Agra Flood: खतरे का निशान पार कर गई यमुना, 1978 के बाद पहली बार ताजमहल की दीवार तक पहुंचा पानी
आगरा में ताजेवाला और गोकुल बैराज से पानी छोड़े जाने के बाद हालात खराब हो गए हैं। 1978 के बाद पहली बार ताजमहल की दीवार तक पानी पहुंच गया है। कई इलाकों में फसलें जलमग्न हो गई हैं। बाढ़ प्रभावित लोग पलायन करने को मजबूर हो गए हैं। वे घर खाली कर रहे हैं।
सुनील साकेत, आगरा: ताजेवाला और गोकुल बैराज से छोड़े गए पानी के चलते यमुना के जलस्तर में वृद्धि हो गई है। आलम यह है कि यमुना के तटीय क्षेत्र में बसे गांवों में पानी घुस आया है। यमुना किनारे मार्ग की सडड़क पर पानी भर गया है। बाढ़ के खतरे से आशंकित लोगों ने पलायन करना शुरू कर दिया है। सोमवार सुबह 11 बजे यमुना का जलस्तर 497.3 पहुंच गया है। यह फ्लड लेवल से 2.3 फीट अधिक है।
वहीं, 1978 के बाद पहली बार यमुना नदी का पानी ताजमहल की दीवार तक पहुंच गया है।
यमुना के जलस्तर में पिछले तीन दिनों से लगातर इससे नदी किनारे वाले क्षेत्रों में उथल पुथल मची हुई है। सोमवार को गोकुल बैराज से 146886 क्यूसेक और ओखला से 87695 क्यूसेक पानी यमुना में छोड़ा गया। सिंचाई विभाग के आंकड़ों के अनुसार, ओखला से छोड़ा गया पानी 16 घंटे में आगरा पहुंचता है। बाढ़ नियंत्रक कार्यालय प्रभारी राकेश कुमार का कहना है कि सोमवार रात तक और पानी बढ़ने के आसार बने हैं।
खाली कराए मकान, खेतों में घुस गया पानी
यमुना में जलस्तर बढ़ने से आगरा के दयालबाग, बल्केश्वर घाट, कैलाश घाट, यमुना पार गढ़ी चांदनी, गढ़ी हुसैनी, फाउंड्री नगर आदि क्षेत्रों के कई गांव और कालोनी में पानी घुस आया है। इन्हें जिला प्रशासन ने रविवार को खाली करा दिया है। कई मकानों पर नोटिस भी चस्पा कर दिए हैं। इधर बाह, पिनाहट, फतेहाबाद आदि क्षेत्रों में 300 बीघा से अधिक फसलें जलमग्न हो गई हैं।
1978 में ताज की दीवार तक पहुंचा था पानी
आगरा में वर्ष 1978 में बाढ़ आई थी, तब फ्लड लेवल 508 था। उस समय ताजमहल की दीवार पर पानी पहुंच गया था। कई गांव और यमुना किनारे बसीं कालोनियां जलमग्न हो गई थीं। सोमवार सुबह फिर ताजमहल की दीवार तक पानी पहुंच गया है। ताजमहल के पास बने श्मशान घाट पर भी पानी भर गया है। इससे अंतिम संस्कार क्रिया पर रोक लगाई गई है।
बिगड़ सकते हैं हालात
यमुना के जलस्तर में लगातार वृद्धि होने से जिला प्रशासन में हड़कंप मचा है। जिला अधिकारी नवनीत सिंह चहल से आपदा से निपटने के लिए एनडीआरएफ की टीम को बुलाया है। बाढ़ से निपटने के लिए 47 बाढ़ चौकियां बनाई हैं। इसमें 329 राजस्व कर्मचारियों को लगाया गया है। बाढ़ नियंत्रक प्रभारी हर घंटे यमुना के जलस्तर की निगरानी में जुटे हैं।
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आगरा में ताजेवाला और गोकुल बैराज से पानी छोड़े जाने के बाद हालात खराब हो गए हैं। 1978 के बाद पहली बार ताजमहल की दीवार तक पानी पहुंच गया है। कई इलाकों में फसलें जलमग्न हो गई हैं। बाढ़ प्रभावित लोग पलायन करने को मजबूर हो गए हैं। वे घर खाली कर रहे हैं।
वहीं, 1978 के बाद पहली बार यमुना नदी का पानी ताजमहल की दीवार तक पहुंच गया है।
यमुना के जलस्तर में पिछले तीन दिनों से लगातर इससे नदी किनारे वाले क्षेत्रों में उथल पुथल मची हुई है। सोमवार को गोकुल बैराज से 146886 क्यूसेक और ओखला से 87695 क्यूसेक पानी यमुना में छोड़ा गया। सिंचाई विभाग के आंकड़ों के अनुसार, ओखला से छोड़ा गया पानी 16 घंटे में आगरा पहुंचता है। बाढ़ नियंत्रक कार्यालय प्रभारी राकेश कुमार का कहना है कि सोमवार रात तक और पानी बढ़ने के आसार बने हैं।
खाली कराए मकान, खेतों में घुस गया पानी
यमुना में जलस्तर बढ़ने से आगरा के दयालबाग, बल्केश्वर घाट, कैलाश घाट, यमुना पार गढ़ी चांदनी, गढ़ी हुसैनी, फाउंड्री नगर आदि क्षेत्रों के कई गांव और कालोनी में पानी घुस आया है। इन्हें जिला प्रशासन ने रविवार को खाली करा दिया है। कई मकानों पर नोटिस भी चस्पा कर दिए हैं। इधर बाह, पिनाहट, फतेहाबाद आदि क्षेत्रों में 300 बीघा से अधिक फसलें जलमग्न हो गई हैं।
1978 में ताज की दीवार तक पहुंचा था पानी
आगरा में वर्ष 1978 में बाढ़ आई थी, तब फ्लड लेवल 508 था। उस समय ताजमहल की दीवार पर पानी पहुंच गया था। कई गांव और यमुना किनारे बसीं कालोनियां जलमग्न हो गई थीं। सोमवार सुबह फिर ताजमहल की दीवार तक पानी पहुंच गया है। ताजमहल के पास बने श्मशान घाट पर भी पानी भर गया है। इससे अंतिम संस्कार क्रिया पर रोक लगाई गई है।
बिगड़ सकते हैं हालात
यमुना के जलस्तर में लगातार वृद्धि होने से जिला प्रशासन में हड़कंप मचा है। जिला अधिकारी नवनीत सिंह चहल से आपदा से निपटने के लिए एनडीआरएफ की टीम को बुलाया है। बाढ़ से निपटने के लिए 47 बाढ़ चौकियां बनाई हैं। इसमें 329 राजस्व कर्मचारियों को लगाया गया है। बाढ़ नियंत्रक प्रभारी हर घंटे यमुना के जलस्तर की निगरानी में जुटे हैं।
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