Akhilesh Yadav : बुलडोजर, मैनेजमेंट और सेंधमारी… आजमगढ़ कैसे हार बैठे अखिलेश यादव? जानें वजहें

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Akhilesh Yadav : बुलडोजर, मैनेजमेंट और सेंधमारी… आजमगढ़ कैसे हार बैठे अखिलेश यादव? जानें वजहें

लखनऊ : बीजेपी ने आजम के गढ़ रामपुर और अखिलेश यादव के संसदीय क्षेत्र आजमगढ़ में भी भगवा लहरा दिया है। रविवार को आए उपचुनाव के नतीजों में पार्टी ने एसपी से दोनों सीटे छीन लीं। आजमगढ़ में बीजेपी के दिनेशलाल यादव निरहुआ ने अखिलेश यादव के चचेरे भाई धर्मेंद्र यादव को दिलचस्प मुकाबले में 8679 वोटों से मात दी। वहीं, रामपुर में वहां के पूर्व सांसद आजम खान के खास रहे घनश्याम लोधी ने सपा के आसिम राजा को 42,192 वोटों से हराया। नतीजे एसपी के लिए करारा झटका माने जा रहे हैं।

आजमगढ़ एसपी मुखिया अखिलेश यादव और रामपुर की सीट एसपी के वरिष्ठ नेता रामपुर के इस्तीफे के चलते खाली हुई थी, इसलिए इनके नतीजे अखिलेश और आजम की व्यक्तिगत प्रतिष्ठा से जुड़े थे। हालांकि, दोनों ही सीटों पर बाजी बीजेपी के हाथ लगी। रामपुर में बीजेपी जहां चौथी बार जीती है, वहीं आजमगढ़ में उसे दूसरी बार जीत मिली है। आजमगढ़ में बीएसपी के शाह आलम उर्फ गुड्डू जमाली ने भी कड़ी टक्कर दी, लेकिन तीसरे पर रहे। इस जीत के साथ ही लोकसभा में यूपी से बीजेपी गठबंधन की 66 सीटें हो गई हैं, वहीं, एसपी 5 से घटकर 3 पर आ गई है।

आजमगढ़ ने कायम रखा रेकॉर्ड
उपचुनाव में सीट छोड़ने वालों के खिलाफ फैसला देने का रेकॉर्ड आजमगढ़ ने कायम रखा। 1978 में सीएम बनने के चलते जनता पार्टी के रामनरेश यादव की खाली हुई सीट पर कांग्रेस की मोहसिना किदवई जीती थी। 2008 में बीएसपी छोड़कर एसपी आए रमाकांत यादव की जगह अकबर अहमद डंपी पर जनता ने मुहर लगाई तो इस बार अखिलेश यादव की सीट छोड़ने पर फैसला बीजेपी के पक्ष में गया। वहीं, रामपुर में पहली बार हुए उपचुनाव में बीजेपी को जीत मिली।

यह रही हार की वजहें

अखिलेश का ‘अतिआत्मविश्वास’ : रामपुर-आजमगढ़ को गढ़ मानने वाली एसपी नतीजे को लेकर अति आत्मविश्वास में थी। बीजेपी संगठन के साथ ही सीएम योगी आदित्यनाथ व उनके मंत्री जहां दोनों ही सीटों पर पसीना बहाते रहे, वहीं एसपी मुखिया अखिलेश यादव प्रचार के लिए घर से नहीं निकले।

प्रबंधन में फेल : चेहरों के चयन में देरी, प्रबंधन में कमी भी एसपी की हार की अहम वजह रही। नामांकन के आखिरी दिन प्रत्याशी घोषित किया गया। आजमगढ़ से पहले प्रत्याशी घोषित कर नाम वापस लेने से भी वोटरों के एक तबके में नाराजगी उपजी। रामपुर में भी भ्रम की स्थिति रही।

कोर वोट में सेंधमारी : मुस्लिम-यादव कोर वोट बैंक में सेंधमारी भी एसपी नहीं रोक पाई। रामपुर में 50% से अधिक मुस्लिम, आजमगढ़ में 40% एम-वाई के बाद ही हार इसका सूबूत है। मुस्लिमों की नाराजगी व उदासीनता एसपी भांप नहीं पाई। आजमगढ़ में जमाली ने मुस्लिमों के वोट बटोर एसपी को किनारे लगा दिया।

‘असुरक्षा’ का संदेश : अखिलेश ने सीट छोड़ी तो जद्दोजहद के बाद परिवार से ही उम्मीदवार चुना। जबकि, पार्टी के पास आजमगढ़ में कई चेहरे थे। आजम नहीं लड़े तो उन्होंने अपने ‘खास’ को उतारा। इससे स्थानीय स्तर पर दूसरे नेताओं में भी भविष्य को लेकर असुरक्षा पनपी। चुनाव में उनकी उदासीनता ने भी असर दिखाया।

लाभार्थी व बुलडोजर : लाभार्थी वोट बैंक को बीजेपी ने जोड़े रखा। वोटरों को यह संदेश खास तौर पर दिया कि विकास के लिए सत्ता का साथ जरूरी है। बुलडोजर सहित दूसरे एक्शन से योगी की अगुवाई में बीजेपी साफ संदेश देने में सफल रही, जबकि ‘सेफ’ खेलने के चक्कर में अखिलेश चूक गए।

क्या रहे उपचुनाव के रिजल्ट
आजमगढ़
दिनेशलाल यादव ‘निरहुआ’, बीजेपी : 3,12,768
धर्मेंद्र यादव, सपा : 3,04,089
शाह आलम उर्फ गुड्डू जमाली, बीएसपी : 2,66,210

रामपुर
घनश्याम लोधी, बीजेपी : 3,67,397
आसिम रजा, सपा : 3,25,505
नोटा : 4,450

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