काम सोमवार को भी जारी रहा। एएसआई की टीम यहां सुबह ही पहुंच गई थी और दोपहर तक लगातार सर्वे करती रही। कई घंटों से चल रहे सर्वे में दरगाह के आसपास का भी सर्वेक्षण किया जा रहा है।
इस बीच भोजशाला की सच्चाई जानने के लिए एएसआई की एक टीम मांडू जा रही है। इतिहासकारों के अनुसार धार जैसा मांडू भी एमपी का पुराना शहर है और यहां भी परमार वंश ने शासन किया था। मांडू से भोजशाला का कनेक्शन भी जुड़ा है जिसके कारण एएसआई टीम वहां जाकर पड़ताल करेगी। एएसआई की टीम मांडू के 56 महल संग्रहालय जाएगी।
एएसआई के विशेषज्ञों का दल मांडू में सर्वे के लिए पांच अप्रैल यानि शुक्रवार को जाएगा। यहां भोजशाला से लाए गए शिलालेख और मूर्तियों का अध्ययन करेगा। यहां बूढ़ी मांडू और धार जिले के अन्य क्षेत्रों से प्राप्त परमार कालीन प्रतिमाएं भी हैं।
एएसआई विशेषज्ञों के अनुसार धार का मांडू से सदियों पूर्व से नाता रहा है। इसीलिए धार भोजशाला से मांडू भेजी गई संग्रहालय में रखी परमार कालीन मूर्तियों का अध्ययन किया जा रहा है। मांडू में परमार वंश का लंबा शासनकाल रहा है जिससे भोजशाला से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारियां सामने आ सकती है। एएसआई का मानना है कि इन दोनों स्थानों की तहकीकात के बाद परमार कालीन भोजशाला से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारियां सामने आ सकती है। विशेष तौर पर 56 महल संग्रहालय में रखी कुबेर की प्रतिमा का परीक्षण किया जाएगा।
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सोसायटी की मांग को नामंजूर
धार की मौलाना कमालुद्दीन वेलफेयर सोसायटी ने भोजशाला में चल रहे
एएसआई ASI के सर्वे को रोकने के लिए याचिका दायर की थी। सोमवार को इस याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। शीर्ष कोर्ट ने सोसायटी की मांग को नामंजूर करते हुए भोजशाला सर्वे Bhojshala Survey पर रोक लगाने से साफ इंकार कर दिया।
इस बीच भोजशाला की सच्चाई जानने के लिए एएसआई की एक टीम मांडू जा रही है। इतिहासकारों के अनुसार धार जैसा मांडू भी एमपी का पुराना शहर है और यहां भी परमार वंश ने शासन किया था। मांडू से भोजशाला का कनेक्शन भी जुड़ा है जिसके कारण एएसआई टीम वहां जाकर पड़ताल करेगी। एएसआई की टीम मांडू के 56 महल संग्रहालय जाएगी।
एएसआई के विशेषज्ञों का दल मांडू में सर्वे के लिए पांच अप्रैल यानि शुक्रवार को जाएगा। यहां भोजशाला से लाए गए शिलालेख और मूर्तियों का अध्ययन करेगा। यहां बूढ़ी मांडू और धार जिले के अन्य क्षेत्रों से प्राप्त परमार कालीन प्रतिमाएं भी हैं।
एएसआई विशेषज्ञों के अनुसार धार का मांडू से सदियों पूर्व से नाता रहा है। इसीलिए धार भोजशाला से मांडू भेजी गई संग्रहालय में रखी परमार कालीन मूर्तियों का अध्ययन किया जा रहा है। मांडू में परमार वंश का लंबा शासनकाल रहा है जिससे भोजशाला से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारियां सामने आ सकती है। एएसआई का मानना है कि इन दोनों स्थानों की तहकीकात के बाद परमार कालीन भोजशाला से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारियां सामने आ सकती है। विशेष तौर पर 56 महल संग्रहालय में रखी कुबेर की प्रतिमा का परीक्षण किया जाएगा।