बांदा : स्कूलों पर रहेंगी सीएम दफ्तर की मुस्तैद निगाहें

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बांदा : स्कूलों पर रहेंगी सीएम दफ्तर की मुस्तैद निगाहें
ग्रामीण स्कूलों में हो रहीं धांधलियां ,परीक्षाओं में नक़ल करते बच्चों का पकड़ें जाना इत्यादि प्रशासन को सवालों के घेरे में खड़ा कर रहा है |शिक्षा जैसी बुनियादी चीज़ जिसपे किसी देश का वर्तमान और भविष्य निर्भर करता है अगर वहीँ सवालों के घेरे में हो तो ?

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स्कूलों पर होंगी मुख्यमंत्री कार्यालय की नज़र
दरअसल उत्तरप्रदेश -बिहार जैसे राज्यों के मंझोले गाँवों में शिक्षा का बुरा हाल है |हालत इतने बद से बद्तर हो गए है कि यहाँ अध्यापक तक आपको सप्ताहों और महीनों के नाम नहीं बता पायेंगे |तो दूसरी तरफ परीक्षा पत्रों में नोटों का मिलना भी एक खराब भविष्य की ओर इशारा करता है |ऐसे में परिषदीय स्कूलों के अध्यापकों पर अब मुख्यमंत्री कार्यालय नज़र रखेगा |

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अध्यापकों पर रखी जायेगी मुस्तैद नज़र
जी हाँ ,आपको बता दें कि यह व्यवस्था 2 जुलाई 2018 से शुरू हो रहे नए शिक्षा सत्र में लागू होगा |सीएम के कार्यालय से फ़ोन के द्वारा स्कूल के प्राध्यापक से लेके बाकी स्टाफ की लोकेशन पर नज़र रखी जायेगी |जहाँ उनसे कक्षा में उपस्थित विद्यार्थियों का ब्यौरा पूछा जाएगा |यहाँ तक की स्कूलों में मिड -डे मील की सही व्यस्था है या नहीं और बच्चों को क्या परोसा जा रहा है इसकी जानकारी भी वह बच्चों से फ़ोन पर लेंगे |

लापरवाही पर लगेगा अंकुश
गौरतलब है कि प्रमुख सचिव के निर्देशों का हवाला देकर बेसिक शिक्षा निदेशकों ने मंडल के चारों बीएसए से प्रधानध्यापकों के नम्बरों की सूचि मांगी है |बीएसए अध्यक्ष बीपी सिंह का कहना है कि प्रिंसिपलों के नंबर भेजे जा रहें है |कहा जा रहा है कि सरकार के इस कदम से स्कूलों में अध्यापकों की लापरवाही पर अंकुश लगेगा |