जाते-जाते चैपल पर भड़ास निकाल गए आशीष नेहरा, बोले- जानता था ये बिरयानी खिचड़ी बनने वाली है

384

यदि आप फर्राटा नहीं भाग सकते तो दौड़ें, दौड़ नहीं सकते तो जागिंग करें और वह भी नहीं कर सकते तो पैदल तो चल सकते हैं लेकिन कुछ ना कुछ जरूर करते रहें। यह कहना है आशीष नेहरा का जो जल्दी ही क्रिकेट को अलविदा कहने जा रहे हैं। अपने बीस साल के कॅरियर में 163 अंतरराष्ट्रीय मैच खेल चुके नेहरा ने 12 बार ऑपरेशन के बावजूद ऊर्जा नहीं खोई। उन्होंने एक नवंबर को न्यूजीलैंड के खिलाफ अपने आखिरी प्रतिस्पर्धी मैच से पहले प्रेस ट्रस्ट से कहा, ‘‘मेरे 20 साल काफी रोमांचक रहे हैं। मैं बहुत जज्बाती नहीं हूं। अगले 20 साल का मुझे इंतजार है। उम्मीद है कि यह भी उतने ही रोमांचक होंगे जितने पिछले 20 साल रहे हैं, जब मैने 1997 में दिल्ली के लिए खेलना शुरू किया था।’’

654 1 -

उन्होंने कहा, ‘‘यह सफर शानदार रहा। एक ही मलाल रहा। अगर मुझे इन 20 साल में कुछ बदलना हो तो जोहानिसबर्ग में 2003 विश्व कप फाइनल का दिन लेकिन यह सब किस्मत की बात है।’’ दिल्ली के सोनेट क्लब से सफर का आगाज करने वाले नेहरा ने कहा, ‘‘कोटला पर मेरे पहले रणजी मैच में दिल्ली टीम में दिवंगत रमन लांबा, अजय शर्मा, अतुल वासन और राबिन सिंह जूनियर थे। रमन भैया और अजय भैया को देखकर मैने गेंदबाजी सीखी थी। मैं अपने पहले रणजी मैच में तीसरे गेंदबाज के रूप में उतरा और दोनों पारियों में अजय जडेजा को शून्य पर आउट किया था।’’

उन्होंने कहा, ‘‘मेरी नजर में अजय जडेजा और महेंद्र सिंह धोनी क्रिकेट की समझ के मामले में जीनियस हैं।’’ जॉन राइट के दौर में उम्दा प्रदर्शन करने वाले नेहरा ने ग्रेग चैपल के कोच रहते खराब दौर देखा और फिर गैरी कर्स्टन के दौर में वापसी की तथा आखिर में रवि शास्त्री कोच रहे। नेहरा ने कहा, ‘‘मैंने 2005 में दो श्रृंखलाओं के अलावा ग्रेग चैपल के साथ ज्यादा नहीं खेला। मुझे पहली सीरिज से ही मालूम था कि ये बिरयानी खिचड़ी बनने वाली है ग्रेग के अंडर में।’’ उन्होंने कहा, ‘‘गैरी बेहतरीन कोच थे। वह एमएस के साथ मैदान पर रणनीति को लेकर बात करते लेकिन कभी एम एस के काम में दखल नहीं देते थे। मेरा वैसे अभी भी मानना है कि चैपल जूनियर्स के लिए अच्छे कोच साबित होते।’’