कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो इस वक़्त एक हफ्ते के लम्बे दौरे पर भारत आये हुए हैं. ऐसा प्रतीत हो रहा है कि भारत की तरफ से उनके दौरे का बहिष्कार किया जा रहा है. जस्टिन अब तक किसी भी बड़े मंत्री या अधिकारी से नही मिले हैं. वो अहमदाबाद और उत्तर प्रदेश भी हो आये लेकिन वहाँ पर भी ज़िला स्तर के अधिकारियों ने उनका स्वागत किया. जस्टिन के साथ इस रवैये के पीछे तर्क दिया जा रहा है कि वो खालिस्तान समर्थक हैं और उनके मंत्रालय में कई ऐसे सिख नेता हैं जो खलिस्तान की तरफदारी करते हैं.
मगर बड़ा सवाल ये है कि अगर कनाडा से रिश्ते इतने ही खराब थे तो प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो को बुलाने की ज़रुरत ही क्या थी. और जब वो आ ही गए थे तो क्यूँ उन्हें हर कदम पर ज़लील किया जा रहा है. क्या ये मुमकिन नही था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बाक़ी मेहमानों की तरह उनसे भी पहले दिन मिलकर इस मुद्दे पर अपना पक्ष साफ़ करते.
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