Agra News : मार्कशीट जलाने के आरोप में आंबेडकर विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति समेत 9 के खिलाफ केस दर्ज

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Agra News : मार्कशीट जलाने के आरोप में आंबेडकर विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति समेत 9 के खिलाफ केस दर्ज

सुनील साकेत, आगरा: डॉ. भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति पर मार्कशीट जलाने के आरोप में कोर्ट ने परिवाद दर्ज करने के आदेश किए हैं। इस प्रकरण में विश्वविद्यालय के ही पूर्व कर्मचारी ने स्पेशल सीजेएम कोर्ट में प्रतिवेदन प्रस्तुत किया था। इसके अलावा भ्रष्टाचार करने साजिश के तहत फंसाने और नौकरी में बहाल करने के एवज में 10 लाख की मांग करने का आरोप भी लगाया है। कोर्ट ने पूर्व कुलपति समेत नौ लोगों के खिलाफ केस दर्ज कर लिया है।

मामला दिसंबर 2020 का है। अंबेडकर विश्वविद्यालय के इतिहास विभाग में तैनात रहे कर्मचारी वीरेश कुमार का कहना है कि वह विश्वविद्यालय में 23 वर्षों से कार्यरत था। विश्वविद्यालय में वर्ष 2015-16 से डॉ. बीडी शुक्ला व प्रोफेसर अनिल वर्मा के निर्देशन में अंकतालिकाओं की गलतियां संशोधित करने का काम किया जाता था। उन्होंने बताया कि 12 दिसंबर 2020 को इतिहास विभाग में चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी मोहम्मद रहीस, प्रो. अनिल वर्मा और डॉ. बीडी शुक्ला तीनों मिलकर कुछ संदिग्ध प्रपत्रों को जला दिया था।

इसके बाद उन्होंने साजिश के तहत मुझे बाहर जल रहे कागजों को देखने के लिए भेज दिया। तभी पूर्व कुलपति प्रो.अशोक मित्तल वहां पहुंच गए और मार्कशीट व महत्वपूर्ण कागज जलाने के आरोप में मुझे नौकरी से निकाल दिया। जबकि मैने कुलाधिपति, पूर्व कुलपति, मुख्यमंत्री, प्रधानमंत्री से भी इस बारे में शिकायत की है, लेकिन कहीं सुनवाई नहीं हुई। मुझे नौकरी में बहाल करने के लिए 10 लाख रुपए की मांग की गई थी। वीरेश कुमार के प्रतिवेदन पर विशेष मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट ने परिवाद दर्ज कर लिया है। थाना हरिपर्वत पुलिस को जांच के आदेश दिए हैं। इस मामले की सुनवाई के लिए दो सितंबर की तारीख निर्धारित की गई है।

इन पर हुआ केस दर्ज
अंबेडकर विश्वविद्यालय भ्रष्टाचार के मामलों में सुर्खियों में रहा है। कई पूर्व कुलपतियों के खिलाफ वित्तीय अनियमितताओं को जांच चल रही है। इस प्रकरण में विश्वविद्यालय के कर्मचारी ने नौ लोगों पर मुकदमा दर्ज करवाया है। जिसमें पूर्व कुलपति प्रो. अशोक मित्तल, प्रो. अनिल वर्मा, डॉ. बीडी शुक्ला, प्रो. यूसी शर्मा, प्रो. संजय चौधरी, असिस्टेंट रजिस्ट्रार पवन कुमार, अमरतलाल, ब्रजेश श्रीवास्तव और मोहम्मद रहीस शामिल हैं।

प्रोफेसरों पर नहीं होती है कार्रवाई
विश्वविद्यालय के कई प्रोफेसर कक्षाओं में पढ़ाने के बजाय अन्य कामों में मशगूल रहते हैं। यही वजह है कि शिक्षकों पर भ्रष्टाचार के आरोप लगते रहे हैं। पूर्व कर्मचारी वीरेश का कहना है कि प्रो. अनिल वर्मा की नियुक्ति होटल एंड मैनेजमेंट इंस्टीट्यूशन में हुई थी, लेकिन वे इतिहास विभाग में मार्कशीट के संशोधन के कार्य करते हैं।

2013 में प्रो. हरिमोहन शर्मा और मोहम्मद अरशद पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे थे। ऐसे तमाम प्रकरण विश्वविद्यालय में हैं जो कि जांच की आड़ में दबे हुए हैं। वीरेश का कहना है कि विश्वविद्यालय के अधिकारी, कर्मचारी महत्वपूर्ण कागजों को अपने घर तक ले जाते हैं। हाल ही में डॉ. बीडी शुक्ला ने विश्वविद्यालय के खाते से खेलकूद के नाम पर एक लाख 40 हजार रुपए निकाल लिए थे। जो कि किसी इस्तेमाल में नहीं लिए गए। इस शिकायत पर भी कुलपति ने कोई कार्रवाई नहीं की।

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