दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल द्वारा पंजाब के पूर्व कैबिनेट मंत्री बिक्रम सिंह मजीठिया से माफी मांगे जाने के तीन दिन बाद केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी और कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल से भी माफी मांगी है. इन दोनों नेताओं ने अरविंद केजरीवाल पर मानहानि के केस किए हुए थे. मुख्यमंत्री ने अकाली दल नेता से माफी मांगी तो आम आदमी पार्टी की पंजाब यूनिट में बवाल हो गया. ये घमासान अभी थमा भी नहीं था कि अब माफ़ी का नया सिलसिला सामने आया है.इस प्रकरण से अंदाजा लगाया जा रहा है कि केजरीवाल ने अब उन नेताओं से माफी मांगनी शुरू कर दी है, जिन पर उन्होंने अपने भाषणों और बयानों में आरोप लगाए थे और जिन्होंने उनके खिलाफ मानहानि के दावे किए थे.
अब इनसे मिली माफी
इस कड़ी में आज अरविंद केजरीवाल ने बीजेपी के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष और केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी से माफी मांगी है. इसके अलावा केजरीवाल ने कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल और उनके बेटे अमित सिब्बल से भी माफी मांगी है. बताया जा रहा है कि दोनों ही नेता अब केस वापस ले रहे हैं. बता दें कि इससे पहले उन्हें मजीठिया से माफी मिल चुकी है.
अरविंद केजरीवाल ने बीजेपी नेता नितिन गडकरी को 16 मार्च को पत्र लिखा था. जिसमें उन्होंने लिखा है, ‘हम दोनों अलग-अलग दलों में हैं. मैंने आपके बारे में बिना जांचे कुछ आरोप लगाए, जिससे आपको दुख हुआ होगा, इसलिए आपने मेरे खिलाफ मानहानि का केस दायर किया. मुझे आपसे निजी तौर पर कोई दिक्कत नहीं है, इसलिए मैं आपसे माफी मांगता हूं.’
इस वजह से मांगी माफी
वहीं पिछले हफ्ते मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल द्वारा पंजाब के पूर्व कैबिनेट मंत्री बिक्रम सिंह मजीठिया से माफी मांगे जाने के बाद पार्टी के प्रवक्ता सौरभ भारद्वाज ने कहा था कि सीएम अरविंद केजरीवाल दर्जनों मामलों का सामना कर रहे हैं, जिनमें मानहानि, चुनाव प्रचार के दौरान होर्डिंग/पोस्टर लगाना, धारा 144 का उल्लंघन, दिल्ली में प्रदर्शन जैसे मुद्दों को लेकर दायर किए गए हैं.
ऐसे ही मामले देश के अन्य हिस्सों जैसे वाराणसी, अमेठी, पंजाब, असम, महाराष्ट्र, गोवा और अन्य जगहों पर भी दायर किए गए हैं. इनमें से ज्यादातर मामलों में व्यक्तिगत रूप से कोर्ट में मौजूद रहने की आवश्यकता होती है. ये मामले हमारे राजनीतिक विरोधियों द्वारा हमें हतोत्साति करने और हमारे नेतृत्व को इन कानूनी मामलों में उलझाए रखने के लिए दर्ज कराए गए हैं. ऐसे सभी मामलों को आपसी सहमति से सुलझाने का निर्णय पार्टी की लीगल टीम के सलाह पर लिया गया है. दिल्ली में दायर मामलों को फास्ट ट्रैक पर रखा गया है जिसकी वजह से विधायकों और मंत्रियों को प्रतिदिन दिल्ली और अन्य राज्यों में अदालतों में उपस्थित रहना पड़ता है.पहले से ही संसाधन की कमी झेल रही पार्टी के लिए कोर्ट केस एक बोझ है.’