आज़ादी के 70 बरस बाद भी रोशनी से महरूम है यह गाँव ,बता रही है सरकार के दावे थे खोखले

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अंग्रेजों की गुलामी से आज़ाद हुए हमें 71 साल होने वाले है, लेकिन आज भी हमारे देश में कई ऐसे गाँव है जो अब तक बिजली से महरूम है | मॉडर्न टेक्नोलॉजी के इस दौर में जहाँ दुनियां रफ़्तार से आगे भाग रही है ,वहीँ  कुछ छोटे गाँवों और कस्बों में अभी भी जिंदगियां कहीं ठहरी सी हुई है |

“नगला मोती “-बिजली से महरूम
उत्तर प्रदेश के फारुखाबाद का एक छोटा सा गाँव ”नगला मोती”, जहाँ के एक भी इंसान ने अब तक बिजली की रोशिनी नहीं देखी है |सोचिये इस चिलचिलाती गर्मी के मौसम में जहाँ हम एक पल भी गर्मी में नहीं रह पाते, इस एसी ,कूलर के ज़माने में इस गाँव के लोगों ने अब तक पंखे की हवा भी महसूस नहीं की है |जहाँ एक तरफ सरकार इस बात का जश्न मना रही थी कि अब देश के गाँव -गाँव में बिजली पहुँच चुकी है ,वही दूसरी तरफ नगला मोती गाँव के हालात कोई और ही कहानी बयान कर रहे है |

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डिबरी की रोशनी में पढ़ते है बच्चे
इस गाँव के ही एक बच्चे दिनेश ने बताया कि बिजली ना होने की वजह से उसे डिबरी की रोशनी में पढना पड़ता है |वहीँ दिन में यह लैंप को सोलर प्लेट से चार्ज करते है| लेकिन उनका कहना है कि जब लैंप का चार्ज खत्म हो जाता है तब हमारे पास पढने का कोई विकल्प नहीं होता |वहीँ गाँव की एक महिला पिंकी ने बताया कि जब से वह पैदा हुई तब से आज तक उन्होंने बिजली कैसी होती है महसूस नही किया |आज उनकी शादी भी हो चुकी है ,लेकिन गाँव की स्थिति ज्यों की त्यों बनी हुई है |

सरकार के खोखले दावों की गवाही देता ”नगला मोती “
आपको याद ही होगा अभी हाल ही में 28 अप्रैल 2018 को जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट करके देश भरके सामने गाँव -गाँव बिजली पहुँचने की ख़ुशी में अपनी पीठ थपथपाई थी ,आज वो ट्वीट ,वो शाबाशी सब बहुत खोखले लग रहे है |68 वें स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने लालकिले की प्राचीर से एक हज़ार दिन के अन्दर देश के 18000 से ज्यादा गाँवों में बिजली पहुँचाने की बात कही थी और 28 अप्रैल 2018 इस लक्ष्य की प्राप्ति की घोषणा भी कर दी थी |मगर सच्चाई तो यह है कि आज़ादी के 71 साल होने को आये लेकिन आज भी “नगला मोती “जैसे गाँव है जहाँ लोग अँधेरे से रोशनी तक का सफ़र  नही तय कर पाए है |