अगले चुनाव में कांग्रेस के साथ गठबंधन नहीं करेंगे अखिलेश यादव

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कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी और समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव और की सियासी दोस्ती में दरार पड़ती नज़र आ रही है.  क्या 2019 के लोकसभा चुनाव में यूपी के युवा नेता अब साथ नजर नहीं आएंगे?  ये सारे सवाल इसलिए पैदा हो रहे हैं क्योंकि समाजवादी पार्टी अगले साल अकेले अपने दम पर लोकसभा के सियासी रण में उतरने की तैयारी कर रही है. एक इंटरव्यू में अखिलेश यादव ने गठबंधन को समय की बर्बादी बतया. उन्होंने कहा है कि 2019  के लिए पार्टी को मज़बूत करना उनकी पहली प्राथमिकता है.

अभी गठबंधन का कोई ख़याल नहीं

पीटीआई को दिए साक्षात्कार में अखिलेश ने कहा कि 2019 के लिए अभी तक मैं किसी पार्टी के साथ गठबंधन की नहीं सोच रहा हूं. मैं गठबंधन और सीट शेयरिंग पर बात कर के अपना समय बर्बाद नहीं करना चाहता. अखिलेश ने ये भी कहा कि मैं किसी भ्रम में नहीं रहना चाहता हूँ.

उन्होंने कहा कि समान विचारधारा वाले दलों के साथ ‘दोस्ती’ के दरवाज़े खुले हैं. ऐसे में समान विचारधारा वाली कोई पार्टी गठबंधन के लिए हाथ बढ़ाती है, तो मैं ऐसा कर सकता हूँ. अखिलेश ने कहा कि 2019 में लोकसभा चुनाव है. मौजूदा समय में हम प्रत्येक सीट पर उम्मीदवारों के चयन के लिए स्थानीय समीकरणों के माध्यम से काम कर रहे हैं.

Akhilesh gandhi -

मज़बूत संगठन है प्राथमिकता

अखिलेश ने कहा कि हम मजबूत संगठन के साथ लोकसभा चुनाव में उतरेंगे. यूपी ही नहीं बल्कि हमारे पास मध्य प्रदेश, झारखंड और छत्तीसगढ़ में एक मज़बूत संगठनात्मक आधार है. हम उत्तराखंड और राजस्थान में भी काम कर रहे हैं. समाजवादी पार्टी के युवा मुखिया का कहना है कि विधानसभा में बीजेपी लोगों को बेवकूफ बनाने में सफल रही है. लेकिन अब इतने दिनों के शासन के बाद यूपी की जनता हमारे शासन को याद कर रही है.

नही रास आया गठबंधन

जानकारी के लिए बता दें कि उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव 2017  में अखिलेश यादव राहुल गांधी की कांग्रेस के साथ गठबंधन करके मैदान में उतरे थे. दोनों नेताओं की दोस्ती को ‘यूपी के लड़के’  का नारा दिया गया था, लेकिन जनता ने इस दोस्ती को नकार दिया था. विधानसभा चुनाव में 403  सीटों में से सपा को 47 सीटें मिलीं तो कांग्रेस को महज़ 7 सीटों पर संतोष करना पड़ा. वहीं 325  सीटों पर कब्जा करके भाजपा सत्ता पर विराजमान हुई.