Alzheimer: कोविड के बाद लोगों को होने लगी है बातें भूलने की बीमारी, देखें बढ़ते अल्जाइमर केसों पर एक्सपर्ट की राय
डॉ. मंजरी ने कहा कि पोस्ट कोविड लोगों में ब्रेनफॉग, काम करना या याद रखना इन सबमें दिक्कत आ रही है। इसको ‘डिमेंशिया ब्रेनफॉग’ कह सकते हैं। इसके साथ ही दूसरी बात यह है कि पोस्ट कोविड मरीजों में थकान और काम न कर पाने की समस्या भी बहुत बढ़ रही है। उनकी याददाश्त में परेशानी भी है। उन्होंने कहा कि तत्कालीन लक्षणों में व्यक्ति अपने छोटे-मोटे कामकाज को भूलने लगता है। यह मामूली काम भी उसके इस भूलने का शिकार हो जाते हैं। उनकी बोलचाल की भाषा भी प्रभावित होने लगती है। समय व स्थान बताने में असमर्थ होते हैं। सोचने-समझने की शक्ति भी खत्म होने लगती है। चीजें रखकर भूल जाना आदि बताती हैं कि लोगों से संपर्क घटने लगता है और रोगी एकांत में रहने लगता है। पहले जैसे काम करने की उसकी क्षमता भी खत्म हो जाती है।
वहीं, सोसायटी के राष्ट्रीय कार्यकारी निदेशक आर. नरेंद्र का कहना है कि साल 2010 में देश में अल्जाइमर के 37 लाख मरीज थे, लेकिन अब यह बढ़कर लगभग 60 लाख के करीब पहुंच गए हैं। चिंता की बात यह है कि अधिकतर ग्रामीण इलाके के लोग इससे प्रभावित हैं। उन्होंने कहा कि साल 2050 तक देश में अल्जाइमर मरीजों की संख्या बढ़कर 1 करोड़ 40 लाख होने के आसार हैं। ऐसे में सरकार को इस दिशा में नीति बनाने की जरूरत है।