बैंकों का होगा अंत!

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बैंकों का होगा अंत!

देशभर में तकनीकी विकास होने से सस्ते इंटरनेट बैंकिंग आधारित ट्रांजैक्शन और इससे कारोबारी कुशलता बढ़ने से पांच-छह वर्षों में बैंकों की शाखाएं बंद हो सकती है। नीति आयोग की सीईओ ने ही यह संभावना जताई है।

अमिताभ कांत ने कहा कि उनके विचार से पांच-छह वर्ष में बैंक शाखाओं का बचना मुश्किल हो जाएगाऔर बैंक शाखाओं का अस्तित्व समाप्त होते देखंगे। शाखाओं का परिचालन खर्चीला पड़ता है। ऑनलाइन बैंकिंग के खर्च के मुकाबले शाखा परिचालन ज्यादा है। फाइनेंसियल टेक्नोलॉजी यानी फिनटेक क्षेत्र कि स्टार्ट अप कंपनियां अत्यंत कम कीमत पर एनालिसिस कि सुविधा दे रही है। इसके आधार पर उपयुक्त ग्राहकों को कर्ज जा सकता है।

कांत ने कहा कि मोबाइल फ़ोन और इंटरनेट बैंकिंग आधारित ट्रांजैक्शन का विस्तार होने से फिनटेक कंपनियों के लिए आंकड़ों का विश्लेषण और कर्ज देने के लिए अच्छी क्रेडिट रेटिंग वाले ग्राहकों को कर्ज देना और आसान हो रहा है। उन्होंने कहा कि महत्वपूर्ण भारत में ऐसा विकास हो रहा है कि अमीर बनने से पहले वह डाटा स्पीड और यूसेज के लिहाज से अमीर हो रहा है। साथ ही मोबाइल फ़ोन और ऑनलाइन लेन-देन का चलन बढ़ने का जिक्र भी किया।

डिजिटल इंडिया का सपना साकार होता नजर आ रहा है मगर आने वाले वर्षों में अगर बैंक शाखाओं की समाप्ति होती है, उसका देश की आर्थिक स्थिति के साथ लोगों के रोजगार पर भी क्या असर होगा? और जहां एक और लोगो को लाइन में लगने से राहत मिलेगी और बैंक जाने आने का झंझट खत्म होगा वही दूसरी और सवाल यह भी है कि बैंकों में काम करने वाले कर्मचारी उनके लिए रोजगार के नए तरिके या नए मौके देगी सरकार? यह तो देश के विकास का स्तर ही तय करेगा की आगे आने वाले सालो में बैंको की शाखाएं समाप्त होंगी या नहीं। आशा है सरकार जहां एक और लोगो को सुविधा देना चाहती है वही दूसरी और लोगो से रोजगार छीन कर उनको और परेशानी में ना डाल दें।