Bhagat Singh Jayanti: दिल्ली जंक्शन और दरियागंज में भड़के सांप्रदायिक दंगे… जब पहली बार दिल्ली आए भगत सिंह

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Bhagat Singh Jayanti: दिल्ली जंक्शन और दरियागंज में भड़के सांप्रदायिक दंगे… जब पहली बार दिल्ली आए भगत सिंह

Bhagat Singh Jayanti: दिल्ली जंक्शन और दरियागंज में भड़के सांप्रदायिक दंगे… जब पहली बार दिल्ली आए भगत सिंह

दरियागंज में आज आप किसी से पूछिए कि भगत सिंह का दरियागंज से क्या संबंध था? मुमकिन है कि वह इस सवाल का जवाब न दे पाए। आज भगत सिंह की जयंती है। वे सन 1931 में दिल्ली जंक्शन, जिसे दिल्ली पुरानी दिल्ली रेलवे स्टेशन भी कहते हैं, वहां उतरे थे। वे दरियागंज में भड़के सांप्रदायिक दंगों को कवर करने के लिए आए थे। वे संभवत: पहली बार दिल्ली आए थे। वे तब कानपुर से छपने वाले गणेश शंकर विद्यार्थी जी के अखबार ‘प्रताप’ में नौकरी करते थे। ‘प्रताप’ में भगत सिंह बलवन्त सिंह के छद्म नाम से लिखते थे। भगत सिंह की उस दिल्ली यात्रा को 90 साल हो चुके हैं। वे दिल्ली में सीताराम बाजार की एक धर्मशाला में रहते थे। अब आप लाख कोशिश करें पर आपको मालूम नहीं चल पाएगा कि वह धर्मशाला कौन सी थी, जहां पर भगत सिंह ठहरते थे। बहरहाल, आज दरियागंज और देश के बाकी स्कूलों में भगत सिंह पर कार्यक्रम आयोजित हो रहे होंगे। दरियागंज के तो चप्पे- चप्पे पर स्कूल हैं।

​जहां पर फेंका बम, वहां पर लगी मूरत

दिल्ली में 8 अप्रैल, 1929 को केन्द्रीय असेम्बली में भगत सिंह ने बम फेंका। उनके साथ बटुकेश्वर दत्त भी थे। बम फेंकने से सारा पूरा हाल धुएँ से भर गया। भगत सिंह और दत्त चाहते तो भाग भी सकते थे पर उन्होंने पहले ही सोच रखा था कि उन्हें दण्ड स्वीकार है चाहें वह फांसी ही क्यों न हो। अतः उन्होंने भागने से मना कर दिया। उस समय वे दोनों खाकी कमीज़ तथा निकर पहने हुए थे। बम फटने के बाद उन्होंने “इंकलाब! – जिन्दाबाद!! साम्राज्यवाद! – मुर्दाबाद!!” का नारा लगा रहे थे और अपने साथ लाये हुए पर्चे हवा में उछाल रहे थे। इसके कुछ ही देर बाद पुलिस आ गयी और दोनों को ग़िरफ़्तार कर लिया गया। उस घटना के लगभग 80 वर्षों के बाद भगत सिंह की प्रतिमा संसद भवन में सन 2008 स्थापित की गई। प्रतिमा को लेकर भगत सिंह के परिवार को आपत्ति है। उनका कहना है कि संसद में लगी प्रतिमा में उन्हें पगड़ी पहने दिखाया गया है। जबकि वे यूरोपीय अंदाज की टोपी पहनते थे। भगत सिह के भतीजे ने इस बात को सरकार के सामने रखा पर उनकी भावनाओं की कोई सुनवाई नहीं हुई।

दिल्ली के फिरोजशाह कोटला मैदान की वो बैठक

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भगत सिंह ने दिल्ली में अपनी भारत नौजवान सभा के सभी सदस्यों के साथ का हिन्दुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन में विलय किया और काफी विचार-विमर्श के बाद आम सहमति से एसोसिएशन को एक नया नाम दिया हिन्दुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन। ये अहम बैठक 8 और 9 अक्तूबर को दिल्ली में फिरोजशाह कोटला मैदान के साथ वाले शहीद पार्क में हुई थी। इसमें चंद्रशेखर आजाद, बिजय कुमार सिन्हा, भगवती चरण वोहरा, शिव वर्मा जैसे क्रांतिकारों ये भाग लिया था। शहीद पार्क में लगी प्रतिमा में भगत सिंह पगड़ी पहने है। इधर भगत सिंह के साथ राज गुरु और सुखदेव भी हैं। इसे चोटी के मूर्तिकार राम सुतार ने बनाया था। ये प्रतिमा 9 फीट ऊंची है।

साउथ दिल्ली की बीके दत्त कॉलोनी

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भगत सिंह ने जब केंद्रीय असेंबली में बम फेंका और पर्चे बांटे तब बटुकेशवर दत्त उनके साथ थे। बटुकेशवर दत्त को बी.के.दत्त भी कहते हैं। उन्हीं के नाम पर 1950 में साउथ दिल्ली में लोदी क़ॉलोनी के पास बी.के. दत्त कॉलोनी स्थापित हुई। कहते हैं कि वे जब एम्स में इलाज करवा रहे थे तब इस क़ॉलोनी में कुछ समय तक रहे भी थे। बी.के. दत्त कॉलोनी में मुख्य रूप से शरणार्थी परिवार आकर बसे थे। इधर की रेजीडेंट वेलफेयर एसोसिएशन की ऑफिस की रसीद पर बी.के.दत्त का फोटो है। इधर बी.के.दत्त के जन्म दिवस और पुण्य तिथि पर एक कार्यक्रम का भी आयोजन होता है।

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