Agra Nika Chunav: आगरा में महिला आरक्षित हुई सीट तो सपा-बसपा को पड़ गया कैंडिडेट्स का टोटा

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Agra Nika Chunav: आगरा में महिला आरक्षित हुई सीट तो सपा-बसपा को पड़ गया कैंडिडेट्स का टोटा

Agra Nika Chunav: आगरा में महिला आरक्षित हुई सीट तो सपा-बसपा को पड़ गया कैंडिडेट्स का टोटा


सुनील साकेत, आगराः भले ही अभी निकाय चुनाव की अधिसूचना जारी नहीं हुई है, लेकिन राजनैतिक दलों में सरगर्मियां तेज हैं। मेयर पद के लिए एक ओर जहां बीजेपी में उम्मीदवारों की झड़ी लगी तो वही विपक्षी दलों में उम्मीदवारों का टोटा दिखाई पड़ रहा है। यही वजह है कि योग्य उम्मीदवार की खोज में विपक्षी दलों के पसीने छूट रहे हैं और बीजेपी के पास आवेदनों की भरमार है। समाजवादी पार्टी में महज 4 ही आवेदन आए हैं जबकि बीएसपी के पास 7 हैं।निकाय चुनाव में जीत का पताका फहराने वाली बीजेपी को पटखनी देने के लिए विपक्षी दलों ने अपने सियासत तेज कर दी है। समाजवादी पार्टी के जिलाध्यक्ष आजाद सिंह जाटव ने शनिवार को पत्र जारी कर प्रत्याशियों की सूची मांगी है। हालांकि अभी तक उनके पास सिर्फ 4 आवेदन आ चुके हैं। रविवार और सोमवार तक उनके पास पर्याप्त आवेदन आने की संभावनाएं हैं। वहीं दूसरी ओर बीएसपी में महिला प्रकोष्ठ नहीं होने के कारण महिला कार्यकर्ताओं की कमी हो सकती है। बीएसपी के जिलाध्यक्ष जितेंद्र कुमार का कहना है उनके पास अभी तक 7 आवेदन आ चुके हैं। अंतिम निर्णय बहन जी को ही लेना है।

सक्रिय कार्यकर्ता ढूंढ रही बीएसपी
रविवार को बीएसपी सुप्रीमो मायावती ने पार्टी कार्यकर्ताओं के साथ लखनऊ में बैठक की। उन्होंने तय किया है कि पार्टी उन्हें ही टिकट देगी चार महीने चले कैडर कैंप में सक्रिय रहा है। इधर आगरा की मेयर सीट अनुसूचित जाति महिला के लिए आरक्षित है। निकाय चुनाव में बीजेपी को टक्कर देने वाली बीएसपी को महिला कार्यकर्ताओं की कमी खल सकती है। जिले में महज 3 से 4 महिला कार्यकर्ता ऐसी हैं जो कि सक्रिय भूमिका में रहती हैं।

सपा का जाटव पंच
समाजवादी पार्टी ने दलित वोट बैंक में सेंधमारी शुरू कर दी है। कई मिशनरी नेता जो कि बीएसपी का कोर वोट बैंक में अच्छी पकड़ रखते हैं सपा के खेमे में जा चुके हैं। 2009 में बीएसपी से लोकसभा चुनाव लड़ चुके कुंवरचंद वकील, बीएसपी में लंबे समय से सक्रिय रहे आजाद सिंह जाटव समेत कई मिशनरी नेताओं ने या तो समाजवादी पार्टी का दामन लिया है या बीजेपी में चले गए हैं। जातिगत आंकड़ों के हिसाब से प्रत्याशी का चयन सबसे अहम माना जा रहा है। दलित जातियों के आंकड़ों पर गौर करें तो आगरा में निवास करने वाली अनुसूचित जातियों में सबसे अधिक संख्या में जाटव जाति के लोग हैं। इसके अलावा वाल्मीकि, धोबी, खटीक, कोली आदि समाज की आबादी जाटव जाति से कम है।

वार्डों में भी करनी होगी मशक्कत
आगरा के 100 वार्ड में नगर निगम के चुनाव होंगे। 100 में से 18 सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित की गई हैं। इसके अलावा 8 पिछड़ा वर्ग और 8 एससी महिला वर्ग के लिए आरक्षित की गई हैं। महिला कार्यकर्ताओं की कमी होने चलते आधी आबादी में बीएसपी और सपा को प्रत्याशी चुनने के लिए कड़ी मशक्कत करनी होगी। इधर नगर निगम चुनाव 1989 में हुआ था। तब से 2017 तक मेयर पद पर बीजेपी ने जीत हासिल की है।

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