ट्रम्प ने जो कहा वो करके दिखाया, पाकिस्तान की मदद पर लगाई रोक

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दशकों से आतंक का पनाहगाह बन चुके पाकिस्तान को आखिरकार अपने कुकर्मों की सज़ा मिलना शुरू हो गयी है. पाकिस्तान को हर बार चेतावनी दी जाती है मगर वो चिकने घड़े से भी ज़्यादा बेशर्म हो चुका है. अब उसे अंतरराष्ट्रीय मोर्चे पर भी हर तरफ से लानतें मिल रही हैं. अब उसकी नीच हरकतों और दोगलेपन को अमेरिका भी बर्दाश्त नही कर पा रहा है. ये बात अहम इसलिए है क्यूंकि अमेरिका दुनिया का सबसे ताकतवर मुल्क होने के साथ-साथ पाकिस्तान की सबसे ज़्यादा मदद करने वाला देश भी है.

ट्रंप ने कहा अब कोई मदद नहीं

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने साफ़ कह दिया है कि आतंकवाद से लड़ने के लिए अब से पाकिस्तान को कोई आर्थिक मदद नहीं दी जाएगी. ट्रंप ने कहा कि वो ये क़दम इसलिए उठा रहे हैं क्योंकि पाक ने अब तक आतंकवाद के खिलाफ कोई ठोस कदम नहीं उठाया है. अमेरिका ने इस बयान पर तुरंत एक्शन लेते हुए पाकिस्तान को दी जाने वाली 255 मिलियन डॉलर की सैन्य मदद पर रोक लगा दी है. अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने कहा है कि ‘आतंकवाद के खिलाफ कार्रवाई के नाम पर पाकिस्तान ने सिर्फ अमेरिका को अब तक मूर्ख बनाया है. अमेरिका पिछले 15 सालों में पाकिस्तान को 33 अरब डॉलर से ज्यादा की सहायता दे चुका है, लेकिन उसने हमें झूठ और छल-कपट के अलावा कुछ नहीं दिया.’

हालांकि पाकिस्तान अमेरिका के इस दावे को झूठा करार दे रहा है, पाकिस्तान ने दावा किया है कि उसने 2001 के बाद आतंक के खिलाफ लड़ाई में 80 बिलियन डॉलर खर्च किये हैं.

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ये है मदद का सिलसिला

आपको बता दें कि भारत के विभाजन के बाद से ही अमेरिका पाकिस्तान को मदद दे रहा है. लेकिन 2001 में अमेरिका पर हुए आतंकी हमले के बाद से उसने पाकिस्तान को बड़ी मात्रा में मदद देना शुरू कर दिया. अमेरिका के एक रिसर्च थिंक टैंक सेंटर फॉर ग्लोबल डवलवमेंट (CGD) की रिपोर्ट में बताया गया है कि 1951 से लेकर 2011 तक अलग-अलग मदों में अमेरिका ने पाकिस्तान को 67 बिलियन अमेरिकी डॉलर की मदद दी है. 2009 में बराक ओबामा के शासनकाल में पाकिस्तान की मदद के लिए कैरी लुगर विधेयक (एनहेन्स्ड पार्टनरशिप विद पाकिस्तान एक्ट ऑफ 2009) पास किया गया. उसके आगामी पांच सालों (2010-14) में साढ़े सात अरब अमेरिकी डालर की असैनिक मदद वाले कैरी लुगर विधेयक को व्हाइट हाउस ने पाकिस्तान के लिए व्यापक समर्थन की ठोस अभिव्यक्ति बताया.

अमेरिका द्वारा दी जा रही धनराशी का बड़ा हिस्सा सैन्य मदद के तौर पर दिया गया है या इस्तेमाल किया गया है. जबकि शिक्षा और दूसरे मदों में एक चौथाई फंड ही दिया गया. सेंटर फॉर ग्लोबल डवलवमेंट की रिपोर्ट के मुताबिक़,  2002 से 2009 के वित्तीय वर्ष के बीच पाकिस्तान को आर्थिकी से जुड़े मदों में सिर्फ 30 फीसदी फंड दिया गया है. जबकि 70 प्रतिशत मदद सैन्य क्षेत्र में दी गई है. दूसरी तरफ 2010 से 2014 के बीच सैन्य मदद में थोड़ी कमी आई है और आर्थिक और सामाजिक क्षेत्रों में कुल मदद का तक़रीबन 41 फीसदी दिया गया.