कोलकाता: पश्चिम बंगाल (West Bengal) में एक तरफ जहां चुनावी सरगर्मी जोरों पर है, वहीं कोरोना (Coronavirus) की रफ्तार भी टॉप गियर में चल रही है. 8 चरणों में चुनाव (Election) से गुजर रहे पश्चिम बंगाल में राजनीतिक रैलियों में उमड़ रही भीड़ के साथ-साथ कोरोना संक्रमण के मामलों में जबरदस्त उछाल आया है. राज्य में सोमवार को 4511 नए मामले सामने आए और 14 लोगों की कोरोना से मौत हुई. इतना ही नहीं, यहां मृत्यु दर (Death Rate) 1.7 फीसदी हो गई है, जो देश में तीसरे नंबर पर है. पश्चिम बंगाल से आगे देश में पंजाब और सिक्किम ही हैं. इससे पता चलता है कि चुनावी राज्य में भी कोरोना वायरस जमकर पैर पसार रहा है.
चुनावी शोर में दबे Figures
हिंदुस्तान की रिपोर्ट के मुताबिक, पॉजिटिविटी रेट (Positivity Rate) के मामले में भी पश्चिम बंगाल देश में 7वें नंबर पर आ गया है. राज्य कोरोना का पॉजिटिविटी रेट 6.5 फीसदी है, जबकि पूरे देश में यह आंकड़ा 5.2 फीसदी का है. आपको बता दें कि टोटल पॉजिटिविटी रेट का आंकड़ा कुल टेस्ट में संक्रमित पाए गए मरीजों के आधार पर निकाला जाता है. इसका सीधा अर्थ यह हुआ कि यदि बंगाल में 100 लोगों का कोरोना टेस्ट हुआ, तो उनमें से 6.5 फीसदी संक्रमित पाए गए. पड़ोसी राज्यों जैसे कि बिहार, झारखंड, असम और ओडिशा से तुलना करें तो पश्चिम बंगाल में कोरोना की रफ्तार तेजी से बढ़ रही है. हालांकि, ये बात अलग है कि चुनावी शोर में यह बढ़ती रफ्तार किसी को नजर नहीं आ रही.
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हर दिन मिल रहे इतने Cases
अगर पिछले सात दिनों का औसत निकालकर देखें तो पश्चिम बंगाल में हर दिन 3,040 केस मिल रहे हैं. जबकि बिहार में यह आंकड़ा 2,122, झारखंड में 1,734 और ओडिशा में 981 है. असम पर नजर डालें तो नए केसों का औसत 234 है, जो बंगाल के मुकाबले 10 गुना से ज्यादा कम है. हालांकि, कुल कोरोना संक्रमण के मामलों में पश्चिम बंगाल की स्थिति महाराष्ट्र, पंजाब, केरल, छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों की तुलना में बेहतर है, लेकिन नए मामलों की बढ़ती रफ्तार चिंता का विषय बनी हुई है. गौर करने वाली बात यह है कि 26 फरवरी को राज्य में चुनावों के ऐलान के बाद से केसों के दोगुना होने की अवधि 15 गुना तक कम हो गई है.
अभी 4 चरणों की Voting बाकी
पश्चिम बंगाल में अब भी 4 चरणों का चुनाव बाकी है. 17, 22, 26 और 29 अप्रैल को यहां वोट डाले जाने हैं. इन चरणों के लिए चुनाव प्रचार जोरों पर है. नेताओं की रैलियों में जमकर भीड़ उमड़ रही है और कोरोना गाइडलाइन्स की खुलेआम धज्जियां उड़ाई जा रही हैं. ऐसे में जानकारों का मानना है कि राज्य में कोरोना संक्रमण के मामलों में एक बड़ा उछाल देखने को मिल सकता है. रैलियों में मास्क, सोशल डिस्टेंसिंग जैसे नियमों का पालन नहीं हो रहा है, जिससे संक्रमण के तेजी से फैलने का खतरा बना हुआ है. बता दें कि चुनाव आयोग ने राजनीतिक दलों से कोरोना प्रोटोकॉल का पालन करने की अपील की है, लेकिन उसका कोई असर होता नजर नहीं आ रहा है.