Ashadh Gupt Navratri 2021: गुप्त नवरात्र की 10 महाविद्याओं के 10 मंत्र

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Ashadh Gupt Navratri 2021: गुप्त नवरात्र की 10 महाविद्याओं के 10 मंत्र

गुप्त नवरात्र में 10 महाविद्या की साधना…

Gupt Navratri 10 Mahavidyas : हिंदू पंचांग के अनुसार एक वर्ष में कुल मिलाकर चार नवरात्रि आती हैं। जिनमें से दो प्रत्यक्ष नवरात्रि क्रमश: चैत्र नवरात्रि और शारदीय नवरात्र हैं, जिनके बारे में अधिकांश लोग जानते ही हैं।

लेकिन इनके अलावा दो अन्य नवरात्रि भी हैं जो विशेष कामनाओं की सिद्ध करने वाले माने जाते हैं, इन्हीं कारणों से इन्हें गुप्त नवरात्र कहते हैं। ऐसे में इस साल की आषाढ़ गुप्त नवरात्र 11 जुलाई 2021 यानी रविवार से शुरू हो चुके हैं।

इन प्रत्यक्ष और गुप्त नवरात्र में मुख्य अंतर यह है कि प्रत्यक्ष नवरात्र में मां के 9 स्वरूपों की पूजा की जाती है, जबकि वहीं गुप्त नवरात्र में 10 महाविद्या की साधना की जाती है। ऐसे में आज हम आपको गुप्त नवरात्रि की दस महाविद्याओं और उनकी देवियों के मंत्र के बारे में बता रहे हैं।

पंडित व देवी भक्त एके मिश्रा के अनुसार गुप्त नवरात्रों के संबंध में श्रृंगी ऋषि का नाम सबसे पहले लिया जाता है क्योंकि इन्होंने ही गुप्त नवरात्र का महत्व, प्रभाव और पूजा विधि का ज्ञान दिया।

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एक कथा के अनुसार, एक बार एक महिला ने श्रृंगी ऋषि के पास आकर अपनी व्यथा सुनाई। कष्टों से भरे जीवन व पति के दुर्व्यसन के कारण वह कोई धार्मिक कार्य, व्रत या अनुष्ठान भी नहीं कर पा रही थी। महिला द्वारा मां शक्ति की कृपा पाने के संबंध मे पूछे जाने पर ऋषि ने महिला को गुप्त नवरात्र में साधना करने के लिए कहा और साधना की विधि भी बताई। वहीं विधि-विधान से पूजन के बाद उसके सारे कष्ट दूर हो गए।

दस महाविद्या पूजा मंत्र :
काली तारा महाविद्या षोडशी भुवनेश्वरी।
भैरवी छिन्नमस्ता च विद्या धूमावती तथा।
बगला सिद्ध विद्या च मातंगी कमलात्मिका
एता दशमहाविद्याः सिद्धविद्या प्रकीर्तिताः॥

दस महाविद्याओं के अलग अलग मंत्र:
1. देवी काली
मंत्र – “ॐ क्रीं क्रीं क्रीं दक्षिणे कालिके क्रीं क्रीं क्रीं स्वाहाः॥”

2. तारा देवी
मंत्र- “ॐ ह्रीं स्त्रीं हुं फट”

3. त्रिपुर सुंदरी देवी
मंत्र – “ॐ ऐं ह्रीं श्रीं त्रिपुर सुंदरीयै नमः॥”

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4. देवी भुवनेश्वरी
मन्त्र – “ॐ ऐं ह्रीं श्रीं नमः॥”

5. देवी छिन्नमस्ता
मंत्र- “श्रीं ह्रीं क्लीं ऐं वज्र वैरोचनीयै हूं हूं फट स्वाहा:”
ॐ वैरोचन्यै विद्महे छिन्नमस्तायै धीमहि तन्नो देवी प्रचोदयात्॥

6. त्रिपुर भैरवी देवी
मंत्र – “ॐ ह्रीं भैरवी कलौं ह्रीं स्वाहा:॥”

7. धूमावती माता
मंत्र- “ॐ धूं धूं धूमावती देव्यै स्वाहा:॥”

8. बगलामुखी माता
मन्त्र – “ॐ ह्लीं बगलामुखी देव्यै ह्लीं ॐ नम:॥”

9. मातंगी देवी
मंत्र – “ॐ ह्रीं ऐं भगवती मतंगेश्वरी श्रीं स्वाहा:॥”

10. देवी कमला
मंत्र – “ॐ हसौ: जगत प्रसुत्तयै स्वाहा:॥”



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