Ashok Gehlot Vs Sachin Pilot: कैसे गहलोत की मांद धीमी गति से खोद रहे सचिन पायलट

97
Ashok Gehlot Vs Sachin Pilot: कैसे गहलोत की मांद धीमी गति से खोद रहे सचिन पायलट

Ashok Gehlot Vs Sachin Pilot: कैसे गहलोत की मांद धीमी गति से खोद रहे सचिन पायलट

जयपुर: राजस्थान प्रदेश कांग्रेस की गुटबाजी में इन दिनों एक अलग की तस्वीर देखने को मिल रही है। दो साल पहले जब सचिन पायलट और उनके समर्थकों की ओर से बगावती तेवर दिखाए गए थे, तब की अलग तस्वीर थी। उस दौरान यह साफ हो गया था कि कांग्रेस का कौनसा नेता किस खेमे में हैं। पहले कांग्रेस के दो धड़े बिल्कुल अलग- अलग थे लेकिन पिछले कुछ महीनों से जो तस्वीर सामने आ रही है वह कई राजनेता और राजनीति के जानकारों को सोचने पर मजबूर कर रही है। नई तस्वीर में अशोक गहलोत गुट के कई विधायक और मंत्री सरकार के खिलाफ बयान देने और तंज कसने लगे हैं। ये काफी विचारनीय है कि जिस नेता के लिए 90 से ज्यादा विधायक 34 दिनों तक होटलों में बंद रहे। उनमें से कई विधायक अब अपने ही मुखिया के खिलाफ लामबंद हो गए हैं। नई तस्वीर देखने पर सवाल उठना स्वभाविक है कि इस ह्रदय परिवर्तन के पीछे क्या वजह हो सकती है।

Ashok Gehlot Vs Sachin Pilot

​सचिन पायलट अपना कुनबा मजबूत करने में जुटे हैं….

95723177 -

सियासी गलियारों में ऐसी चर्चाएं हैं कि अशोक गहलोत के साथ डटकर खड़े रहने वाले विधायक और मंत्री अब गहलोत पर ही सवाल क्यों उठाने लगे हैं। इसके पीछे क्या वजह हो सकती है। क्या इन नेताओं ने गहलोत का दामन छोड़ दिया। अगर गहलोत गुट के इन नेताओं ने पाला बदल लिया है तो क्या सचिन पायलट पहले से मजबूत स्थिति में आ गए हैं। मंत्रियों और विधायकों के बयानों से यह तो स्पष्ट है कि उनके समर्थक विधायक और मंत्री अपने नेता से खुश तो नहीं है। अगर खुश होते तो सार्वजनिक रूप से विरोधी बयान नहीं देते। ध्यान देने वाली बात यह भी है कि सचिन पायलट समर्थक विधायक आज भी उनके साथ डटकर खड़े हैं। आइये जानते हैं वे कौन कौन नेता हैं जो इन दिनों गहलोत के खिलाफ मुखर हुए हैं।

​सियासी संकट के दौरान थे गहलोत के साथ

95723172 -

खिलाड़ी लाल बैरवा : अनुसूचित जाति आयोग के अध्यक्ष खिलाड़ीलाल बैरवा बसेड़ी से विधायक हैं। ये करौली-धोलपुर से पूर्व सांसद भी हैं। जुलाई 2020 में आए सियासी संकट के दौरान ये अशोक गहलोत के साथ खड़े थे। पिछले तीन महीनों से ये सचिन पायलट के पक्ष में खुलकर बयान दे रहे हैं। बैरवा ने साफ कह दिया कि उस समय सरकार बचाकर उन्होंने गलत किया। उन्होंने सचिन पायलट को मुख्यमंत्री बनाने की खुलकर मांग की है। साथ ही चेतावनी भी दी कि अगर उन्हें सीएम नहीं बनाया को कांग्रेस को खामियाजा भुगतने के लिए तैयार रहना चाहिए।

​पायलट को CM नहीं बनाया तो गाड़ी में बैठने जितने MLA रहेंगे: गुढ़ा

-cm-mla-

राजेन्द्र सिंह गुढ़ा : राजेन्द्र गुढ़ा उदयपुरवाटी से विधायक हैं। ये पहले बसपा में थे और बाद में कांग्रेस में शामिल हुए। जुलाई 2020 के सियासी संकट के दौरान गुढ़ा अपने 6 साथी विधायकों के साथ अशोक गहलोत के पक्ष में खड़े थे। बीते दो महीने से राजेन्द्र गुढ़ा सचिन पायलट की खुलकर पैरवी कर रहे हैं। गुढ़ा ने कहा कि कांग्रेस में पायलट से ब्रिलियंट नेता कोई नहीं हैं। उन्हें जल्द से जल्द मुख्यमंत्री बनाया जाना चाहिए। गुढ़ा ने कहा कि जिस व्यक्ति की मेहनत से पार्टी चुनाव जीती, उसे इतने साल तक मुख्यमंत्री की कुर्सी से दूर नहीं रखा जाना चाहिए। पिछले दिनों गुढ़ा ने यह भी कह दिया कि अगर सचिन पायलट को मुख्यमंत्री नहीं बनाया तो कांग्रेस के उतने ही विधायक जीतेंगे, जितने एक ‘फॉरच्यूनर गाड़ी में बैठ सकते हैं।

एसीआर के मुद्दे पर खफा हैं ​खाचरियावास

95723126 -

प्रताप सिंह खाचरियावास : जयपुर की सिविल लाइन्स विधानसभा सीट से विधायक हैं और कैबिनेट मंत्री हैं प्रताप सिंह खाचरियावास। वे कांग्रेस के प्रवक्ता भी हैं। पार्टी और सरकारी की ओर से हर मुद्दे पर प्रताप सिंह ही पार्टी और सरकार का पक्ष रखते हैं। पिछले दिनों सचिन पायलट अचानक प्रताप सिंह खाचरियावास के आवास पर पहुंचे। करीब एक घंटे तक दोनों में राजनैतिक चर्चाएं हुई। इसके बाद प्रताप सिंह खाचरियावास मंत्रियों के अधिकारों को लेकर मुख्यमंत्री के खिलाफ बयान देने लगे। उन्होंने कहा कि ये कौनसी बात हुई कि ब्यूरोक्रेसी की एसीआर मंत्रियों को भरनी चाहिए जबकि यहां मुख्यमंत्री जी भर रहे हैं। खाचरियावास ने मुख्यमंत्री से कहा कि वे मंत्रियों को उनके अधिकार वापस दें। वरना वे सभी मंत्रियों को साथ लेकर आवाज बुलंद करेंगे।

​कोटपुतली को जिला बनाने पर अड़े राजेन्द्र यादव

95723115 -

राजेन्द्र यादव : कोटपुतली से विधायक राजेन्द्र यादव ने भी पिछले दिनों इस्तीफे की धमकी दे डाली। इन दिनों प्रदेश में नए जिले बनाने को लेकर कमेटी समीक्षा कर रही है। कई विधायक और मंत्री अपने-अपने इलाके में जिला बनाने की मांग कर रहे हैं। राजेन्द्र यादव ने पिछले दिनों अशोक गहलोत को सीधी धमकी दी कि अगर कोटपुतली को जिला नहीं बनाया तो जनवरी 2023 में वे इस्तीफा दे देंगे।

​हरीश चौधरी ओबीसी के मुद्दे पर है खफा

95723105 -

हरीश चौधरी : बायतू विधायक हरीश चौधरी पूर्व कैबिनेट मंत्री हैं। वे पंजाब कांग्रेस के प्रभारी भी हैं। ओबीसी आरक्षण के मुद्दे को लेकर चौधरी मुख्यमंत्री के खिलाफ खड़े हो गए। ओबीसी आरक्षण की विसंगति के समाधान का आश्वासन देने के बावजूद कैबिनेट की बैठक से इस विषय को डैफर कर दिया गया तो हरीश चौधरी बिफर गए। उन्होंने ट्विटर पर लिखा कि अशोक गहलोत जी आखिर क्या चाहते हैं आप। इसके बाद बायतू में आयोजित कई कार्यक्रमों में चौधरी ने मुख्यमंत्री के खिलाफ कई बयान दिए।

​अशोक चांदना ने भी की थी अशोक गहलोत की खिलाफत

95723074 -

अशोक चांदना : अशोक चांदना मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के नजदीकी नेताओं में माने जाते रहे हैं लेकिन मई 2022 में अशोक चांदना ने अपने अधिकारों को लेकर कड़े तेवर दिखाए। चांदना ने ट्वीट किया कि अशोक गहलोत जी आप मुझे इस जलालत भरे मंत्री पद से मुक्त कर दीजिए। वैसे भी मेरे विभाग के सारे अधिकारी सीएमओ में तैनात कुलदीप रांका के पास हैं। चांदना के इस तेवर से राजनैतिक गलियारों में सियासी बवंडर आ गया था।

दिव्या ने खोला गहलोत के समर्थक के खिलाफ मोर्चा

95723065 -

दिव्या मदेरणा : दिव्या मदेरणा ओसियां से विधायक हैं। अपने क्षेत्र के विकास कार्यों को लेकर वे समय समय पर अशोक गहलोत पर सवाल खड़े करती आई हैं। 25 सितंबर को गहलोत गुट ने जो बगावती तेवर अपनाए, उसके बाद दिव्या ने गहलोत समर्थक मंत्रियों के खिलाफ जमकर बयान दिए। अशोक गहलोत के कट्टर समर्थक कैबिनेट मंत्री शांति धारीवाल, महेश जोशी और आरटीडीसी चेयरमैन धर्मेन्द्र राठौड़ को दिव्या ने कांग्रेस का असली गद्दार करार दिया। जोधपुर कलेक्टर की मनमानी के दौरान भी दिव्या ने सरकार पर तीखे सियासी हमले किए।

​पानाचंद उठा चुके हैं दलित अत्याचार पर सवाल

95723063 -

पानाचंद मेघवाल : पानाचंद मेघवाल बारां अटरू से कांग्रेस के विधायक हैं। सरकार पर सियासी संकट के दौरान वे अशोक गहलोत के साथ खड़े रहे। तीन महीने पहले जब जालोर में एक स्कूली दलित बच्चे के साथ अत्याचार हुआ। तब मेघवाल ने अशोक गहलोत को अपने तेवर दिखाए। टीचर की पिटाई से दलित बच्चे की मौत हो गई थी। इससे आहत होकर पानाचंद मेघवाल ने इस्तीफा भेज दिया था।

सरकार -प्रशासन पर सवाल उठा चुके हैं ​संयम लोढ़ा

95723058 -

संयम लोढ़ा : 2018 के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस ने संयम लोढा को टिकट नहीं दिया था। ऐसे में लोढा ने कांग्रेस से बागी होकर निर्दलीय चुनाव लड़ा और जीत दर्ज की। चुनाव जीतने के बाद संयम लोढा ने कांग्रेस को समर्थन दिया। वे मुख्यमंत्री के सलाहकार भी हैं। विपक्ष जब भी सत्ता पक्ष पर आरोप लगाता है तो संयम लोढ़ा ढाल बनकर सरकार का बचाव करते हैं। पिछले कुछ समय से वे काफी गुस्सा जाहिर कर रहे हैं। निर्दोष व्यक्ति को हत्या के मामले में लंबे समय तक जेल में डालने के मामले में संयम लोढ़ा ने सरकार और प्रशासन को आड़े हाथों लिया था। अब दो दिन पहले संयम लोढ़ा ने फिर कहा कि सरकार ने संविदाकर्मियों को नियमित करने का वादा किया था। सरकार को अपना वादा पूरा करना चाहिए। ऐसे और भी कुछ नेता हैं जो इन दिनों सरकार के जरिए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के लिए आंखों की किरकिरी बने हुए हैं। (रिपोर्ट – रामस्वरूप लामरोड़, जयपुर)

राजस्थान की और समाचार देखने के लिए यहाँ क्लिक करे – Rajasthan News