Bengal Chunav: टीएमसी को बचाएगी ममता बनर्जी की फ्री वैक्सीन! लोगों ने बताया स्वास्थ्य सुविधाओं का हाल

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Bengal Chunav: टीएमसी को बचाएगी ममता बनर्जी की फ्री वैक्सीन! लोगों ने बताया स्वास्थ्य सुविधाओं का हाल


हिमांशु तिवारी/विश्व गौरव, कोलकाता
पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव (West Bengal Assembly Elections) के बीच कोरोना महामारी (Corona latest News) ने राजनीतिक दलों में ‘दहशत’ पैदा कर दी है। दहशत उन सवालों की कि वह जनता के लिए कितना फिक्रमंद हैं, क्यों पश्चिम बंगाल चुनाव (Bengal Chunav Corona) के बीच ऐहतियातों का ध्यान नहीं रखा गया। क्यों ऊंचे मंचों पर मौजूद नेताओं ने जनता से रैलियों से दूर रहने की अपील नहीं की। क्यों खुद मुख्यमंत्री ममता बनर्जी मानुष (लोगों) से ‘ममता’ नहीं दिखा पाईं।

बंगाल विधानसभा चुनाव के अभी दो चरण बाकी हैं। अभी सातवें और आठवें चरण के लिए मतदान होना है। हालांकि, इससे पहले ममता बनर्जी ने राजनीतिक जमीन पर कोरोना वैक्सीन का भी ‘दांव’ खेल दिया है।

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2 मई को नतीजे, 5 से टीकाकरण
ममता बनर्जी ने पांच मई से 18 साल और उससे अधिक उम्र के सभी लोगों को कोविड-19 वैक्सीन का टीका मुफ्त लगाने का ऐलान किया है। इसके साथ ही टीएमसी ने ममता बनर्जी का वीडियो ट्वीट किया है। शेयर किए गए इस वीडियो में ममता बनर्जी फ्री वैक्सीन का वादा कर रही हैं। इन सबके बीच यह गौर करना अहम है कि बंगाल चुनाव के नतीजे दो मई को आ रहे हैं।

‘…तो क्यों टेस्टिंग बढ़ाई नहीं जा रही है’
5 मई से वैक्सिनेशन के ऐलान के बीच लोगों ने इस पर प्रतिक्रिया भी दी। कोलकाता के रहने वाले रविंद्र बंदोपाध्याय कहते हैं, ‘आखिरी दो चरण बाकी हैं। कुछ नए वादों का सहारा लेकर इन्हें संभालने की कोशिश की जा रही है। बाकी इस महामारी के बीच निर्णय लेना ही है तो क्यों सभी रैलियों को रद्द नहीं किया जा रहा है। क्यों ममता बनर्जी लोगों को सहूलियत देते हुए स्वास्थ्य सुविधाएं मजबूत नहीं कर देती हैं। क्यों इतनी कम संख्या में टेस्टिंग की जा रही है।’

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‘अस्पताल बहुत दूर, टीकाकरण कैसे होगा?’
दार्जिलिंग के रहने वाले नामा दाबू शेरपा कहते हैं, ‘आप यह सुनकर हैरान हो जाएंगे कि दार्जिलिंग के आसपास के क्षेत्रों में इलाज के समुचित इंतजाम नहीं हैं। स्थिति गंभीर होने पर सिलिगुड़ी जाना पड़ता है। अब सोचिए कि अगर संक्रमण इन क्षेत्रों में बढ़ा तो स्थिति क्या होगी। खैर, ममता बनर्जी को फ्री वैक्सिनेशन के साथ स्वास्थ्य सुविधाएं बढ़ाने पर जोर देना चाहिए। जब स्वास्थ्य सुविधाएं ही समुचित नहीं होंगी तो टीकाकरण कहां पर होगा।’

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‘स्वास्थ्य केंद्र में कुत्ते सोते हैं लेकिन…’
उत्तर दिनाजपुर के रहने वाले सोहरा बालम मूल रूप से किसान हैं। वह कहते हैं, ‘नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र में तो कुत्ते सोते हुए मिलते हैं। सवाल उठता है कि हम प्राथमिक स्वास्थ्य सेवाओं के लिए कहां जाएं। बाकी रही बात कोरोना की तो हम खुद से जितना ख्याल रखे उतना काफी है। सरकारी तंत्र से उम्मीद नहीं की जा सकती है। वादे हवा-हवाई हैं। अगर बहुत हमदर्दी थी तो अस्पतालों का यह हाल तो ना ही होता।’

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