औरंगाबाद के बाद अब भरतपुर में भी धारा 144 लागू , गुर्जरों की आरक्षण की मांग बनी वजह

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पानी विवाद के चलते महाराष्ट्र के औरंगाबाद शहर में धारा 144 लागू की गयी थी l अब महाराष्ट्र के औरंगाबाद के बाद राजस्थान के भरतपुर में भी धारा 144 लागू कर दी गयी है l भरतपुर की इन्टरनेट सुविधाएं भी बंद कर दी गयी है l देश के अलग -अलग राज्यों में आये दिन होने वाली हिंसक घटनाएं,विवाद, आन्दोलन जो कभी धरम ,कभी सम्प्रदाय, कभी जाति तो कभी वर्ग में लिपटी हुई होती है l ऐसे आंदोलनों को जन्म देती है l

भरतपुर में क्यों धारा 144?
राजस्थान का शहर भरतपुर , जहाँ का गुर्जर समुदाय सरकार से आरक्षण की मांग कर रहा है l दरअसल भरतपुर में गुर्जर आरक्षण के मुद्दे पर दो गुटों की अलग-अलग महापंचायतें हो रही हैंlआपको बता दें कि इनमें से एक पंचायत आन्दोलन कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला के नेतृत्व में होगी ,तो वहीँ दूसरी छत्तीसा के पंच-पटेलों की ओर से मोरोली स्थित टोंटा बाबा मंदिर पर होगीl इस आरक्षण आंदोलन को मद्देनज़र रखते हुए राजस्थान पुलिस और प्रशासन ने अपनी कमर कस ली हैl मामला हाथ से निकल न जाए और कोई हिंसक रूप न लेले इसलिए ,पूरे भरतपुर जिले में धारा 144 लागू कर दी गई हैl नगर में इंटरनेट सेवाएं आज शाम तक के लिए बंद रहेंगी l पुलिस ने बयाना से आगे करौली और हिंडौन मार्ग पर मंगलवार सुबह से ही बसों का संचालन बंद करने का फैसला किया हैl मामले की गंभीरता को देखते हुए पुलिस और प्रशासन ने सुरक्षा के पर्याप्त इंतजाम किए गए हैंl आपको बता दें कि , दोनों महापंचायतों के लिए प्रशासन ने दोनों दलों को सशर्त अनुमति दे दी हैl सिर्फ पुलिस फाॅर्स ही नहीं बल्कि रेलवे पुलिस भी भरतपुर में मुस्तैद हैl साथ ही आरपीएसएफ की एक कंपनी बुलाई गई है, और तमाम रेलवे स्टेशनस पर सुरक्षाकर्मी भी तैनात किये गए है l Bharatpur dhara 144 1 news4social -

सरकार से बातचीत के लिए किया कमिटी का गठन
सुरक्षा और कानून व्यवस्था को मद्देनज़र रखते हुए , आंदोलन के संयोजक कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला के घर पर राजस्थान सरकार से बातचीत करने से पहले बंद कमरे में दो घंटे एक निजी मीटिंग हुईl गौरतलब है कि सरकार से बातचीत के लिए उन्होंने संघर्ष समिति से जुडे 15 सदस्यों की एक कमेटी बनाई हैl सभी राजनीतिक और सामाजिक कार्यकर्ताओं से अलग-अलग बातचीत की जा रही हैl

पहले भी पांच बार गुर्जर आरक्षण को लेकर हुए है आन्दोलन
गुर्जर आरक्षण के लिए होने वाला ये कोई पहला आन्दोलन नहीं है , इससे पहले अपने आरक्षण की मांग के लिए गुर्जर समुदाय पांच बार आन्दोलन कर चूका हैl हर बार इस तरह के आंदोलनों में करोड़ो का नुक्सान होता है , कई लोगों अपनी अपनी जान गवानी पड़ती है l साल 2007 में 29 मई से 5 जून सात दिन गुर्जरों में आंदोलन किए गए आन्दोलन से 22 जिले प्रभावित हुए थे और तरीबन 38 लोग मारे गएl जिसके बाद 23 मई से 17 जून 2008 तक 27 दिन तक आंदोलन चला था l 2008 में 22 जिलों के साथ 9 राज्य प्रभावित रहे थे l आपको बता दें कि इस आन्दोलन का सबसे भयंकर रूप देखने को मिला था ,21 मई 2015 को कारवाड़ी पीलुकापुरा में रेलवे ट्रैक रोका था और इस दौरान इस आन्दोलन में 72 लोगों की मौत हुई थीl साथ ही 145 करोड़ रुपये की सरकारी संपत्तियों और राजस्व का नुकसान दर्ज किया गया थाl