आज 93 साल के हुए पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी

409

आज पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी आज 93 बरस के हो गए हैं. अटल बिहारी देश के उन चुनिन्दा राजनेताओं में से हैं जिन्हें दूरदर्शी माना जाता है. उन्होंने अपने राजनीतिक करियर में ऐसे कई फैसले लिए जिसने देश और उनके खुदके राजनीतिक छवि को काफी मजबूती दी. पिछले काफी समय से अटल बिहारी वाजपेयी बीमार हैं, राजनीति से संन्यास ले चुके हैं. लेकिन आज भी उनके चाहने वालों में कोई कमी नहीं आई है. वाजपेयी भारत के लोकप्रिय नेताओं में से एक रहे हैं,उनके भाषण देने की कला को सिर्फ उनके चाहने वाले ही नहीं बल्कि विरोधी भी कायल थे. वाजपेयी अपने भाषणों में एक ओर जहां विरोधियों पर निशाना साधते थे तो वहीं दूसरी ओर भाषण के बीच में कविताएं सुना सभी का मन मोह लेते थे.आज हम आपको अटल बिहारी वाजपेयी से जुड़ी ऐसी ही बातें बताने जा रहे हैं, जिनका उनकी सफलता में काफी बड़ा हाथ रहा. आइये जानते हैं कौन सी वह बातें…..

atal 2 -

पोखरण में परमाणु परीक्षण

उस दौर में जब देश की सत्ता संभालने वाले ज्यादातर प्रधानमंत्री ने भारत को विश्वशक्ति बनाने के लिए परमाणु बम का परीक्षण करने की बात कर रहे थे, वहीं अटल बिहारी वाजपेयी ने लीक से हटकर पहली बार पोखरण में एक के बाद एक पांच परमाणु बम परीक्षण करने का माद्दा दिखाया. उन्होंने बड़े ही गोपनीय तरीके से इस परीक्षण को अंजाम दिलाया.

बने पहले गैर- कांग्रेसी प्रधानमंत्री

अटल बिहारी वाजपेयी देश के पहले ऐसे गैर- कांग्रेसी प्रधानमंत्री बने जिन्होंने बतौर प्रधानमंत्री पांच साल सरकार चलाई. इससे पहले ऐसा कोई भी बड़ा नेता नहीं कर पाया था.

पहले ऐसे सांसद जो चार राज्यों से चुने गए

अटल बिहारी वाजपेयी इतने चर्चित और लोकप्रिय थे कि उन्होंने एक अलग कीर्तिमान स्थापित किया. वह पहले ऐसे सांसद बने जिन्हें चार राज्यों यूपी, एमपी, गुजरात और दिल्ली से चुना गया.

पहली बार बनाई गठबंधन की सरकार

अटल बिहारी वाजपेयी देश के पहले ऐसे राजनेता थे जिन्होंने पहली बार गठबंधन की सरकार बनाई. न सिर्फ उन्होंने सरकार बनाई बल्कि सभी को साथ लेकर भी चले. उनके इस सफल प्रयास ने भारतीय राजनीति को हमेशा हमेशा के लिए बदलकर रख दिय

यूएन में हिन्दी में संबोधित किया

अटल बिहारी वाजपेयी का हिन्दी के प्रति लगाव सबसे ज्यादा था. यही वहज थी कि जब वह बतौर पीएम यूएन में संबोधन के लिए गए तो उन्होंने वहां हिन्दी भाषा में ही संबोधित किया. वह ऐसा करने वाले पहले भारतीय प्रधानमंत्री थे.

atal3 -

मिला भारत रत्न

वर्ष 2015 में उन्हें भारत के सबसे बड़े सम्मान भारत रत्न से सम्मानित किया गया. उनके साथ-साथ पंडित मदन मोहन मालवीय को भी यह सम्मान दिया गया.

अटल बिहारी वायपेयी सिर्फ राजनीति में ही सक्रिय नहीं थे. उन्हें जहां 1992 में पदम विभूषण अवार्ड से सम्मानित किया गया वहीं 1994 में उन्हें बेस्ट पारलियामेंटेरियन का अवार्ड मिला.

पहले इन्हें पार लगाओ, फिर मुझे

पत्रकार सत्यपाल चौधरी ने एक लेख में लिखा है कि सितंबर 1992 में जब जम्मू के पास अखनूर में चिनाब नदी में बाढ़ आई थी तब वहां का नदी का पुल बह गया था. अटल तब इस क्षेत्र का दौरा करने आए. नदी पार जाने के लिए सेना मोटर बोट से लोगों को ले जाती, जब अटल यहां दौरा करने आए तो उनके साथ पार्टी नेता भी आए. जब अटल नाव में बैठे तो सेना के लोगों ने कहा नाव में कुल 4 लोग बैठ सकते है, इतना सुनते ही अटल नाव से उतर गए और कहा कि पहले इनको पार लगाओ, फिर मुझे लेकर जाना.

होली के शौक़ीन अटल ने नहीं मनाई होली

अटल बिहारी वाजपेयी को होली खेलने का बहुत शोक था, वह हमेशा होली के समय पार्टी दफ्तर या घर में जश्न में शरीक होते थे. वर्ष 2002 में गुजरात के भुज और कच्छ में भूकंप की घटना से आहत होकर वाजपेयी कुछ दिन रहने के लिए नैनीताल राजभवन आए थे. मार्च में होली के आसपास वहां कुछ दिनों तक रहे पर होली नहीं मनाई, बस वहां रहकर कुछ कविताएं लिखी.