Agra Farmers Protest: जमीन वापसी के लिए 14 साल से लड़ रहे किसान, अब खून से लिखा CM योगी को पत्र, जानिए क्या है मामला?
Agra News: भूमि अधिग्रहण 2009 के बाद से किसानों का प्रदर्शन जारी है। गांव जखौदा के अभय ने बताया कि उनके पास सवा बीघा जमीन थी जो कि प्रशासन ने अधिग्रहित कर ली है। उसका ना तो सरकार मुआवजा दे रही है और ना ही जमीन को लौटा रही है।
हाइलाइट्स
- भूमि अधिग्रहण 2009 के बाद से किसानों का प्रदर्शन जारी है।
- किसानों का कहना है कि पुलिस के बल पर उनकी जमीन को ले लिया गया।
- धरने में शामिल होने वाले सभी लोग करीब 60 साल की उम्र के हैं।
सुनील साकेत, आगरा: ताजनगरी फेज थ्री के लिए अधिग्रहित की गई भूमि को लेकर किसान आरपार की लड़ाई (Agra farmers) लड़ रहे हैं। पिछले 14 साल से किसानों ने अनवरत धरना प्रदर्शन किए हैं। ताजमहल के घेराव के साथ-साथ किसानों ने 28 दिन तक अनशन किया है। इसके बावजूद भी इस मसले का कोई हल दिखाई नहीं दे रहा है। पिछले तीन दिनों से एक बार फिर से किसान अनशन पर बैठ गए हैं। मंगलवार को कलक्ट्रेट से हटाकर उन्हें सदर तहसील पर बैठा दिया गया। अनशन का नेतृत्व कर रहे किसान श्याम सिंह चाहर का कहना है कि जमीन हमारी है। हमें मिलनी चाहिए। सदर तहसील में अनशन पर बैठे किसानों ने बुधवार को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को खून से पत्र लिखा है। जिसमें उन्होंने अपनी मांगों को बोर्ड बैठक में रखने की अपील की है। सदर तहसील में सात लोग अनशन पर बैठे हैं। उन्होंने गुरुवार को जल त्यागने की भी चेतावनी दी है।
मामला 2009 का है। इनर रिंग रोड, लैंड पार्सल और ताजनगरी फेज थ्री के लिए प्रशासन ने 938.89 हेक्टअर भूमि अधिग्रहण की थी। ये जमीन छलेसर से रोहता, जखौदा गांव तक ली गई थी। इसी भूमि में ताजनगरी फेज थ्री के लिए 42 हेक्टेअर भूमि ली गई। जिसमें 5 गांव देवरी, पचगाई, रोहता, इटौरा और जखौदा के किसानों की भूमि शामिल है। अनशन पर बैठे किसान श्याम सिंह चाहर का कहना है कि 42 हेक्टेअर भूमि प्रशासन ने एडीए की ताजनगरी फेज थ्री और सड़क निर्माण के लिए अधिग्रहित की थी, लेकिन जब योजना ही फेल हो गई तो उन्हें उनकी जमीन वापस की जाए। उन्होंने बताया कि वर्ष 2019 में प्राधिकरण की योजना ताजनगरी फेज थ्री पर विराम लग गया और सड़क बनाने का एलाइमेंट भी बदल गया। अब नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया (एनएचएआई) सड़क बनाने का काम कर रही है। जो जमीन प्राधिकरण ने अधिग्रहित की थी। उसे उन्हें वापस दिया जाए। इस संबंध मेंं मंडलायुक्त अमित गुप्ता, एडीए उपाध्यक्ष चर्चित गौड़ से संपर्क करने का प्रयास किया, लेकिन किसी से संपर्क नहीं हो सका।
ना मुआवजा मिला, ना ही जमीन
भूमि अधिग्रहण 2009 के बाद से किसानों का प्रदर्शन जारी है। गांव जखौदा के अभय ने बताया कि उनके पास सवा बीघा जमीन थी जो कि प्रशासन ने अधिग्रहित कर ली है। उसका ना तो सरकार मुआवजा दे रही है और ना ही जमीन को लौटा रही है। विकास खंड बरौली अहीर रोहता गांव के चंद्रशेखर शर्मा का कहना है कि उनकी 7 बीघा जमीन अधिग्रहित की जा चुकी है। इसके लिए प्रशासनिक अधिकारियों ने कोई सहमति नहीं ली थी। पुलिस के बल पर उनकी जमीन को ले लिया गया। अपनी जमीन वापसी की मांग को लेकर अब तक दर्जनों बार अधिकारियों के दफ्तरों के चक्कर काट चुके हैं।
6 बार अनशन, दर्जनों धरना प्रदर्शन
किसान नेता श्याम सिंह चाहर का कहना है कि भूमि अधिग्रहण के मुआवजे में भी प्रशासनिक अधिकारियों ने दोयम दर्जा अपनाया है। जिन किसानों के साथ करार हुआ है उन्हें प्रशासन ने 648 रुपये प्रतिवर्ग मीटर दिया गया है, जबकि उसी जमीन पर सरकारी अधिकारियों के सगे सम्बंधियों और चहेतों को 1902 रुपये के हिसाब से मुआवजा दिया गया है। उन्होंने इसमें में तगड़ा घोटाला बताकर जांच की मांग की है। किसान श्याम सिंह चाहर 7 किसानों के साथ सदर तहसील में अनशन पर बैठे हैं। उनके साथ धरने में शामिल होने वाले सभी छह लोग करीब 60 साल की उम्र के हैं। उन्होंने इस लड़ाई को आरपार तक ले जाने की चेतावनी दी है। बुधवार को अनशन पर किसानों का तीसरा दिन है। इस पूर्व वह 5 बार अनशन कर चुके हैं।
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Agra News: भूमि अधिग्रहण 2009 के बाद से किसानों का प्रदर्शन जारी है। गांव जखौदा के अभय ने बताया कि उनके पास सवा बीघा जमीन थी जो कि प्रशासन ने अधिग्रहित कर ली है। उसका ना तो सरकार मुआवजा दे रही है और ना ही जमीन को लौटा रही है।
हाइलाइट्स
- भूमि अधिग्रहण 2009 के बाद से किसानों का प्रदर्शन जारी है।
- किसानों का कहना है कि पुलिस के बल पर उनकी जमीन को ले लिया गया।
- धरने में शामिल होने वाले सभी लोग करीब 60 साल की उम्र के हैं।
मामला 2009 का है। इनर रिंग रोड, लैंड पार्सल और ताजनगरी फेज थ्री के लिए प्रशासन ने 938.89 हेक्टअर भूमि अधिग्रहण की थी। ये जमीन छलेसर से रोहता, जखौदा गांव तक ली गई थी। इसी भूमि में ताजनगरी फेज थ्री के लिए 42 हेक्टेअर भूमि ली गई। जिसमें 5 गांव देवरी, पचगाई, रोहता, इटौरा और जखौदा के किसानों की भूमि शामिल है। अनशन पर बैठे किसान श्याम सिंह चाहर का कहना है कि 42 हेक्टेअर भूमि प्रशासन ने एडीए की ताजनगरी फेज थ्री और सड़क निर्माण के लिए अधिग्रहित की थी, लेकिन जब योजना ही फेल हो गई तो उन्हें उनकी जमीन वापस की जाए। उन्होंने बताया कि वर्ष 2019 में प्राधिकरण की योजना ताजनगरी फेज थ्री पर विराम लग गया और सड़क बनाने का एलाइमेंट भी बदल गया। अब नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया (एनएचएआई) सड़क बनाने का काम कर रही है। जो जमीन प्राधिकरण ने अधिग्रहित की थी। उसे उन्हें वापस दिया जाए। इस संबंध मेंं मंडलायुक्त अमित गुप्ता, एडीए उपाध्यक्ष चर्चित गौड़ से संपर्क करने का प्रयास किया, लेकिन किसी से संपर्क नहीं हो सका।
ना मुआवजा मिला, ना ही जमीन
भूमि अधिग्रहण 2009 के बाद से किसानों का प्रदर्शन जारी है। गांव जखौदा के अभय ने बताया कि उनके पास सवा बीघा जमीन थी जो कि प्रशासन ने अधिग्रहित कर ली है। उसका ना तो सरकार मुआवजा दे रही है और ना ही जमीन को लौटा रही है। विकास खंड बरौली अहीर रोहता गांव के चंद्रशेखर शर्मा का कहना है कि उनकी 7 बीघा जमीन अधिग्रहित की जा चुकी है। इसके लिए प्रशासनिक अधिकारियों ने कोई सहमति नहीं ली थी। पुलिस के बल पर उनकी जमीन को ले लिया गया। अपनी जमीन वापसी की मांग को लेकर अब तक दर्जनों बार अधिकारियों के दफ्तरों के चक्कर काट चुके हैं।
6 बार अनशन, दर्जनों धरना प्रदर्शन
किसान नेता श्याम सिंह चाहर का कहना है कि भूमि अधिग्रहण के मुआवजे में भी प्रशासनिक अधिकारियों ने दोयम दर्जा अपनाया है। जिन किसानों के साथ करार हुआ है उन्हें प्रशासन ने 648 रुपये प्रतिवर्ग मीटर दिया गया है, जबकि उसी जमीन पर सरकारी अधिकारियों के सगे सम्बंधियों और चहेतों को 1902 रुपये के हिसाब से मुआवजा दिया गया है। उन्होंने इसमें में तगड़ा घोटाला बताकर जांच की मांग की है। किसान श्याम सिंह चाहर 7 किसानों के साथ सदर तहसील में अनशन पर बैठे हैं। उनके साथ धरने में शामिल होने वाले सभी छह लोग करीब 60 साल की उम्र के हैं। उन्होंने इस लड़ाई को आरपार तक ले जाने की चेतावनी दी है। बुधवार को अनशन पर किसानों का तीसरा दिन है। इस पूर्व वह 5 बार अनशन कर चुके हैं।
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